दंगों से सरक रहा हिंदुत्व वोट का धु्रवीकरण
गुजरात दंगों के बाद भाजपा के पक्ष में हुआ हिन्दू वोटों का धु्रवीकरण अब अदालती फैसलों के कारण ढीला पढ़ने लगा है। दंगा मामलों में अब तकपटेल समाज के 50 से अधिक लोगों को सजा हो चुकी है।
अहमदाबाद। गुजरात दंगों के बाद भाजपा के पक्ष में हुआ हिन्दू वोटों का धु्रवीकरण अब अदालती फैसलों के कारण ढीला पढ़ने लगा है। दंगा मामलों में अब तकपटेल समाज के 50 से अधिक लोगों को सजा हो चुकी है।
माणसा उपचुनाव में भाजपा की हार को इस कारण से जोड़कर देखा जा रहा है। हालाकिमोदी अगला चुनाव भी विकास के मुद्दे पर ही लड़ने वाले हैं। लेकिन उनका जातिगत समीकरण इस बार गड़बड़ा सा गया है। काग्रेस ने भी इस बार दंगा के मुद्दों को ताक पर रखकर सरकार के भ्रष्टाचार पर फोकस कर रखा है।
अक्टूबर 2001 से गुजरात की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता का एक दशक पूरा करने केबावजूद गुजरात की राजनीति के सबसे चहेते चेहरे बने हुए हैं लेकिन इस बार पटेल समाज की नाराजगी महंगी पड़ सकती है। गुजरात दंगा, नर्मदा बांध, कपास निर्यात आदि प्रदेश केसंवेदनशील मुद्दे है। अब तक इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलता रहा है। लेकिन इस बार गुजरात दंगों पर आ रहे फैसले भाजपा का जायका बिगाड़ सकते है।
सरदारपुरा दंगे मामले में 31 तथा ओड दंगा मामले में पटेल समुदाय के 23 लोगों को सजा सुनाए जाने के बाद से पटेल समाज सकते में है। पिछले दो दिनों से आणद जिले के ओड में अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात है। बाजार व मौहल्ले सूने है तथा कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले है।
गत माह माणसा विधानसभा के उपचुनाव में पटेल समुदाय ने इसी नाराजगी के चलते भाजपा का दामन छोड़कर काग्रेस का पल्लू पकड़ लिया। हालाकि यह कहना मुश्किल है कि राज्य के एक करोड़ दस लाख लेउवा पटेल तथा पचास लाख से अधिक कड़वा पटेलों का राजनीतिक क्षेत्र में सर्वमान्य नेता जौन होगा
लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल के रहते अब इसके दावेदारों में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पुरुषोत्ताम रूपाला, गुजरात की राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल, भाजपा अध्यक्ष आर सी फलदू का नाम लिया जाता है जबकि केशूभाई के उत्ताराधिकारी के रूप में गुजरात दंगों के दौरान गृह राज्यमंत्री रहे एवं महागुजरात जनता पार्टी ने अध्यक्ष गोरधन झड़फिया का नाम आता है।
वैसे जलापूर्ति मंत्री नरोत्ताम पटेल, शहरी विकास मंत्री नीतिन पटेल, कृषि एवं कानून मंत्री दिलीप संघाणी, ऊर्जा राज्यमंत्री सौरभ पटेल भी क्षेत्रिय क्षत्रप के रूप में अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए है जबकि काग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के पुत्र एवं जीपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री नरहरी अमीन सरीखे नेता पटेलों को नेतृत्व करते है।
राज्यसभा सासद मनसुख माडविया के सम्मान समारोह के बारे में झड़फिया का कहना है कि पटेल समाज से पूछे बिना सूरत के स्थानीय लोगों ने समारोह का ऐलान कर दिया इसलिए यह विवाद हुआ। उनका यह भी आरोप है कि मोदी जनता को गुमराह करने का प्रयास करते है।
लेकिन इस बार कोई समाज उनकी बातों में आने वाला नहीं है, पटेल समाज आने वाले समय में नफा नुकसान मापकर अपना फैसला करेगा।
झड़फिया खुद मोदी के खिलाफ पटेल समाज को लामबद्ध करने में जुटे है तीन माह पहले खोडलधाम के शिलान्यास समारोह में बीस लाख लेउवा पटेलों को एकत्र कर वे अपनी ताकत दिखा चुके है। इसी दौरान कड़वा पटेल के भी करीब 25 लाख लोग माता उमियाधाम पर एकत्र हुए थे। चुनावी साल में पटेल समाज के दोनों ही धड़े सक्रिय है।
पटेलों का गढ माने जाने वाले सौराष्ट्र इलाकेमें मोदी वर्ष 2007 के चुनावों में वर्ष 2002 से भी दस सीटे अधिक जीतने में कामयाब रहे थे। लेकिन इस बार लग रहा है कि उन्हे सबसे बड़ी चुनौती भी इसी क्षेत्र से मिलने वाली है।
उधर कच्छ में अदाणी समूह को सस्ते भाव में आवंटित जमीनों के कारण स्थानीय लोगों में नाराजगी है। काग्रेस इसका भरपूर फायदा उठाने की फिराक में है। कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला ने चुनावी अभियान की शुरूआत भी कच्छ से ही की थी।
काग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने भी पार्टी की रणनीति बदलकर मोदी को गुजरात दंगा तथा फर्जी मुठभेड़ मामलों में घेरने के बजाए भ्रष्टाचार केमुद्दे पर फोकस कर लिया है। औद्योगिक समूहों को सस्ते दामों पर दी गई जमीनों तथा कैग की रिपोर्ट में साढे छब्बीस हजार करोड़ की अनियमितता के खिलाफ काग्रेस हिसाब दो जवाब दो परिवर्तन यात्रा निकाल रही है।
अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट समेत डेढ सौ से अधिक नगर पालिकाओं से यह यात्रा गुजरेगी उनकेअलावा नेता प्रतिपक्ष शक्ति सिंह गोहिल, पूर्व उपमुख्यमंत्री नरहरी अमीन आदि नेता इसका नेतृत्व कर रहे है।
भूकंप से फिर हिला गुजरात
अहमदाबाद। गुजरात में शनिवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.1 मापी गई। हालाकि भूकंप से जान माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। लेकिन दस साल बाद एक बार फिर कच्छ-भुज भूकंप धूज गया।
गांधीनगर सिस्मोलॉजिकल सेंटर के मुताबिक शुक्रवार रात्रि साढे बारह बजे कच्छ भुज में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। लेकिन शनिवार सुबह करीब नौ बने कच्छ के रापर व भचाऊ इलाके में रिक्टर स्केल पर 4.1 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। इसकेबाद सवा नौ बजे तथा पौने दस बजे भी भूकंप के हल्के झटकेमहसूस किए गए।
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