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Mutual Fund Investment Tips : डिविडेंड प्लान लाभांश नहीं, उसका भ्रम देते रहे हैं, अब बदल गया इसका नाम

Mutual Fund Investment Tips दो महीने पूर्व तक डिविडेंड को प्लान की बिक्री बढ़ाने की ट्रिक समझा जाता था। इस ट्रिक का इस्तेमाल म्यूचुअल फंड स्कीम बेचने वाले और डिस्ट्रीब्यूटर निवेशकों को लुभाने के लिए करते थे।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 10:24 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 06:46 PM (IST)
Mutual Fund Investment Tips : डिविडेंड प्लान लाभांश नहीं, उसका भ्रम देते रहे हैं, अब बदल गया इसका नाम
Mutual Fund Investment Tips P C : Pixabay

नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। सेबी ने म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान का नाम बदलकर इनकम डिस्ट्रीब्यूशन-कम-कैपिटल विड्रॉअल प्लान रखने का फैसला किया है। यह बहुत देर से लिया गया बहुप्रतीक्षित फैसला है, क्योंकि असल में म्चूचुअल फंड ने कभी लाभांश का भुगतान किया ही नहीं। फिर इस फंड के नाम पर अब तक हो क्या रहा था और क्या मिलेगा नाम बदलने से?

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पिछले दिनों सेबी ने म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान का नाम बदल दिया है। हालांकि, म्यूचुअल फंड में डिविडेंड जैसी चीज कभी नहीं थी। जिसे पहले डिविडेंड कहा जाता था, उसे अब डिस्ट्रीब्यूशन कहा जाएगा और म्यूचुअल फंड डिविडेंड प्लान को अब इनकम डिस्ट्रीब्यूशन-कम-कैपिटल विड्रॉअल (आइडीसीडब्ल्यू) प्लान कहा जाएगा। यह नाम एकदम सटीक है, क्योंकि सही मायनों में म्यूचुअल फंड में कभी डिविडेंड का भुगतान नहीं किया जाता था। यह हमेशा एक भ्रम था। डिविडेंड हमेशा से आइडीसीडब्ल्यू ही था। हालांकि, काफी निवेशकों को अब भी यही लगता है कि उनके अकाउंट में आने वाला भुगतान डिविडेंड था। ऐसा बिल्कुल भी नहीं था।

दो महीने पूर्व तक डिविडेंड को प्लान की बिक्री बढ़ाने की ट्रिक समझा जाता था। इस ट्रिक का इस्तेमाल म्यूचुअल फंड स्कीम बेचने वाले और डिस्ट्रीब्यूटर निवेशकों को लुभाने के लिए करते थे। जब भी कोई फंड डिविडेंड के साथ आता था, तो फंड बेचने वाले इसे संभावित निवेशकों को सुबूत के तौर पर दिखाते थे कि यह एक अच्छा फंड है। हालांकि, सेबी ने हाल के वर्षों में इस खेल को लगभग स्पष्ट कर दिया था। फिर भी इसे फंड की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा।

आखिर डिविडेंड या आइडीसीडब्ल्यू है क्या? मान लेते हैं कि फंड में आपकी 1,000 यूनिट हैं। प्रत्येक यूनिट की फेस वैल्यू 10 रुपये और नेट असेट वैल्यू यानी एनएवी 20 रुपये है। इस तरह से आपके निवेश की कीमत 20,000 रुपये है। अब फंड 20 फीसद डिविडेंड घोषित करता है। यह फेस वैल्यू का 20 फीसद यानी 10 रुपये का 20 फीयद यानी दो रुपये प्रति यूनिट बनता है। आपको 1,000 यूनिट के लिए 2,000 रुपये मिलेंगे।

हालांकि, यह रकम सीधे आपके निवेश की वैल्यू से आएगी। रिकॉर्ड तिथि को आपके फंड की एनएवी 20 रुपये से गिरकर 18 रुपये हो जाएगी। इसका मतलब है कि जब आपको 2,000 रुपये डिविडेंड/आइडीसीडब्ल्यू के तौर पर मिलेंगे तो आपके निवेश की वैल्यू भी 2000 रुपये कम हो जाएगी।

इस तरह से आपको कोई फायदा नहीं हुआ। वित्तीय तौर पर देखें तो इसका मतलब है कि आपने अपने फंड से ही रकम निकाल ली है।डिविडेंड के नाम पर पेमेंट लेने का मतलब है कि अपनी ही रकम से कुछ रकम निकाल कर खुद को देना। जब तक आपको रकम की जरूरत न हो तब तक इक्विटी फंड में डिविडेंड ऑप्शन लेने का कोई मतलब नहीं है। अगर आपको इनकम की जरूरत भी है तो बेहतर है कि ग्रोथ ऑप्शन चुना जाए और अपनी जरूरत और चुने हुए समय पर रकम निकाल ली जाए।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि डिविडेंड पर लोगों का भरोसा इतना ज्यादा है और यह भरोसा लंबे समय तक बना रहा। डिविडेंड प्लान का नाम बदलने का फैसला सही मायने में दशकों पहले किया जाना चाहिए था। हालांकि इसका नाम बदलने की जरूरत पर लंबे समय तक सार्वजनिक तौर पर चर्चा की गई। लेकिन यह साफ है कि डिविडेंड शब्द को भुलाने में कुछ सालों का समय लगेगा। अब जब डिविडेंड प्लान का नाम बदल दिया गया है तो कम से कम बेहतर समझ रखने वाले निवेशकों को डिविडेंड के भ्रम से बाहर निकल जाना चाहिए।

(लेखक वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन डॉट कॉम के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)


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