Move to Jagran APP

आठ वर्ष तक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम भरा, तो बीमा कंपनी को देना होगा क्लेम, Irdai ने जारी किया दिशानिर्देश

अब आठ वर्ष तक प्रीमियम भर चुके ग्राहकों को बीमा कंपनियां हेल्‍थ इंश्‍योरेंस क्लेम देने में आनाकानी नहीं कर सकेंगी। (PC pixabay.com)

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 09:40 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 01:48 PM (IST)
आठ वर्ष तक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम भरा, तो बीमा कंपनी को देना होगा क्लेम, Irdai ने जारी किया दिशानिर्देश
आठ वर्ष तक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम भरा, तो बीमा कंपनी को देना होगा क्लेम, Irdai ने जारी किया दिशानिर्देश

नई दिल्ली, एजेंसी। अब आठ वर्ष तक प्रीमियम भर चुके ग्राहकों को बीमा कंपनियां हेल्‍थ इंश्‍योरेंस क्लेम देने में आनाकानी नहीं कर सकेंगी। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (Irdai) ने इन कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। बीमा नियामक ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य क्षतिपूर्ति संबंधी बीमा प्रोडक्ट्स के लिए सामान्य शब्द और सेगमेंट का मानकीकरण करना है। इसमें व्यक्तिगत एक्सीडेंट और देश से बाहर यात्रा को शामिल नहीं किया गया है। इस नए सुधार से स्‍वास्‍थ्‍य बीमा क्षेत्र में एकरूपता आएगी।

prime article banner

आईआरडीएआई ने कहा है कि मौजूदा पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट्स में इस हिसाब से बदलाव करना होगा। हालांकि ऐसे मामले, जो धोखाधड़ी से जु़ड़े हैं या जिनमें नियम व शर्तो का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है, उनके लिए बीमा कंपनियों को अपील करने की इजाजत दी जाएगी। आठ वर्ष का यह समय मोरैटोरियम पीरियड कहलाता है। बीमा की पहली किस्त भरने के साथ ही इसकी शुरआत मानी जाती है।

क्लेम सेटलमेंट 30 दिन में

नियामक ने कहा कि बीमा कंपनी को सभी कागजी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद 30 दिन के भीतर दावे को स्वीकार या इन्कार करना चाहिए। यदि इस अवधि में बीमा कंपनियां क्लेम नहीं देती हैं तो उन्हें पॉलिसीधारक को ब्याज देना होगा। ब्याज दर बैंक दर से दो प्रतिशत अधिक होनी चाहिए। इसके साथ ही बीमा नियामक ने कहा है कि ऐसे मामलों में जहां किसी तरह की धोखाधड़ी हुई है, सभी किस्तें जमा होने के बावजूद क्लेम नहीं मिल सकेगा। ऐसे मामलों में जमा राशि बीमा कंपनियां जब्त कर सकेंगी।

वेटिंग पीरियड में भी कवर

हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के नए दिशानिर्देशों में पोर्टेबिलिटी का जिक्र भी है। बीमाधारक यदि चाहें तो पॉलिसीकर्ता यानी बीमा कंपनी को बदल सकते हैं। लेकिन, यह प्रक्रिया उस पॉलिसी की नवीकरण तिथि से कम से कम 45 दिन पहले होना चाहिए। लेकिन, 60 दिन से पहले ऐसा करने की इजाजत नहीं होगी। नियामक ने कहा है कि ऐसे स्वास्थ्य बीमाधारक जो बिना किसी खामी के लगातार बीमा कवर में रहे हैं, वेटिंग पीरियड के दौरान भी बीमा कवर का लाभ उठाने के हकदार होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.