पैकेज्ड फूड पर शहरी परिवारों का बढ़ता खर्च एक विश्लेषण
शहरी भारतीय परिवारों की बदलती खानपान शैली पर एक रिपोर्ट के अनुसार वे अपने मासिक खाद्य बजट का लगभग 50% पैकेज्ड फूड बाहर खाने और डिलीवरी पर खर्च कर रहे हैं जो एक दशक पहले से 10% अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अनाज की खपत कम हो रही है जबकि पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड की मांग बढ़ रही है।

नई दिल्ली। पैकेज्ड फूड का बढ़ता उपभोग एक तरफ तो स्वास्थ्य के लिए ¨चताएं बढ़ा रहा है, लेकिन क्रय शक्ति बढ़ने के साथ ही खासतौर पर भारतीय शहरी परिवारों ने अपनी खानपान की शैली को तेजी से बदला है। तेजी से आ रहे बदलावों के विभिन्न पहलुओं को समेटते हुए हाल ही में डेलायट और फिक्की ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर एक रिपोर्ट जारी की है।
इसमें दावा किया गया है कि खानपान तो लगभग हर आय वर्ग का बदला है, लेकिन शहरी संपन्न वर्ग अब अपने मासिक खाद्य बजट का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा पैकेज्ड फूड, बाहर खाने और डिलीवरी पर खर्च कर रहा है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक बड़े उद्योग के रूप में उभरा है। भारत का खाद्य उपभोग परि²²श्य बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
वित्त वर्ष 2023 में शहरी संपन्न परिवारों ने अपने मासिक खाद्य बजट का लगभग 50 प्रतिशत पैकेज्ड फूड, बाहर खाने और खाद्य डिलीवरी पर खर्च किया, जो एक दशक पहले की तुलना में 10 प्रतिशत की वृद्धि है। यह बदलाव केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। ग्रामीण भारत भी इसी तरह का बदलाव देख रहा है। ग्रामीण खपत अनाज से पेय पदार्थों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ रही है।
रिपोर्ट में सर्वे के आंकड़े भी दिए गए हैं। ग्रामीण परिवारों द्वारा विभिन्न खाद्य पदार्थों पर किए जाने वाले प्रति माह खर्च की 2011-12 से वर्ष 2023-24 से तुलना की गई है। जैसे, पेय पदार्थों के पैकेज्ड फूड पर मासिक खर्च 15 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत पर पहुंच गया। दूध और दुग्ध उत्पादों का खर्च 15 से बढ़कर 18 प्रतिशत पर आ गया। अनाज आदि का खर्च 20 से घटकर 11 प्रतिशत पर आ गया। स्वास्थ्य को लेकर फलों खपत ग्रामीण परिवारों ने भी बढ़ा दी है।
इसके चलते इस पर खर्च पांच से बढ़कर आठ प्रतिशत पर आ गया है। शहरों के साथ ग्रामीण परिवारों के खानपान में आ रहे बदलाव का ही परिणाम है कि अनाज और दालों पर खर्च में भारी गिरावट आई है, जो 2000 में 40 प्रतिशत से घटकर 2024 में 14 प्रतिशत रह गया है।
अंडे, मछली और मांस जैसी प्रोटीन युक्त वस्तुओं के लिए खर्च 2000 और 2023 के बीच छह प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है। हालांकि, सबसे अधिक वृद्धि पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में हुई है। इसी अवधि में खर्च लगभग तीन गुणा बढ़कर नौ प्रतिशत से 23 प्रतिशत हो गया है।
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