कपास की बात पर कृषि मंत्री का हाई जोश! शिवराज सिंह बोले- 'पांच साल में आत्मनिर्भर बना देंगे'
Shivraj Singh Chauhan on Cotton Production देश में कपास की गिरती उत्पादकता कीटों का बढ़ता प्रकोप और खेती की लागत बढ़ने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने मोर्चा संभाला है। कोयंबटूर में शुक्रवार को किसानों विज्ञानियों और उद्योग प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाया गया। संकल्प लिया गया कि अगले पांच वर्षों में कपास के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बना देंगे।

नई दिल्ली| Shivraj Singh Chauhan on Cotton Production : देश में कपास की गिरती उत्पादकता, कीटों का बढ़ता प्रकोप और खेती की लागत बढ़ने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने मोर्चा संभाला है। कोयंबटूर में शुक्रवार को किसानों, विज्ञानियों और उद्योग प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाया गया। संकल्प लिया गया कि अगले पांच वर्षों में कपास के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बना देंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह की मौजूदगी में हुई इस बैठक में कपास की खेती की दशा-दिशा बदलने की तैयारी दिखी। सरकार अब बाजार, नीति एवं विज्ञान के स्तर पर कपास खेती को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध होगी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने बताया कि केंद्रीय कृषि एवं कपड़ा मंत्रालय के साथ आइसीएआर, राज्यों के कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति और किसान शामिल होंगे। काटन एवं सीड इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा।
कपास उत्पादन, मूल्य निर्धारण, निर्यात एवं किसानों की समस्याओं पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी। सब मिलकर एक दिशा में काम करेंगे और जो लक्ष्य तय किया है, उसे 2030 से पहले प्राप्त करेंगे। घटिया बीज, नकली खाद एवंपेस्टिसाइड बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानून को कड़ा बनाया जाएगा और किसानों से सीधा संवाद रखते हुए उनकी क्षमता निर्माण किया जाएगा।
भारत में कपास की उत्पादकता दर वैश्विक औसत से काफी नीचे है। इसे सुधारने के लिए केंद्र सरकार कीट प्रतिरोधी उन्नत बीटी काटन के बीजों का वितरण का प्रबंध करेगी। देश में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर किसानों और कृषि विज्ञानियों के साथ सीधा संवाद का आयोजन किया गया। गिरिराज सिंह ने कपड़ा कंपनियों से आग्रह किया कि वे किसानों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध करें ताकि उन्हें स्थिर बाजार और बेहतर मूल्य मिल सके।
कृषि विवि के अनुसंधान केंद्रों को दिया जाएगा रिसर्च का जिम्मा
कपास उत्पादक राज्यों में स्थित आइसीएआर एवं कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान केंद्रों को अधिक सक्रिय किया जाएगा। उन्हें रिसर्च का जिम्मा दिया जाएगा, जो उन्नत बीजों और किस्मों पर फोकस होगा। इंडस्ट्री की मांग के आधार पर बीजों का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। बढ़ते तापमान के कारण भी कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं। जलवायु अनुकूलन के लिए काम किया जाएगा।
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