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    ऐसे बेअसर होगा ट्रंप टैरिफ! टेक्सटाइल निर्यातकों को 31 दिसंबर तक कपास के ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट की इजाजत

    Trump Tariffs on India ट्रंप टैरिफ से राहत दिलाने के मकसद से सरकार ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए कपास आयात पर शुल्क में छूट 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 कर दी है। इससे टेक्सटाइल निर्यातकों को दूसरे देशों से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। हालांकि नई फसल का उचित दाम मिलने में किसानों को परेशानी आ सकती है।

    By Jagran News Edited By: Sunil Kumar Singh Updated: Thu, 28 Aug 2025 12:59 PM (IST)
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    ऐसे बेअसर होगा ट्रंप टैरिफ! टेक्सटाइल निर्यातकों को 31 दिसंबर तक कपास का ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट करने की इजाजत

    Trump Tariffs on India: सरकार ने कॉटन यानी कपास का ड्यूटी-फ्री आयात करने की समय सीमा 3 महीने के लिए बढ़ा दी है। वित्त मंत्रालय ने पहले 18 अगस्त को कपास का ड्यूटी-फ्री आयात करने की अनुमति दी थी। उसकी समय सीमा 19 अगस्त से 30 सितंबर थी। अब इसे 3 महीने बढ़कर 31 दिसंबर कर दिया गया है।

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    सरकार ने यह कदम टेक्सटाइल निर्यातकों की मदद के लिए उठाया है। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारत से अनेक वस्तुओं के आयात पर टैरिफ बढ़कर 50% कर दिया। इनमें टेक्सटाइल उत्पाद भी शामिल हैं। भारत अमेरिका को टेक्सटाइल और अपैरल का भी बड़े पैमाने पर निर्यात करता है।

    फैक्ट्रियों में बंद होने लगा था उत्पादन

    निर्यातकों के संगठन फियो ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा था कि टैरिफ के कारण तिरुपुर, नोएडा और सूरत के अनेक मैन्युफैक्चरर ने उत्पादन रोक दिया है। थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को भारत का कपड़ा और वस्त्र निर्यात 10.8 अरब डॉलर का था। इसमें वस्त्र निर्यात 5.4 अरब डॉलर का था। भारत के वस्त्र निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 35% थी। इस पर टैरिफ 13.9% से बढ़कर 63.9% हो गया है।

    GTRI के अनुसार, तिरुपुर (निटवेअर), नोएडा-गुरुग्राम (फैशन परिधान), बेंगलुरु (बुने हुए), लुधियाना (ऊनी) और जयपुर (एथनिक/फैशन) काफी हद तक अमेरिकी ऑर्डर पर निर्भर हैं। इन पर मार्जिन पहले ही 10 प्रतिशत से कम रहा है। नया टैरिफ भारतीय परिधान को उसके सबसे बड़े बाजार से बाहर कर सकता है। कुछ कंपनियां अमेरिका सप्लाई के लिए बांग्लादेश, इंडोनेशिया, वियतनाम और ग्वाटेमाला स्थानांतरित हो रही हैं। वे इथियोपिया और केन्या (10% टैरिफ) जाने पर भी विचार कर सकती हैं।

    GTRI के अजय श्रीवास्तव ने बताया कि भारत ने 2024-25 में करीब 120 करोड़ डॉलर का कॉटन आयात किया। यह 2023-24 के 57.92 करोड़ डॉलर के दोगुना से भी ज्यादा है। ऑस्ट्रेलिया (25.82 करोड़ डॉलर, अमेरिका (23.41 करोड़ डॉलर), ब्राजील (18.08 करोड़ डॉलर) और मिस्र (11.63 करोड़ डॉलर) प्रमुख सप्लायर हैं। भारत-ऑस्ट्रेलिया संधि (ECTA) के तहत 51,000 टन कॉटन का ड्यूटी-फ्री आयात पहले ही हो रहा है। इसलिए फिलहाल ड्यूटी खत्म करने का सबसे ज्यादा लाभ दूसरे बड़े सप्लायर अमेरिका को होगा।

