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    Inflation Worries: क्‍या महंगाई बढ़ाने में क्रेडिट कार्ड्स भी निभाते हैं भूमिका? जानें क्‍या है एक्‍सपर्ट की राय

    By Saurabh VermaEdited By:
    Updated: Wed, 15 Jun 2022 07:00 AM (IST)

    Credit cards fueling the inflation कई लोग ऐसा सोचते हैं कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले अधिकतर लोगों के पास पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि अमीर लोग क्रेडिट कार्ड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।

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    Photo Credit - Credit Card File Photo

    नई दिल्‍ली, प्रांजल कामरा। हां! आपके क्रेडिट कार्ड की वजह से महंगाई बढ़ रही है। निश्चित रूप से यह लेनदेन को सुविधाजनक बनाता है, सिक्योरिटी को सुनिश्चित करता है और आज के समय में यह रिवॉर्ड हासिल करने का एक शानदार मौका भी है लेकिन क्रेडिट कार्ड कंपनियों का मॉडल जैसा हमें दिखता है, उससे कहीं बढ़कर है।

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    कई लोग ऐसा सोचते हैं कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले अधिकतर लोगों के पास पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि अमीर लोग क्रेडिट कार्ड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। वे 45 दिन के ब्याज रहित लोन का इस्तेमाल अमूमन इंटरेस्ट आर्बिट्रेशन के लिए करते हैं। वे आम तौर पर ऐसी कंपनी का क्रेडिट कार्ड लेना चाहते हैं, जो ज्यादा रिवॉर्ड देती है। लेकिन यह कंपनियां भारी-भरकम रिवॉर्ड पर इतनी अधिक धनराशि कैसे खर्च करती हैं। यह आम तौर पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट से जुड़ा हुआ है। यह चार्ज उस मर्चेंट से लिया जाता है, जिसके यहां कार्ड को स्वाइप किया गया था।

    उदाहरण के लिए, X नामक एक क्रेडिट कार्ड कंपनी किराना के सामान पर 2-4% का डिस्काउंट देती है। कोई व्यक्ति ‘W Provisions’ से X कंपनी के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हुए ग्रॉसरी खरीदता है और चार प्रतिशत की छूट प्राप्त करता है। अब आप ही अंदाजा लगाइए कि चार प्रतिशत का नुकसान किसे हुआ होगा?

    यह नुकसान W Provision को उठाना पड़ा होगा! आखिरकार, उसे डिस्काउंट के बराबर की रकम क्रेडिट कार्ड कंपनी को देनी पड़ेगी। अब सवाल ये उठता है कि कोई भी प्रोविजन स्टोर X कार्ड के इस्तेमाल के जरिए ग्रॉसरी खरीदने वाले हर ग्राहक पर इतना अधिक नुकसान क्यों उठाता है? जवाब बिल्कुल साफ है; एक कस्टमर के तौर पर अगर आपको W Provisions में डिस्काउंट नहीं मिलता है तो आप किसी और स्टोर पर चले जाएंगे।

    इस तरह ये पूरा चक्र कुछ इस प्रकार चलता हैः

    • मर्चेंट क्रेडिट कार्ड कंपनी द्वारा लगाए गए चार्ज के भुगतान के लिए तैयार हो जाता है;
    • क्रेडिट कार्ड कंपनी ग्राहक को कमीशन की राशि रिवॉर्ड के रूप में दे देती है।
    • ग्राहक मर्चेंट और क्रेडिट कार्ड कंपनी दोनों से जुड़ा रहता है।

    अब युवाओं के फेवरिट Apple प्रोडक्ट्स के जरिए आइए समझते हैं कि आपका क्रेडिट कार्ड किस तरह महंगाई बढ़ाने में मददगार साबित होता है।

    कुछ ग्राहक 'Z Mobiles' नामक मर्चेंट स्टोर पर विजिट करते हैं और अपने प्रीमियम क्रेडिट कार्ड (एक ही कंपनी) का इस्तेमाल करते हुए iPhones और iPads खरीदते हैं। इन क्रेडिट कार्ड्स के इस्तेमाल पर इन्हें 6-7% का रिवॉर्ड मिलता है। मान लीजिए कि Apple Products की बिक्री पर Z Mobiles का मार्जिन 8% का है। इनमें से 5-6% राशि वह मर्चेंट डिस्काउंट रेट के नाम पर क्रेडिट कार्ड कंपनी को दे देता है।

    अब ऐसे में 1-2% के मार्जिन पर कारोबार करना तो वाकई में मुश्किल है न? स्वाभाविक तौर पर Z Mobiles जैसे मर्चेंट्स डिस्ट्रिब्यूटर्स और परोक्ष रूप से Apple से उनका मार्जिन बढ़ाकर 10% करने या Apple Products का दाम बढ़ाने के लिए कहता है। अब अगर Apple मर्चेंट का मार्जिन 2% बढ़ाती है, तो उसे मर्चेंट का मार्जिन 2% बढ़ाना होगा। इससे प्रोडक्ट्स की कीमत कम-से-कम 2% बढ़ जाएगी और इससे महंगाई दर बढ़ जाएगी। क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड से जुड़ी इस प्रकार की महंगाई गहने, किराना के सामान इत्यादि में भी देखने को मिल सकती है।

    • कुल-मिलाकर इस पूरे चेन की वजह से महंगाई कुछ इस प्रकार बढ़ जाती है। 
    • मर्चेंट डिस्ट्रिब्यूटर्स को उनका मार्जिन बढ़ाने के लिए बाध्य करते हैं। 
    • डिस्ट्रिब्यूटर्स कंपनियों पर दबाव डालते हैं।
    • कंपनियां इससे संबंधित सभी पक्षों के मार्जिन में सुधार के लिए प्रोडक्ट्स की कीमतों में इजाफा कर देती हैं।

    इन सबका बोझ किस पर आता है? ऐसे आम आदमी पर जो बिना किसी डेबिट या क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड के इन प्रोडक्ट्स को खरीदता है। बेहद अमीर लोग डिस्काउंट हासिल कर लेते हैं; मर्चेंट और डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए प्रोडक्ट की कीमतों में इजाफा हो जाता है। बाकी लोग बढ़े हुए दाम पर इन प्रोडक्ट्स को खरीदते हैं।

    कुल-मिलाकर, बात भुगतान में देरी पर लगने वाले ब्याज से जुड़ा हुआ नहीं है जहां क्रेडिट कार्ड कंपनियों को थोड़ी अधिक कमाई हो जाती है। बल्कि यह कई छिपे हुए पैरामीटर्स से जुड़ा हुआ है। इनमें मर्चेंट डिस्काउंट रेट्स और ग्राहकों का रिवॉर्ड शामिल है। पूरा बिजनेस इसी प्रकार संचालित होता है। इसे आप अमीर और अपर मिडिल क्लास की सुविधा के खेल के तौर पर देख सकते हैं या महंगाई के जाल के तौर पर देख सकते हैं, जिससे अधिकतर लोग गरीब बनते जानते हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां दोधारी तलवार की तरह काम करती हैं।

    (लेखक फिनोलॉजी वेंचर्स के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)