Global Share Market: अतिरिक्त विविधता की लिये वैश्विक बाजारों में करें निवेश, मिलेंगे पैसा बनाने के बढ़िया मौके
Investment in Global Stock Markets वैश्विक रूप से अलग-अलग बाजारों ने अलग-अलग अवधि में बेहतर प्रदर्शन किए हैं और विजेताओं ने दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने निवेश को घुमाया है क्योंकि अच्छा और खराब प्रदर्शन करने वाले कई बार साल-दर-साल आधार पर भी बदलते रहते हैं।
नई दिल्ली, सिद्धार्थ श्रीवास्तव। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती एक अर्थव्यवस्था के रूप में भारत वैश्विक आर्थिक तंत्र से गहराई से जुड़ा हुआ है। इसके बावजूद दुनिया के इक्विटी बाजार में भारत का हिस्सा महज 3 फीसदी ही है। इसका मतलब यह है कि एक विशाल वैश्विक दुनिया ऐसी है, जहां तक भारतीय निवेशकों की अभी पहुंच नहीं हो पाई है।
निवेशक कई वजहों से वैश्विक बाजारों की ओर देख सकते हैं। किसी एक देश या कई देशों में निवेश के लिए या किसी एक खास सेक्टर या किसी उभरते थीम में एक्सपोजर के लिए, जो उन्हें देसी बाजार में नहीं मिल पाता।
वैश्विक निवेश से आपके पोर्टफोलियो में संपदा सृजन का अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध होता है और जोखिम से बचने के लिए विविधता तैयार करने में मदद मिलती है।
वैश्विक रूप से अलग-अलग बाजारों ने अलग-अलग अवधि में बेहतर प्रदर्शन किए हैं और विजेताओं ने दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने निवेश को घुमाया है, क्योंकि अच्छा और खराब प्रदर्शन करने वाले कई बार साल-दर-साल आधार पर भी बदलते रहते हैं।
वास्तव में यदि हम बेंचमार्क सूचकांकों की तुलना करें तो अमेरिकी बाजारों ने भारतीय बाजारों के मुकाबले पिछले 3,5,10 साल में अपनी स्थानीय मुद्रा में निवेशकों के लिए ज्यादा संपदा का सृजन किया है और रुपये के मद में देखें तो भी उनका रिटर्न ज्यादा रहा है। यहां निवेशकों को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि लॉन्ग टर्म में रुपये की गिरावट और अमेरिकी डॉलर जैसी करेंसी में मजबूती से रिटर्न और बढ़ता है, तथा इसका उलटा भी हो सकता है। इसलिए यदि निवेशकों के अपने जोखिम प्रोफाइल के हिसाब से फिट बैठता है तो उन्हें घर का मोह छोड़कर ऐसे अवसरों के दोहन का मौका नहीं छोड़ना चाहिए।
अब इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र आपको निवेश के अलग-अलग अवसर प्रदान करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी काफी हद तक आईटी कंसल्टेंसी, बीएफएसआई, तेल एवं गैस जैसे परंपरागत सेक्टर के नेतृत्व में आगे बढ़ रही है, जबकि वैश्विक स्तर पर ऐसे टेक्नोलॉजी आधारित फर्मों पर जोर है जो विविध तरह के ऐसे मेगा ट्रेंड का हिस्सा हैं जो कि अपनी स्वभाव के हिसाब से हलचल पैदा करने वाले हैं और काम करने के तरीकों को ही बदल रहे हैं।
अब दुनिया भर में उभरने वाले लोकप्रिय थीम में रोबोटिक्स एवं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इलेक्ट्रिक व्हीकल, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन्स, ब्लॉक चेन, डिजिटल इकोनॉमी शामिल हैं। इन उभरते हुए थीम की वैश्विक निवेशकों के पोर्टफोलियो में हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। भारतीय इक्विटी में निवेश से आपका एक्सपोजर अर्थव्यवस्था के पुराने थीम से होता है, इसलिए ऐसे थीम या मेगा ट्रेंड में हिस्सेदारी चाहते हैं तो आपको निवेश के लायक वैश्विक बाजारों की ओर देखना होगा।
हर व्यक्ति के अपने उद्देश्य और लक्ष्य के मुताबिक वैश्विक निवेश को निवेशकों के एसेट आवंटन का हिस्सा बनाया जा सकता है। चाहे निवेशक टेक शेयरों में निवेश पर जोर दे रहा हो, क्योंकि ऐसे थीम भारत में उपलब्ध नहीं हैं या वह अपने जोखिम और रिटर्न प्रोफाइल के आधार पर सामान्य तरीके का एक्सपोजर चाहता हो।
अमेरिका जैसे विकसित देशों में वित्तीय बाजार सूचना के लिहाज से काफी सक्षम हैं, जिसकी वजह से एक्टिव फंड के लिए बेंचमार्क इंडेक्स के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करना कठिन होता है और वह भी लगातार और लागत के बाद वाले आधार पर। उदाहरण के लिए अमेरिका पर आधारित साल 2020 की SPIVA की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार 11वें साल एक्टिव लार्ज कैप फंड का प्रदर्शन व्यापक सूचकांकों जैसे S&P500 के मुकाबले औसतन कमतर ही रहा है। यहां तक कि फीडर फंडों में, जो कि एक्टिव फंडों में निवेश करते हैं, बेंचमार्क इंडेक्स के मुकाबले कमतर प्रदर्शन के जोखिम के साथ ही लागत ज्यादा होती है।
ईटीएफ या ईटीएफ आधारित फंड ऑफ फंड जैसे पैसिव उत्पाद जो कि किसी इंडेक्स के प्रदर्शन पर नजर रखते हैं, संभवत: निवेश के लिए ज्यादा उपयुक्त हो सकते हैं, क्योंकि उनमें लागत कम होती है और ज्ञात मेथडोलॉजी के साथ उनका पोर्टफोलियो पारदर्शी होता है। इसके अलावा, पैसिव उत्पादों के द्वारा निवेश कर निवेशक फंड मैनेजर से जुड़े ऐसे जोखिम को खत्म या कम से कम कर सकता है, जिसकी वजह से कई बार कमतर प्रदर्शन मिलता है। ईटीएफ आधारित फंड ऑफ फंड निवेशकों को यह अवसर प्रदान करता है कि वह किसी सामान्य म्यूचुअल फंड के द्वारा एकमुश्त आधार पर या एसआईपी या एसटीपी के द्वारा टुकड़ों-टुकड़ों में किसी ईटीएफ में निवेश कर सके।
विदेशी बाजारों में निवेश के अवसर तलाशने के लिए निवेशकों को सबसे पहले अपने जोखिम प्रोफाइल और निवेश लक्ष्य से वाकिफ होना चाहिए। ऐसा फंड चुनें जो कि आपकी प्रोफाइल और लक्ष्य से मेल खाता हो और इसमें लागत को भी ध्यान में रखना होगा. आदर्श रूप में निवेशक पहले छोटे आवंटन (उदाहरण के लिए 5 फीसदी से) शुरुआत कर सकता है और इसके बाद आगे चलकर धीरे-धीरे अपने आवंटन को बढ़ा सकता है। एक्टिव म्यूचुअल फंड्स में बहुत तरह के विकल्पों की उपलब्धता को देखते हुए और ईटीएफ जैसे लागत के हिसाब से किफायती पैसिव उत्पादों की वजह से ऐसा निवेश अब पहले की तुलना में काफी आसान हो गया है।
(लेखक सिद्धार्थ श्रीवास्तव, प्रमुख, उत्पाद - ईटीएफ, मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)