    पहले लगती थी 11 प्रतिशत ड्यूटी

    वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा, निर्यातकों को और मदद देने के लिए केंद्र सरकार ने कॉटन का ड्यूटी-फ्री आयात 30 सितंबर 2025 के बजाय 31 दिसंबर 2025 तक जारी रखने का फैसला किया है।

    इससे पहले कपास आयात पर कुल 11% की ड्यूटी लगती थी। इसमें 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी और 5% एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस शामिल हैं। इन दोनों के ऊपर 10% सोशल वेलफेयर चार्ज लगता था। इस तरह कुल ड्यूटी 11% बनती थी।

    ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति देने से पूरी टेक्सटाइल वैल्यू चेन में इनपुट लागत कम होने की उम्मीद की जा रही है। इस वैल्यू चेन में यार्न (धागे), फैब्रिक, गारमेंट और मेड-अप शामिल हैं। इससे उनके निर्माताओं को राहत तो मिलेगी ही, कंज्यूमर को भी फायदा मिल सकता है।

    सरकार के इस कदम से भारत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को निर्यात में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अतुल गनात्रा ने रायटर्स न्यूज एजेंसी को बताया कि साल के अंत तक शुल्क मुक्त आयात से टेक्सटाइल कंपनियों को सस्ता कपास आयात करने में मदद मिलेगी। इससे अमेरिकी डिमांड में कमी आने से जो दबाव बढ़ रहा था वह कम होगा। उन्होंने बताया कि आयात शुल्क मुक्त किए जाने के बाद इस साल रिकॉर्ड 42 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो) का आयात हो सकता है। अगले साल की पहली तिमाही में भी आयात जारी रहने की संभावना है।

    श्रीवास्तव के मताबिक, ड्यूटी-फ्री आयात से यार्न और फैब्रिक निर्यातकों के लिए त्योहारों से पहले कच्चे माल की कमी नहीं होगी। पहले निर्यातक एडवांस अथॉराइजेशन स्कीम के तहत ड्यूटी-फ्री आयात करते थे। दूसरा तरीका ड्यूटी ड्रॉबैक रिफंड क्लेम करने का था। लेकिन इन दोनों तरीकों में समय लगता है और निर्यातकों की वर्किंग कैपिटल फंस जाती है। सीधे ड्यूटी-फ्री आयात से ग्लोबल सप्लाई तक उनकी तत्काल पहुंच होगी। इससे बेहतर फाइबर से महंगे गारमेंट बनाने वालों को फायदा होगा।

    कपास किसानों की बढ़ सकती है परेशानी

    हालांकि यह खबर कपास की खेती करने वाले किसानों की परेशानी बढ़ा सकती है। भारत में आमतौर पर नवंबर से फरवरी के दौरान कपास की फसल आती है। इस तरह जब नई फसल बाजार में आएगी उस समय इसका ड्यूटी-फ्री आयात हो रहा होगा तो किसानों को उचित दाम मिलने में मुश्किल आ सकती है। सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए मीडियम स्टेपल कपास है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7710 रुपये और लॉन्ग स्टेपल का 8110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।

    हालांकि श्रीवास्तव इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि लगभग 99% आयात 28 मिमी या उससे अधिक लंबे रेशे वाली कॉटन का होता है। भारत में इनका उत्पादन बहुत कम होता है। इस आयात से स्थानीय किसानों को नुकसान नहीं होगा, क्योंकि वे मुख्य रूप से छोटे और मध्यम लंबाई के रेशे वाली कॉटन का उत्पादन करते हैं। ड्यूटी-फ्री कॉटन आयात की अनुमति देना टेक्सटाइल और अपैरल निर्यातकों की मदद के लिए अल्पकालिक उपाय है। इससे भारतीय किसानों को नुकसान भी नहीं होगा।

    करीब दस साल पहले भारत में कपास का उत्पादन 390 लाख गांठ सालाना तक पहुंच गया था। तब भारत बड़े कॉटन निर्यातक के रूप में भी स्थापित हो गया था। लेकिन हाल के वर्षों में कपास उत्पादन में लगातार गिरावट आई है। पिछले साल उत्पादन घटकर 290 लाख गांठ रह गया।