Gold Investment: निवेश के लिए आपने भी खरीद रखी है गोल्ड ज्वैलरी? एक्सपर्ट बोले- यह गलत फैसला; समझाया पूरा गणित
Gold Investment: भारत में सोना निवेश का एक लोकप्रिय तरीका है, जिसमें लोग अक्सर गोल्ड ज्वैलरी खरीदते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, निवेश के लिए गोल्ड ज्वै ...और पढ़ें

Gold Investment: निवेश के लिए आपने भी खरीद रखी है गोल्ड ज्वैलरी? एक्सपर्ट बोले- यह गलत फैसला; समझाया पूरा गणित
Gold Investment: भारत में निवेश के लिए फिजिकल गोल्ड को सबसे अच्छा ऑप्शन माना जाता है। लेकिन इसमें भी तीन विकल्प होते हैं- बिस्किट, सिक्के और ज्वैलरी। लेकिन भारतीय परिवारों में कई लोग निवेश के लिए आज भी गोल्ड ज्वैलरी को प्राथमिकता देते हैं। क्योंकि, उस ज्वैलरी का इस्तेमाल निवेश के तौर पर भी हो जाता है और जरूरत पड़ने पर उसे पहना भी जा सकता है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन्वेस्टमेंट के लिए सोने के गहने खरीदना अच्छी रणनीति नहीं है।
कीमत की 60-70% ही असली गोल्ड वैल्यू
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव प्रसाद ने एक ताजा नोट में साफ कहा कि गहनों में सोना खरीदने से रिटर्न काफी कमजोर मिलता है। उनकी सलाह है कि निवेशक गोल्ड ETF, या सिक्कों, बार और ब्रिक (Gold Coin, Gold Biscuit, Gold Bar) जैसे फिजिकल इन्वेस्टमेंट विकल्प चुनें, क्योंकि ये ज्यादा फायदेमंद और पारदर्शी होते हैं।
KIE रिपोर्ट के मुताबिक, सोने की ज्वैलरी खरीदते समय उपभोक्ता जो कीमत चुकाते हैं, उसका सिर्फ 60-70% ही असली गोल्ड वैल्यू होती है। बाकी हिस्सा मेकिंग चार्ज, डायमंड और दूसरे स्टोन्स पर चला जाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि डायमंड की कमजोर परफॉर्मेंस से रिटर्न और भी कम हो जाता है।
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कीमती पत्थरों पर भी दे देते हैं प्रीमियम
संजीव प्रसाद नोट में आगे बताते हैं कि, "हाउसहोल्ड्स जो प्रीमियम मेकिंग चार्ज और कीमती पत्थरों पर देते हैं, उसकी वजह से 'वेल्थ इफेक्ट' काफी कम हो जाता है। गोल्ड के तेजी से बढ़ने के बावजूद ये चार्ज रिटर्न को खा जाते हैं।" संजीव प्रसाद के मुताबिक, गहने खरीदने वाले घरों को कम से कम 25-30% गोल्ड प्राइस बढ़ोतरी चाहिए, ताकि वे सिर्फ ब्रेक-ईवन कर सकें। यानी असली मुनाफा तो इससे भी ज्यादा दाम बढ़ने पर ही मिलेगा।
भारतीयों के पास 500 बिलियन डॉलर का सोना
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय घरों ने अब तक 500 बिलियन डॉलर का सोना और कीमती पत्थर खरीदा है, जबकि विदेशी निवेशकों ने इसी अवधि में 200 अरब डॉलर के इक्विटी खरीदे हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय परिवारों की गोल्ड होल्डिंग का मूल्य FY15 में 694 अरब डॉलर था, जो FY25 के अंत तक बढ़कर 2,113 बिलियन डॉलर हो चुका है।
गोल्ड ज्वैलरी की मांग कमजोर हुई- WGC
इधर, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, ऊंची कीमतों ने 2025 की अक्टूबर तिमाही में गोल्ड ज्वैलरी की मांग को दुनिया भर में कमजोर किया है। भारत और चीन में सीजनल बढ़ोतरी जरूर दिखी, लेकिन साल-दर-साल आधार पर मांग काफी नीचे रही। WGC के मुताबिक, "इस साल अब तक गोल्ड ज्वैलरी खपत 18% गिरकर 1,095 टन पर है।"
ETF और गोल्ड बार, ज्वैलरी से ज्यादा सही
इसके साथ ही WGC ने बताया कि गोल्ड ETFs में निवेश तेजी से बढ़ रहा है। 2025 में अब तक 77 अरब डॉलर की इनफ्लो आई है, जिससे ग्लोबल ETF होल्डिंग्स में 700 टन से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। मई 2024 से देखें तो कुल बढ़ोतरी करीब 850 टन है, जो पिछले बुल-साइकिल की तुलना में आधी है, यानी आगे बढ़ने की काफी गुंजाइश है। समग्र रूप से रिपोर्ट्स बताती हैं कि निवेशकों के लिए गोल्ड ETF और गोल्ड बार ज्वैलरी की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और किफायती विकल्प बनते जा रहे हैं।

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