एफसीआई के चावल स्टॉक के आधे से ही पूरी हो सकती है इथेनॉल की जरूरत, और क्या कहती है Incred Research की रिपोर्ट
E20 feasibility Incred Research ने बताया है कि पेट्रोल में 20 प्रतिशत मिश्रण के 11 अरब लीटर इथेनॉल चाहिए जिसे 2.3 करोड़ टन चावल से बनाया जा सकता है। दूसरी तरफ FCI के पास बफर स्टॉक का चार गुना यानी 540 लाख टन चावल का स्टॉक है। इसका आधा भी इस्तेमाल किया जाए तो इथेनॉल की जरूरत पूरी की जा सकता है।

सरकार ने पूरे देश में 20% इथेनॉल मिलावट (E20) वाले पेट्रोल की बिक्री का जो लक्ष्य रखा है, उसे हासिल करना मुश्किल नहीं है। इनक्रेड रिसर्च (Incred Research) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इसके लिए इथेनॉल (ethanol) की कमी नहीं होगी। भारतीय खाद्य निगम (FCI) के चावल बफर स्टॉक का आधे से भी कम हिस्सा इस जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
बफर स्टॉक की जरूरत का 4 गुना चावल उपलब्ध
रिपोर्ट में कहा गया है, भारत की पूरी 20 प्रतिशत मिश्रण आवश्यकता (ethanol blending target) को पूरा करने के लिए 11 अरब लीटर इथेनॉल चाहिए। इतना इथेनॉल सिर्फ 2.3 करोड़ टन चावल से बनाया जा सकता है। FCI का चावल बफर मानक 135 लाख टन है, जबकि वर्तमान स्टॉक स्तर बढ़कर 540 लाख टन हो गया है। अर्थात उपलब्ध बफर स्टॉक जरूरत का 4 गुना है।
इसका मतलब है कि अगर अतिरिक्त चावल (FCI rice surplus) के आधे से भी कम स्टॉक को दूसरी जगह इस्तेमाल किया जाए, तो भी मिश्रण का लक्ष्य आराम से पूरा हो जाएगा। इस गणना में मक्का या अन्य फीडस्टॉक को शामिल नहीं किया गया है। उनके उत्पादन के रुझान भी समान रूप से मजबूत हैं।
पिछले सीजन में 14.90 करोड़ टन चावल का उत्पादन
सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार 2024-25 में कुल 32.87 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ। इसमें से चावल उत्पादन 14.90 करोड़ टन है। यह अब तक का रिकॉर्ड है। वर्ष 2023-24 में देश में 13.78 करोड़ टन चावल उत्पादन हुआ था। पिछले 10 वर्षों में औसत सालाना उत्पादन 12 करोड़ टन रहा है। इसके अलावा गेहूं उत्पादन 11.75 करोड़ टन और मक्का उत्पादन 4.23 करोड़ टन रहा है। मक्के का दीर्घकालिक औसत 3 करोड़ टन है। चावल और मक्का उत्पादन में चालू सीजन में भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह सरप्लस केवल संख्या नहीं है। एफसीआई का चावल भंडार आवश्यक बफर स्टॉक से चार गुना अधिक होने के कारण, देश में इथेनॉल फीडस्टॉक (feedstock availability) का पर्याप्त भंडार मौजूद है।
अतिरिक्त भंडार से रखरखाव पर बढ़ता है खर्च
अतिरिक्त भंडार एफसीआई के लिए भी चुनौती है क्योंकि इससे भंडारण क्षमता पर दबाव पड़ता है। लंबे समय तक भंडारण और अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं के कारण अनाज सड़ने का खतरा बढ़ जाता है। चीनी-आधारित इथेनॉल उत्पादकों को जहां नीतिगत चुनौतियों और स्थिर कीमतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अनाज-आधारित डिस्टिलरी रिकॉर्ड फसल और अतिरिक्त भंडार का लाभ उठाने की स्थिति में हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम अब फीडस्टॉक की चिंता का कारण नहीं रह गया है।
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