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    गैर-बासमती चावल निर्यात के हर सौदे का कराना होगा रजिस्ट्रेशन, जानिए सरकार ने क्यों उठाया यह कदम

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 12:23 PM (IST)

    Non-basmati rice export बासमती चावल की तरह अब गैर-बासमती चावल के निर्यात के हर सौदे का APEDA के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके लिए प्रति टन आठ रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है। शुल्क चुकाने के बाद निर्यातक को ऑनलाइन सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे। इंडस्ट्री का कहना है कि निर्यात पर नजर रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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    गैर-बासमती चावल निर्यात के हर सौदे का कराना होगा रजिस्ट्रेशन, जानिए सरकार ने क्यों उठाया यह कदम

    सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात (non-basmati rice export) की प्रक्रिया में संशोधन किया है। अब इस किस्म के चावल के निर्यात की अनुमति वाणिज्य मंत्रालय की शाखा एपीडा (APEDA) में रजिस्ट्रेशन के बाद ही दी जाएगी। यह प्रक्रिया बासमती चावल के निर्यात की तरह ही है। रजिस्ट्रेशन के लिए 8 रुपये प्रति टन का शुल्क लगेगा। इसके बाद रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट ऑनलाइन जारी किए जाएंगे।

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    इंडस्ट्री का कहना है कि इस फैसले से सरकार को शिपमेंट पर बेहतर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी। हालांकि इससे व्यापार पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा, सिवाय इसके कि लागत में मामूली वृद्धि होगी। इस वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान देश का चावल निर्यात 4.7 अरब डॉलर रहा जो पिछले साल की समान अवधि से 6.4 प्रतिशत अधिक है।

    क्या है सरकार का नोटिफिकेशन

    विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में कहा, “गैर-बासमती चावल की निर्यात नीति में एक अतिरिक्त नीतिगत शर्त जोड़कर संशोधन किया गया है। इसके अनुसार गैर-बासमती चावल का निर्यात केवल एपीडा के साथ कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के बाद ही संभव होगा।”

    कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) वाणिज्य मंत्रालय की एक शाखा है जो कृषि निर्यात संबंधी मुद्दों को देखती है। यह प्राधिकरण चावल, फल, सब्जियां, मांस और डेयरी जैसे कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देता है। इसके अलावा यह बाजारों एवं बुनियादी ढांचे का विकास के लिए भी काम करता है।

    इंडस्ट्री के अनुसार इसका निर्यात पर कोई असर नहीं

    राइसविला ग्रुप के सीईओ सूरज अग्रवाल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, “यह सिर्फ एक अतिरिक्त प्रक्रिया है और इसका निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसकी लागत बहुत कम है, लेकिन सरकार के लिए फeयदा यह है कि वह भविष्य में गैर-बासमती शिपमेंट को नियंत्रित कर सकती है। सरकार बासमती चावल के ऐसा पहले से ही करती रही है।”

    उद्योग सूत्रों के अनुसार, निर्यात मात्रा की निगरानी को मजबूत करने और चावल व्यापार प्रमोशन फंड बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। अग्रवाल ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है और इस कदम से सरकार को बासमती और गैर-बासमती चावल, दोनों के निर्यात के लिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिलेगी।

    वाणिज्य मंत्रालय के निर्यात पोर्टल पर दी जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 12.47 अरब डॉलर का चावल निर्यात किया गया। सऊदी अरब, बेनिन, इराक, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात प्रमुख खरीदार हैं। हालांकि ये देश बासमती चावल ही ज्यादा खरीदते हैं। गैर-बासमती चावल के खरीदारों में बांग्लादेश प्रमुख है।