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    PF खाते में सालाना योगदान पर मिले ब्याज पर कब और कितना लगेगा टैक्स? एक्सपर्ट से जानें सभी नियम

    नए नियमों के मुताबिक किसी कर्मचारी के पीएफ खाते में सालाना 2.5 लाख रुपये के योगदान पर अर्जित ब्याज टैक्स-फ्री होगा। हालांकि 2.5 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर अर्जित ब्याज पर कर्मचारी को टैक्स देना होगा। आइए एक्सपर्ट से सभी नियम जानते हैं।

    By Sarveshwar PathakEdited By: Updated: Wed, 27 Jul 2022 07:34 PM (IST)
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    taxed on interest earned on annual contribution in PF account know rules by experts Archit Gupta

    नई दिल्ली, अर्चित गुप्ता। फाइनेंस एक्ट 2021 में किए गए संशोधन के बाद से अब प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) बैलेंस पर अर्जित ब्याज कर के दायरे में आएगा। यह संशोधन 1 अप्रैल 2022 से प्रभावी हो गया है। संशोधन से पहले आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 के तहत पीएफ बैलेंस पर अर्जित ब्याज में कर से पूरी छूट मिली हुई थी। इस संशोधन के अनुसार, इसमें छूट की सीमा को को लेकर दो शर्तों का प्रावधान है। सरकारी कर्मचारियों के लिए 5 लाख रुपये (जहां नियोक्ता ईपीएफ में योगदान नहीं करता है) और अन्य कर्मचारियों के मामले में 2.5 लाख रुपये (जहां नियोक्ता भी ईपीएफ में योगदान देता है)।

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    टैक्स के नए नियम

    नए नियमों के मुताबिक किसी कर्मचारी के पीएफ खाते में सालाना 2.5 लाख रुपये के योगदान पर अर्जित ब्याज टैक्स-फ्री होगा। हालांकि, 2.5 लाख रुपये से अधिक के योगदान पर अर्जित ब्याज पर कर्मचारी को टैक्स देना होगा। यदि कोई नियोक्ता कर्मचारी के पीएफ खाते में योगदान नहीं करता है, तो इस मामले में लागू सीमा कर्मचारी के योगदान की 5 लाख रुपये होगी।

    गणना के लिहाज से, पीएफ ऑफिस या कर्मचारी का पीएफ ट्रस्ट मुख्य तौर पर पीएफ खाते के तहत दो खातों का रखरखाव करेगा:

    1. सीमा के भीतर योगदान (गैर-कर योग्य योगदान अकाउंट)
    2. सीमा से अधिक योगदान के लिए (कर योग्य योगदान अकाउंट)

    ऐसे खातों को वित्त वर्ष 2021-22 और बाद के वर्षों के लिए बनाए रखना होगा। अतिरिक्त अंशदान पर ब्याज कर के दायरे में आएगा न कि अंशदान के अंतर्गत। 31 मार्च, 2021 तक ईपीएफ खाते की बैलेंस राशि गैर-कर योग्य अकाउंट का हिस्सा होगा। गैर-कर योग्य खाते पर ब्याज पहले की तरह कर मुक्त रहेगा।

    कर योग्य खाते पर अर्जित ब्याज पर हर साल कर का भुगतान करना होगा। कर योग्य खाते में पिछले वर्षों के संचय धन को आगे के वर्षों के लिए बढ़ा दिया जाएगा और उस पर अर्जित ब्याज के साथ-साथ वर्ष के दौरान किए गए योगदान पर अर्जित ब्याज पर टैक्स लगेगा।

    कर योग्य पीएफ ब्‍याज पर टीडीएस कटौती

    आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194ए के तहत ऐसे ब्याज पर टीडीएस (स्रोत पर कर) की कटौती की जाएगी। इस धारा के अनुसार, आय का भुगतानकर्ता टीडीएस काटने के लिए उत्तरदायी है। इसलिए प्रॉविडेंट फंड ऑफिस या ईपीएफ ट्रस्ट टीडीएस काटेगा।

    निवासी भारतीयों के मामले में, लागू टीडीएस दर 10% है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पीएफ खाता एक वैध पैन (स्थायी खाता संख्या) से जुड़ा हो। ऐसा नहीं होने की स्थिति में यह 20% होगा। हालांकि, टीडीएस तभी काटा जाएगा, जब ब्याज राशि 5,000 रुपये से अधिक होगी।

    अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के मामले में, आयकर अधिनियम की धारा 195 के अनुसार 30% टीडीएस काटा जाएगा। हालांकि, अगर डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) के तहत उल्लिखित दरें फायदेमंद हैं, तो ऐसी दरें लागू होंगी। पीएफ खाते को पैन से लिंक करना अनिवार्य है। अन्यथा, लागू टीडीएस दर 30% होगा। 4% सेस और लागू दरों पर सरचार्ज गैर-निवासियों को भुगतान पर टीडीएस के साथ कटौती योग्य है। हालांकि, यदि डीटीएए प्रावधानों के अनुसार टीडीएस की कटौती की जाती है, तो ये शुल्क लागू नहीं होते हैं।

    पीएफ ब्याज पर देय टैक्स

    साल के दौरान कर योग्य पीएफ खाते में जमा किए गए ब्याज पर टैक्स देना होता है। इस तरह के ब्याज को 'अन्य स्रोतों से आय' के तहत शामिल किया जाना चाहिए। टैक्स की गणना लागू टैक्स स्लैब दरों के अनुसार की जानी है। एक व्यक्ति ब्याज आय से काटे गए टीडीएस के लिए टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकता है।

    नोट- यह लेखक अर्चित गुप्ता संस्थापक और सीईओ क्लियर के निजी विचार हैं।