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बीमा पॉलिसी को 'हाईटेक' बनाने की तैयारी में जुटी IRDAI, क्लेम सेटेलमेंट में ग्राहकों को होगी आसानी

IRDAI News डिमेटराइजेशन उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें सभी फिजिकल डाक्यूमेंट्स को ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में परिवर्तित किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में सभी डाक्यूमेंट्स उपलब्ध होने के कारण क्लेम सेटेलमेंट भी तेज हो सकता है।

By Abhinav ShalyaEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2022 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2022 11:30 AM (IST)
बीमा पॉलिसी को 'हाईटेक' बनाने की तैयारी में जुटी IRDAI, क्लेम सेटेलमेंट में ग्राहकों को होगी आसानी
Irdai proposed for new insurance policies to should be dematerialized know details

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India - IRDAI) इस साल के अंत तक नई बीमा पॉलिसियों को लेकर डिमेटराइजेशन (Dematerialization) अनिवार्य कर सकता है।

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डिमेटराइजेशन उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें सभी फिजिकल डाक्यूमेंट्स को ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में परिवर्तित किया जाता है। ईकेवाईसी भी बीमा पॉलिसियों के डिमेटिराइजेशन में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है, क्योंकि इसकी मदद से बीमा कंपनियां को इंश्योरेंस को डिजिटल करने में आसानी होगी।

बीमाधारकों को होगा फायदा

डिमेटराइजेशन पर एनडीएमएल (NDML) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय गुप्ता का कहना है कि बीमाकर्ताओं के लिए व्यापार को आसान और पॉलिसीधारकों के लिए बीमा की पहुंच और सेवाओं को आसान बनाने के लिए आईआरडीएआई की ओर से प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें कहा गया कि बीमा कंपनियों को सभी नई बीमा पॉलिसियों को इंश्योरेंस रिपोजिटरी (IR) सिस्टम के जरिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से जारी करना अनिवार्य होगा।

क्या है इंश्योरेंस रिपोजिटरी?

इंश्योरेंस रिपोजिटरी रेगुलेशन के तहत आईआर की स्थापना की गई थी। पिछले कुछ सालों में इंश्योरेंस रिपोजिटरी ने एक करोड़ से अधिक बीमाधारकों के बीमा जारी करने, बीमा पॉलिसी को सुरक्षित रखने और सेवाएं देने का काम किया है। इंश्योरेंस रिपोजिटरी में बीमाधारक व्यक्ति का इलेक्ट्रॉनिक इंश्योरेंस अकाउंट (EIA) खोला जाता है, जिसमें उसकी सभी बीमा पॉलिसियों (लाइफ/नॉन लाइफ/ ग्रुप) को स्टोर किया जाता है और बीमाधारक व्यक्ति कभी भी ईआईए फैसिलिटी के जरिए बीमा पॉलिसियों का उपयोग कर सकता है। इससे क्लेम सेटेलमेंट भी तेज हो सकता है। 

गुप्ता ने आगे कहा कि ईआईए के जरिए सबसे बड़ा फायदा बीमाधारक को होगा। इसकी मदद से आसानी से बीमाधारक और उनके नॉमिनी सभी बीमा पॉलिसियों को एक जगह पर डिजिटली सुरक्षित रख सकते हैं। इसके साथ के यह ऑटोमेटिक इंश्योरेंस जारी करने और ग्राहक को सर्विस से जुड़े लाभ उपलब्ध कराएगा। इंश्योरेंस रिपोजिटरी को एनएसडीएल डाटाबेस मैनेजमेंट लिमिटेड (NDML) की ओर से चलाया जाता है, जो सरकार कंपनी एनएसडीएल की सहायक कंपनी है।


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