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जरूरी है दावा प्रक्रिया को समझना

बीमा कंपनी की दावा प्रबंधन योग्यता ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने के लिए उनकी निर्णय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए बीमा कंपनी का प्रदर्शन मापने के लिए उसकी दावा पूर्ति की प्रक्रिया अहम मानदंड है। दावों का शीघ्र भुगतान करने के लिए लाभार्थी को निम्नलिखित बात

By Edited By: Published: Sun, 31 Aug 2014 11:58 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 05:45 AM (IST)
जरूरी है दावा प्रक्रिया को समझना

बीमा कंपनी की दावा प्रबंधन योग्यता ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने के लिए उनकी निर्णय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए बीमा कंपनी का प्रदर्शन मापने के लिए उसकी दावा पूर्ति की प्रक्रिया अहम मानदंड है। दावों का शीघ्र भुगतान करने के लिए लाभार्थी को निम्नलिखित बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए:

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जीवन बीमा कंपनी को सूचित करना:

सबसे पहले बीमा कंपनी को बीमित की मृत्यु के बारे में सूचित करना पड़ता है। इसे क्लेम इंटीमेशन के रूप में जाना जाता है। इसकी जानकारी जीवन बीमा कंपनी के शाखा/कार्यालय जाकर या ईमेल से दी जा सकती है। इसमें बीमित का नाम, मृत्यु की तिथि, मृत्यु का कारण, मृत्यु स्थान, दावेदार का नाम, दावेदार का बीमित से संबंध जैसी मूलभूत जानकारी शामिल होती हैं।

दावा भरने के समय जरूरी चीजें:

दावेदार की ओर से नगर निगम/ग्राम पंचायत द्वारा जारी मृत्यु प्रमाणपत्र जमा कराना अनिवार्य है। उचित ढंग से भरा गया दावा फॉर्म, जो कि जीवन बीमा कंपनी द्वारा दिया जाता है। कंपनी द्वारा दावा प्रोसेस करने के लिए पॉलिसी के दस्तावेज जमा कराना अनिवार्य है। दावेदार को तस्वीरें, एड्रेस प्रूफ, फोटो पहचान पत्र भी उपलब्ध कराना चाहिए। प्रमाण पत्र के अलावा बीमा कंपनियां दावेदार से बैंक खाता स्टेटमेंट जैसे अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराने की उम्मीद करती हैं, ताकि दावा राशि का भुगतान सही लाभार्थी को हो सके।

दावा जमा कराने की सीमा:

दावा जमा करने की कोई विशिष्ट समय सीमा नहीं होती, लेकिन विभिन्न समस्याओं व अनचाहे विलंब से बचने के लिए प्रक्रिया की शुरुआत जल्द से जल्द करनी चाहिए।

दावा प्रोसेसिंग के लिए समय सीमा:

बीमा कंपनियों द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज मिलने पर 30 दिनों के भीतर क्लेम प्रोसेस करना अनिवार्य है। इन दस्तावेजों के आधार पर ही दावे का फैसला किया जाता है। हालांकि, कुछ कंपनियां इसे जल्दी प्रोसेस करती हैं, ताकि उद्योग में नए मानदंड स्थापित किए जा सकें। कुछ कंपनियां 7-8 दिनों की अवधि में दावे का निपटान का वादा करती हैं। यदि निर्धारित समय में क्लेम का सेटलमेंट नहीं हो पाता है तो ग्राहकों को कंपनी की पॉलिसी में किए गए उल्लेख के मुताबिक ब्याज दिया जाता है।

शिकायत सुधार प्रणाली:

समाधान के लिए पॉलिसीधारक संबंधित बीमा कंपनियों के पास शिकायत कर सकते हैं। यदि पॉलिसी धारक कंपनी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह इरडा के इंटीग्रेटेड ग्रीवांस मैनेजमेंट सिस्टम (आइजीएमएस) से संपर्क कर सकता है। यदि पहले वाले विकल्प काम नहीं आते तो पॉलिसीधारक उपभोक्ता अदालत व इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन के पास जा सकता है।

विग्नेश शहाणे, सीईओ एवं डायरेक्टर, आइडीबीआइ फेडरल लाइफ इंश्योरेंस

पढ़ें: बीमा का दोहरा लाभ


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