दिवाली पर पटाखों से घर या दुकानों में लग सकती है आग, करवाएं प्रॉपर्टी का बीमा; जानिए क्या है एक्सपर्ट का सुझाव
अक्सर ऐसा देखा गया है कि त्योहारों के मौसम में लगने वाले दुकान या स्टॉल का इंश्योरेंस नहीं रहता है। किसी भी घटना के संबंध में दो बातें हो सकती हैं एक या तो आपने बीमा कराया है या फिर नहीं कराया है

नई दिल्ली, नितेश कुमार तिवारी। दिवाली पर कई बार पटाखे जलाते समय घर या दफ्तर में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं। इस तरह की अनहोनी अप्रत्याशित होती है और इसके लिए पहले से कोई तैयार नहीं रहता है। लेकिन फिर भी ऐसी घटनाओं से बचने के लिए इंश्योरेंस का विकल्प खुला है। यही नहीं इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भी पहले से तैयार रहना चाहिए। उल्लेखनीय है कि जलवायु परिवर्तन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में पहले की तुलना में अधिक तबाही सामने आ रही है।
हाल के कुछ समय में चक्रवात मसलन तौकता और यास उच्च तीव्रता के साथ आए थे और जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया था, इसने संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया। व्यक्ति को ऐसी किसी भी अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए प्लानिंग करनी चाहिए और अपनी संपत्ति का बीमा करना चाहिए, चाहे वह संपत्ति हो या वाहन। आइए जानते हैं ऐसी परिस्तिथियों से कैसे निपटा जाए, इसमें बीमा कितनी मदद करता है।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि त्योहारों के मौसम में लगने वाले दुकान या स्टॉल का इंश्योरेंस नहीं रहता है। किसी भी घटना के संबंध में दो बातें हो सकती हैं, एक या तो आपने बीमा कराया है या फिर नहीं कराया है। अगर आपने बीमा कराया है तो अच्छी बात है, अगर नहीं कराया है तो करा लेना चाहिए। अगर बीमा कराया है तो दुर्घटना का कारण, कितना नुकसान हुआ, बीमित राशि कितनी है इस आधार पर आपको इंश्योरेंस क्लेम मिल जाएगा। अगर बीमा नहीं है तो सरकार की ओर से कुछ राशि क्षतिपूर्ति के तौर पर मिल सकती है। लेकिन प्रॉपर्टी का इंश्योरेंस करा लेना चाहिए। इसके अलावा public liability insurance Policy भी जरूरी है, ताकि आपकी दुकान की वजह से अगर किसी तीसरे को नुकसान होता है तो उसका नुकसान बीमा कंपनी वहन करे। साथ ही अगर कहीं स्टॉल लगता है तो प्रशासन ऐसी व्यवस्था करे कि सबके बीमा का प्रबंध हो सके।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में तृतीय पक्ष दावा के प्रभारी जगदीश नारंग कहते हैं, 'ऐसी दुर्घटनाओं से आर्थिक तौर पर मदद पाने के लिए बीमा करा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार उपभोक्ता दुकान का बीमा तो कराते हैं लेकिन सामान बेचने के लिए दुकान के बाहर स्टॉल लगा लेते हैं। ऐसी परिस्तिथि में अगर कोई अनहोनी होती है तो आपको बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा। क्योंकि आपने बीमा दुकान का कराया था, जबकि आपने स्टॉल दुकान के बाहर लगाया था। इसलिए बाहर का एरिया उस बीमा में कवर नहीं होगा। ऐसी में आपको दुकान के बाहर का एरिया जहां आप स्टॉल लगाते हैं वहां का भी बीमा करा लेना चाहिए।
15 दिन के लिए भी करा सकते हैं बीमा
त्यौहार में मौसम में ज्यादा बिक्री से दुकानदार सामान को दुकान से बाहर निकालकर बेचते हैं। इसे स्टॉक इन ओपन या गुड्स इन ओपन कहते हैं। जगदीश नारंग कहते हैं, दुकान से बाहर के एरिया में जहां आप स्टॉल लगा रहे हैं वहां का भी बीमा करना लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये बीमा पन्द्र दिनों के लिए भी करा सकते हैं। हालांकि इसका प्रीमियम थोड़ा ज्यादा लगेगा, लेकिन किसी अनहोनी की दशा में आप भुगतान पाने के हक़दार होंगे। एक बात का ध्यान रखना होगा कि जिस जगह का बीमा कराया है दुकान वहीँ लगाई जाए। नहीं तो अगर आप किसी दूसरे जगह जाकर दुकान लगाते हैं तो कोई दुर्घटना सामने आती है तो आपको क्लेम नहीं मिलेगा।
कैसे कर सकते हैं क्लेम
नारंग ने कहा, दुर्घटना होने के बाद तुरंत इंश्योरेंस कंपनी को जानकारी देनी होगी। बीमा कंपनी को बताना होगा कि आपका कितना नुकसान हुआ है, दुर्घटना का कारण क्या रहा है ये सारी बातें साबित करनी होगी। इसमें अखबार की कतरन, FIR की कॉपी, फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट आपके काम आ सकती हैं। कितना नुकसान हुआ है, स्टॉक कितना बचा था, कितनी बिक्री हो गई थी ये सारी बातें बतानी होंगी।
संपत्ति बीमा के साथ अपने घर या दुकान की सुरक्षा करें
अगर आपकी दुकान, संपत्ति, या घर की संरचना प्रभावित हो गई है, जैसे दरवाजे, खिड़कियां टूट गई हैं, दीवार का एक हिस्सा नष्ट हो गया है, फर्श की टाइलें नष्ट हो गई हैं या छत की चादर उड़ गई है, संपत्ति या होम इंश्योरेंस इसे कवर करेगा अगर आपके पास इसमें 'बिल्डिंग' कवरेज है। अगर घर के अंदर की सामग्री जैसे फर्नीचर और उपकरण नष्ट हो गए हैं या कच्चा माल और तैयार माल खराब हो गया है, तो एक संपत्ति या होम इंश्योरेंस क्षति को कवर करेगा, यदि इसमें 'सामग्री और स्टॉक' कवरेज है।

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