Move to Jagran APP

IPO क्या है और इसमें कैसे किया जाता है निवेश, जानिए इससे जुड़े आपके हर सवाल का जवाब

जब कंपनी कमाना शुरू करती है तो वह उचित समय पर शेयरधारकों को डिविडेंट्स के रूप में इनाम भी दे सकती है। अगर आप कंपनी की संभावनाओं और उसके प्रबंधन के प्रति आश्वस्त हैं तो आपके लिये यह समय कंपनी की ग्रोथ के साथ शामिल होने का है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 04:27 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 08:11 AM (IST)
IPO क्या है और इसमें कैसे किया जाता है निवेश, जानिए इससे जुड़े आपके हर सवाल का जवाब
What is an IPO P C : Flickr

नई दिल्ली, बलवंत जैन। अगर आप नियमित तौर पर अखबार पढ़ते हैं या समाचारों पर नजर रखते हैं तो हाल में आपने 'आईपीओ' शब्द का जिक्र कई बार सुना होगा। आपने यह पढ़ा होगा कि निवेशकों ने 2020 में आईपीओ से काफी अच्छे पैसे बनाए। ऐसे में अनायास आपके दिमाग में यह बात आती होगी कि आखिर यह आईपीओ होता है क्या और इसमें निवेश कैसे किया जाता है। दरअसल, आईपीओ (IPO) का अर्थ है "आरंभिक सार्वजनिक निर्गम" यानी 'इनिशियल पब्लिक ऑफर'। यह वह प्रक्रिया है, जिसके जरिए कोई कंपनी इश्यू लाकर पहली बार अपने शेयर लोगों को ऑफर करती है। यह एक नई कंपनी, एक उभरती हुई कंपनी या एक पुरानी कंपनी भी हो सकती है, जो एक्सचेंज पर लिस्टिंग का निर्णय लेती है और पब्लिक के बीच जाती है।

prime article banner

एक आईपीओ के माध्यम से लोगों को कंपनी की प्रगति में भाग लेने का मौका मिलता है। आईपीओ एक कंपनी को अपने परिचालन के क्षेत्र और अपने स्तर के विस्तार के लिए लोगों से संसाधन जुटाने का मौका देता है, क्योंकि किसी भी कारोबार को बड़े स्तर पर संचालित करने के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है।

यह धन या तो बैंकों से लोन के रूप में जुटाया जा सकता है या यह शयरों के पब्लिक इश्यू द्वारा लोगों को अपने शेयर बेचकर जुटाया जा सकता है। बैंक से लोन लेने पर कंपनी को नियमित रूप से ब्याज का भुगतान करना होता है। यह कंपनी की स्थिर लागत को बढ़ाता है। वहीं, पब्लिक इश्यू के जरिए धन जुटाने में कोई आवर्ती लागत नहीं होती है। इससे कंपनी को अपनी लाभप्रदता को प्रभावित किये बिना अपने संसाधन जुटाने में मदद मिलती है।

जब कंपनी कमाना शुरू करती है, तो वह उचित समय पर शेयरधारकों को डिविडेंट्स के रूप में इनाम भी दे सकती है। अगर आप कंपनी की संभावनाओं और उसके प्रबंधन के प्रति आश्वस्त हैं, तो आपके लिये यह समय कंपनी की ग्रोथ के साथ शामिल होने का है। यह एक ऐसा समय होगा, जब आप कंपनी के शेयरों को सस्ती कीमत पर प्राप्त कर सकते हैं।

आईपीओ के दौरान, शेयर या तो सममूल्य पर पेश किये जा सकते हैं या इसकी फेस वैल्यू के सापेक्ष प्रीमियम पर पेश किये जा सकते हैं। सभी स्थापित कंपनियां आमतौर पर प्रीमियम पर अपने शेयरों की पेशकश करती हैं। जितने शेयरों की पेशकश की जाती है, अगर उससे अधिक संख्या में आवेदन शेयरों के लिए आते हैं, तो उसे ओवरसब्सक्रिप्शन कहते हैं। ऐसी परिस्थिति में आपको या तो आवेदन की तुलना में कम शेयर मिल पाते हैं, या आप आवंटन से भी वंचित रह सकते हैं। अगर शेयर का मूल्य आईपीओ के प्राइस बैंड से कई ज्यादा हो जाने की उम्मीद है, तो शेयर आवंटन की संभावना कम रहती है।   

आईपीओ में आवेदन करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए, जहां आवंटित हुए शेयर क्रेडिट होते हैं। एक बार जब शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध हो जाते हैं और वे आपके डीमैट अकाउंट में भी क्रेडिट हो जाते हैं। आप उन शेयरों को या तो बेच सकते हो या आप कंपनी की ग्रोथ के बारे में आश्वस्त हो, तो उन्हें अपने पास रख भी सकते हो। आपको इश्यू प्राइस से ऊपर प्राप्त किसी भी लाभ के लिए होल्डिंग पीरियड पर निर्भर दर के हिसाब से कर का भुगतान करना होता है।

(लेखक टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK