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    कितनी आफत लाने वाला है Hormuz Strait? पेट्रोल, सब्जी से लेकर स्मार्टफोन तक क्या-क्या होगा महंगा

    Updated: Mon, 23 Jun 2025 08:43 PM (IST)

    Hormuz Strait: मध्य पूर्व में जारी तनाव और होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की आशंका ने दुनिया भर के व्यापार और भारत की चिंता बढ़ा दी है। इसका असर भारत के हर नागरिक की जेब पर पड़ सकता है। क्योंकि इसका असर पेट्रोल, किराने के सामान से लेकर स्मार्टफोन पर पड़ सकता है।

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    नई दिल्ली। मध्य पूर्व में जारी तनाव और होर्मुज जलडमरूमध्य (Hormuz Strait) के बंद होने की आशंका ने दुनिया भर के व्यापार और भारत की चिंता बढ़ा दी है। ये वही रास्ता है जिससे होकर भारत करीब 85% कच्चा तेल मंगाता है। अगर ये रास्ता कुछ समय के लिए भी बाधित हुआ, तो असर हर भारतीय की जेब पर पड़ेगा। चाहे वो गाड़ी में पेट्रोल भरवाता हो या किराने का सामान खरीदता हो।

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    होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने या उसमें रुकावट आने से सबसे पहला असर शिपिंग कॉस्ट और तेल की कीमतों पर पड़ेगा। भारत जैसे देश, जो अपने कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से लाते हैं, उन्हें ज्यादा दाम चुकाने पड़ सकते हैं। इससे न केवल पेट्रोल और डीजल महंगे होंगे, बल्कि बाकी आयातित सामान जैसे मोबाइल, टीवी, किचन अप्लायंसेज आदि की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। सामान पहुंचने में देरी होगी और कंपनियों की लॉजिस्टिक लागत बढ़ेगी। आखिर में इसका बोझ आम आदमी की जेब पर ही आएगा।

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    रोहित चतुर्वेदी, Forvis Mazars India

    कंटेनरों की कमी और लंबा रूट, बढ़ेगा मालभाड़ा

    अगर जहाजों को होर्मुज की बजाय लंबा चक्कर काटकर केप ऑफ गुड होप के रास्ते से लाया गया, तो यात्रा में 10 से 14 दिन की देरी होगी और खर्च भी बढ़ेगा। कंटेनरों की किल्लत हो सकती है, जिससे यूरोप-एशिया के व्यापार पर असर पड़ेगा। कंपनियों को अब ज्यादा भाड़ा देना होगा, ज्यादा समय लग सकता है और उन्हें सप्लाई चेन में रुकावट से बचने के लिए नए रास्ते और सोर्सिंग के विकल्प तलाशने होंगे।

    अब तक भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत आर्थिक हालात और घरेलू निवेश के दम पर अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन अगर कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, तो इसका असर देश की महंगाई, आर्थिक ग्रोथ और चालू खाता घाटे पर पड़ सकता है। तेल पर निर्भर सेक्टर जैसे ट्रांसपोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग और केमिकल्स की लागत बढ़ेगी, जिससे मुनाफा घटेगा। खासतौर पर मिडकैप कंपनियों में गिरावट देखी जा सकती है। विदेशी निवेशक भी सतर्क हो सकते हैं। हालांकि इस संकट के बीच रक्षा से जुड़े स्टॉक्स में तेजी आ सकती है, क्योंकि निवेशक उन सेक्टरों की ओर रुख करेंगे जो ऐसे भू-राजनीतिक माहौल में मजबूती दिखाते हैं।


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     रोहित सरिन, Client Associates के को-फाउंडर