Mutual Funds में निवेश से पहले इन 3 जोखिमों को समझें, नुकसान से बचने में हैं मददगार
विभिन्न प्रकार के जोखिमों की बात करें तो इक्विटी में शामिल जोखिमों को कम करने के लिए पर्याप्त रणनीतियां हैं। विभिन्न शेयरों सेक्टर्स निवेश शैलियों आदि ...और पढ़ें

नई दिल्ली, अजीत मेनन। म्युचुअल फंड जैसे मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट में निवेश करते समय, हम सभी को पहले इसमें हमेशा ही मौजूद रहने वाले जोखिमों को समझना होगा और फिर यह भी समझना होगा कि जोखिम को पूरी तरह से नष्ट या समाप्त नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे केवल कम या ट्रांसफर ही किया जा सकता है। जोखिम को ट्रांसफर करने का सीधा सा मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति आवश्यक सीमा तक रिटर्न प्राप्त करने के लिए अभी जोखिम नहीं लेता है। और यदि प्राप्त राशि सोची गई रकम से कम रह जाती है तो वह बाद में बहुत अधिक जोखिम उठा सकता है। दूसरी ओर जोखिम को कम करने का अर्थ है जहां तक संभव हो इसे कम करना और इस प्रकार परिणाम को सबसे बेहतर स्तर तक ले जाना।
इक्विटी में निवेश करने वाले प्रोडक्ट के लिए, दो सबसे चर्चित जोखिम हैं, पहला अव्यवस्थित जोखिम (सेक्टर या कंपनी पर केंद्रित) और दूसरा व्यवस्थित जोखिम (पूरे बाजार में निहित जोखिम, उदाहरण के लिए युद्ध)। कई विशेषज्ञ अस्थिरता और जोखिम के बीच के अंतर पर भी प्रकाश डालते हैं। अस्थिरता केवल कीमतों में रोजाना का उतार-चढ़ाव है, जबकि जोखिम को दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों या परिणामों को तैयार करने या प्राप्त करने में असमर्थता के रूप में माना जा सकता है। इस प्रकार, इक्विटी को अस्थिर कहा जा सकता है लेकिन शायद वह जोखिम भरा नहीं है, जबकि एक गारंटेड, पारंपरिक, फिक्स इनकम प्रोडक्ट देखने में स्थिर लेकिन अपेक्षाकृत जोखिम भरे हो सकते हैं।
विभिन्न प्रकार के जोखिमों की बात करें, तो इक्विटी में शामिल जोखिमों को कम करने के लिए पर्याप्त रणनीतियां हैं। विभिन्न शेयरों, सेक्टर्स, निवेश शैलियों आदि पर पोर्टफोलियो को एक बिंदु तक डायवर्सिफाइड कर अव्यवस्थित जोखिम को कम किया जा सकता है, जबकि सिर्फ समय सीमा को बढ़ाकर और इक्विटी को पर्याप्त लंबे समय तक होल्ड कर ही व्यवस्थित जोखिम को एक हद तक कम किया जा सकता है। हम कॉरपोरेट गवर्नेंस मानकों, कमाई के ट्रैक रिकॉर्ड और स्थिरता, दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य और पूंजी दक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि ये कुछ ऐसे कारक हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे पोर्टफोलियो में जोखिम काफी हद तक कम हो। स्टॉक को चुनने के लिए हमारा दूसरे स्तर का फिल्टर कम डेट टु इक्विटी रेशियो, पिछली साइकिल में सकारात्मक ऑपरेटिंग कैशफ्लो से लेकर हमारे पोर्टफोलियो में अनिवार्य रूप से तैयार डाउनसाइड प्रोटेक्शन पर आधारित होता है।
हम पीईजी अनुपात (मूल्य/आय से वृद्धि) जैसे विभिन्न अन्य मापदंडों को देखते हुए इसमें मदद करते हैं। यह हमें बताता है कि हम इस बात को लेकर सचेत हैं कि हम भविष्य के ग्रोथ पोटेंशियल के लिए आज कितना भुगतान कर रहे हैं। एक हालिया उदाहरण हमारे प्रोसेस को बखूबी बयां करता है, जिसमें कुछ नए युग की टेक कंपनियों के आईपीओ से दूर रहने के कारण हम बड़ी गिरावट से बचने में सफल रहे हैं। सकारात्मक नकदी प्रवाह पर हमारे इन्वेस्टमेंट फिल्टर ने इस मामले में हमारे पक्ष में काम किया है।
तीसरे प्रकार का जोखिम जिसके बारे में विशेषज्ञ कम ही बात करते हैं, वह है व्यवहार जोखिम। यह मनी मैनजर्स और इन्वेस्टर्स दोनों के रूप में हमारे पूर्वाग्रहों से संबंधित है। यह हमें डेटा को निष्पक्ष रूप से देखने से रोकता है और इस तरह त्रुटियां पैदा होती हैं। इनकी वजह से कभी-कभी पूंजी का स्थायी नुकसान हो सकता है। बेहतर रिटर्न की उम्मीद में उन शेयरों को होल्ड करने की प्रवृत्ति, जिनके फंडामेंटल में कमी आने के कारण उनके मूल्य में गिरावट आई है, ऐसा ही एक उदाहरण है। लोकप्रिय रूप से इसे डिसपोजीशन इफेक्ट के रूप में जाना जाता है, यहां हम अपने घाटे वाले शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में रखते हुए अपने मुनाफे वाले शेयरों को बेचते हैं। वास्तव में, अन्य पहलू भी हैं जो हमारी मदद करते हैं जैसे इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट टीम जो कि आंतरिक रूप से अपने विभिन्न दृष्टिकोणों पर चर्चा करती है। यह व्यवहार जोखिम में कमी लाने के लिए भी काम करती है, क्योंकि यहां विचारों पर विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण रखते हुए काफी गहन चर्चा की जाती है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, निवेश प्रक्रियाएं पोर्टफोलियो में तीनों प्रकार के जोखिमों को कम करने के लिए सटीक रूप से स्थापित की गई हैं। यह कभी-कभी अल्पावधि में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन का कारण बन सकता है, लेकिन अंततः बाजार वास्तविकताओं को स्वीकार करता है और फंडामेंटल के साथ लंबी अवधि में शेयर की कीमतों में बढ़ोतरी होती है। इस प्रकार ध्यान लंबी अवधि में अपने निवेशकों के लिए रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न देने पर रहता है। इसलिए, यदि कोई व्यक्ति इक्विटी लिंक्ड प्रोडक्ट में वॉलैटिलिटी को लेकर सहज है, लेकिन निवेश में किसी भी अवांछित जोखिम को कम करना चाहता है, तो ऐसी स्थिति में एक उद्देश्यपूर्ण और प्रोसेस- के अनुरूप चलने वाले पोर्टफोलियो के पास लंबी अवधि में ऐसा कर पाने का एक बेहतर मौका होता है।
(लेखक पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)

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