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    Online Fraud: संदिग्ध लोन ऐप से होने वाली ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे खुद को करें महफूज, Expert ने बताए उपाय

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sun, 28 Aug 2022 11:09 AM (IST)

    मौजूदा वक्‍त में बड़ा सवाल यह है कि वर्चुअल दुनिया में खुद को और बैंक में जमा अपनी बचत को कैसे महफूज रखा जाए। यहां हम बताने जा रहे हैं वे तरीके जिनके ...और पढ़ें

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    बैंक में जमा अपनी बचत को कैसे रखें महफूज, जानें Expert की राय...

    नई दिल्‍ली, एजेंसी। किसी भी तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में जागरूक होना आपके बैंक बैलेंस और मन की शांति के लिए सबसे अच्छा उपाय है, क्योंकि एक बार जब आप धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं तो आपके लिए इसके नुकसान की भरपाई करना असंभव हो जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस वर्चुअल दुनिया में खुद को और बैंक में जमा अपनी बचत को कैसे महफूज रखा जाए। यहां हम बताने जा रहे हैं वे तरीके जिनके जरिए आप खुद को सुरक्षित कर सकते हैं।

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    साइबर कानून विशेषज्ञ अनुज अग्रवाल (Cyber Law expert Anuj Aggarwal) कहते हैं कि संदिग्ध लोन एप्लिकेशन (suspicious loan apps) डाउनलोड करना बेहद जोखिम भरा कदम है। दरअसल संदिग्ध लोन एप्लिकेशन आपके एंड्रॉइड फोन में रिमोट एक्सेस ट्रोजन (Remote Access Trojans, RAT) और एनीडेस्क (Anydesk) एक्‍सेस के जरिए हैकर्स को डिवाइस और संपूर्ण डेटा तक पहुंचने में मदद करते हैं।

    अनुज अग्रवाल ने बताया कि RAT और Anydesk आपके सेलफोन की पूरी गतिविधि हैकर्स को दिखाएंगे। इनकी मदद से आपके सभी संदेशों को हैकर द्वारा पढ़ा जा सकता है। इतना ही नहीं हैकर्स पूरी गैलरी और कॉल रिकॉर्डिंग भी एक्सेस कर सकते हैं। इसलिए यूजर्स को सबसे भरोसेमंद ऐप ही डाउनलोड करना चाहिए। यही नहीं किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए।

    अग्रवाल ने कहा कि हजारों संदिग्ध ऐप हैं जो उपलब्ध हैं लेकिन उन्हें नियंत्रित करने या उनका निरीक्षण करने के लिए कोई समिति नहीं है। ऐसे में डेटा संरक्षण अधिनियम समय की जरूरत है। हाल ही में Google ने भी अपने प्ले स्टोर से हजारों संदिग्ध ऐप हटा दिए थे। चूंकि Google भी स्पैम ऐप्स का पता एक झटके में नहीं लगा सकता है इसलिए यूजर्स को सावधान रहना चाहिए।

    यहां तक कि आरबीआई भी इन संदिग्ध लोन एप्लिकेशन आसानी से रेगुलेट नहीं कर सकता है। इसके नियंत्रण के लिए एक उचित निकाय की आवश्यकता है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि डेटा ब्रीच मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसलिए देश में डेटा संरक्षण और डेटा गोपनीयता कानून की आवश्यकता है। सरकार ने यह विधेयक पेश किया लेकिन बाद में एक विशेषज्ञ समिति की टिप्पणी के बाद इसे वापस ले लिया गया।

    दिल्ली पुलिस के अनुसार, साइबर अपराध के प्रकारों में ईमेल धोखाधड़ी, सोशल मीडिया अपराध, मोबाइल ऐप से संबंधित अपराध, व्यावसायिक ईमेल कंप्रोमाइज, फर्जी कॉल धोखाधड़ी, डेटा चोरी, रैनसमवेयर, नेट बैंकिंग, एटीएम धोखाधड़ी, बीमा धोखाधड़ी, लॉटरी, बिटकॉइन और ऑनलाइन लेनदेन धोखाधड़ी शामिल है।

    दिल्ली पुलिस ने महिलाओं को चेतावनी दी है कि वे किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने की कोशिश न करें जिसके साथ उन्होंने किसी और को साथ लिए बिना केवल ऑनलाइन बातचीत की है। ऐसी बैठक हमेशा सार्वजनिक स्थान पर होनी चाहिए। बच्चों को कभी भी फेसबुक, इंस्टाग्राम, ब्लॉग, ट्विटर, चैट रूम जैसे किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने व्यक्तिगत विवरण जैसे घर का पता, फोन नंबर, जन्म स्थान, जन्‍म की तारीख साझा नहीं करना चाहिए।

    पुलिस ने अश्लील/अपमानजनक/परेशान करने वाले ईमेल/चैट पोस्ट का जवाब नहीं देने के बजाय इसे स्क्रीनशॉट के रूप में रिकॉर्ड में रखने के लिए सुझाव दिया है। इसके पीड़‍ितों को अपने माता-पिता/अभिभावक के जरिए घटना की सूचना पुलिस को देनी चाहिए। संदिग्‍ध गतिविधि महसूस होते ही अपने बैंक खाते को तुरंत ब्लॉक कराना चाहिए। पुलिस ने बैंक पासवर्ड मजबूत रखने का भी सुझाव दिया है। एक मजबूत बैंक पासवर्ड ऑनलाइन सुरक्षा की एक उत्कृष्ट गारंटी है। 

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