खाद संकट पर सरकार का दावा, मांग से अधिक उर्वरक उपलब्ध, कालाबाजारी पर कार्रवाई जारी
देश में खरीफ सीजन के दौरान खाद की कमी की खबरों के बीच केंद्र सरकार का कहना है कि किसानों को पर्याप्त खाद उपलब्ध है। सरकार के अनुसार यूरिया और डीएपी की मांग से अधिक उपलब्धता है। उर्वरक उत्पादन में वृद्धि हुई है और वैश्विक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए समझौते किए गए हैं।
नई दिल्ली। देश में खरीफ सीजन के बीच खाद की किल्लत को लेकर विरोधाभासी तस्वीर सामने आ रही है। तेलंगाना एवं उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से यूरिया और डीएपी की कमी की खबरें आ रही हैं, जबकि केंद्र सरकार का दावा है कि वैश्विक व्यवधान के बावजूद वैज्ञानिक योजना, उत्पादन वृद्धि और सब्सिडी के सहारे किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद समय पर उपलब्ध कराई जा रही है।
खाद संकट की शिकायतों पर सरकार का कहना है कि इसके लिए कालाबाजारी एवं जमाखोरी करने वाले जिम्मेदार हैं, जिनके विरुद्ध व्यापक कार्रवाई की जा रही है।केंद्र सरकार के उर्वरक विभाग ने आंकड़ों के जरिये बताया है कि देश में खाद का संकट नहीं है और न फिलहाल होगा। खरीफ मौसम में मांग से अधिक खाद उपलब्ध है।
20 अगस्त तक 143 लाख टन की जरूरत के मुकाबले 183 लाख टन यूरिया उपलब्ध थी। 155 लाख टन की बिक्री भी हो चुकी है। इसी तरह डीएपी की 45 लाख टन की जरूरत है। उपलब्धता 49 लाख टन है और 33 लाख टन की बिक्री हुई है। एनपीके उर्वरकों में 58 लाख टन की मांग की तुलना में 97 लाख टन की उपलब्धता रही और 64.5 लाख टन की बिक्री हो चुकी है।
एक दशक में हुई उत्पादन में वृद्धि
सरकार का दावा है कि हालिया वर्षों में उत्पादन एवं आत्मनिर्भरता पर जोर है, जिसके चलते एक दशक में उर्वरक उत्पादन में अच्छी वृद्धि हुई है। 2013-14 में जहां यूरिया उत्पादन 227.15 लाख टन था, जो 2024-25 में बढ़कर 306.67 लाख टन हो गया। यानी 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई। डीएपी और एनपीके का उत्पादन 110 लाख टन से बढ़कर 158.78 लाख टन पर पहुंच गया, जो 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। जाहिर है, यह वृद्धि 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में बड़ा कदम है।
निर्बाध आपूर्ति के लिए किए वैश्विक समझौते
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ दीर्घकालिक वैश्विक समझौते भी किए गए हैं ताकि किसानों को आपूर्ति में कोई बाधा न आए। हाल ही में भारतीय कंपनियों और मोरक्को के बीच 25 लाख टन डीएपी और सुपर फास्फेट की आपूर्ति का करार हुआ है। इसी तरह जुलाई, 2025 में भारत एवं सऊदी अरब के बीच पांच वर्ष तक प्रतिवर्ष 31 लाख टन डीएपी की आपूर्ति का समझौता हुआ है।
वैश्विक बाजार में बढ़ी कीमतें
केंद्र ने माना कि समुद्री संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान-इजरायल तनाव के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। जहाजों को केप आफ गुड होप से होकर 6,500 किलोमीटर लंबा अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ रहा है, जिससे लागत और समय दोनों बढ़े हैं। वैश्विक बाजार में यूरिया का आयात मूल्य 450 डालर प्रति टन से बढ़कर 530 डालर तक पहुंच गया है।
फिर भी कूटनीतिक प्रयासों एवं वैकल्पिक व्यवस्थाओं के जरिये खाद आपूर्ति निर्बाध रखी गई है। किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है। किसानों को यूरिया का 45 किलोग्राम का बैग 242 रुपये में दिया जा रहा है। डीएपी का बैग 1,350 रुपये में उपलब्ध है।
311 एफआइआर हुईं दर्ज
सरकार का कहना है कि कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए अप्रैल, 2025 से अब तक 1,99,581 निरीक्षण किए गए हैं। 7,927 नोटिस जारी हुए हैं, 3,623 लाइसेंस रद या निलंबित किए गए और 311 एफआइआर दर्ज की गई हैं।
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