Gold Demand : बढ़ती कीमत ने जनता को कर दिया गोल्ड से दूर, कम खरीदारी में टूटा 5 साल का रिकॉर्ड
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार भारत में सोने की मांग 2025 में (Gold consumption 2025) पांच साल के निचले स्तर पर जा सकती है क्योंकि रिकॉर्ड ऊंची कीमतों ने ज्वेलरी की खरीदारी कम कर दी है। इस साल भारत की सोने की खपत 600 से 700 टन के बीच रहने का अनुमान है। कीमतों में वृद्धि के कारण निवेशक अब गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर रहे हैं।

नई दिल्ली। भारत में सोने की मांग 2025 में (gold demand 2025) पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच सकती है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के मुताबिक रिकॉर्ड ऊंची कीमतों ने ज्वेलरी की खरीदारी को काफी कम कर दिया है, जबकि निवेश की मांग में थोड़ी बढ़त देखने को मिल रही है।
WGC इंडिया के सीईओ सचिन जैन के अनुसार, इस साल भारत की सोने की खपत 600 से 700 टन के बीच रह सकती है, जो 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर होगा। पिछले साल (gold consumption 2025) यह खपत 802.8 टन थी। उन्होंने कहा कि अगर कीमतें स्थिर रहीं तो मांग 700 टन तक रह सकती है, लेकिन अगर कीमतों में भू-राजनीतिक कारणों से 10–15% की और बढ़त होती है, तो मांग 600 टन तक गिर सकती है।
दरअसल, जून 2025 में भारत में सोने की कीमत पहली बार ₹1,01,078 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई। सिर्फ इस साल ही अब तक कीमतों में 28% उछाल आया है, जबकि 2024 में 21% की तेजी देखी गई थी।
ज्वेलरी की मांग पर सबसे ज्यादा असर
अप्रैल-जून तिमाही में भारत की सोने की खपत सालाना आधार पर 10% गिरकर 134.9 टन रह गई। ज्वेलरी की मांग 17% गिरी, जबकि निवेश मांग में 7% की बढ़त दर्ज हुई। सितंबर तिमाही में भी मांग पिछले साल के 248.3 टन के मुकाबले कम रहने का अनुमान है।
दिलचस्प बात यह है कि बढ़ती कीमतों के बीच लोग बड़े सोने के गहनों की बजाय हल्के वजन के 18 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी या गोल्ड-प्लेटेड सिल्वर ज्वेलरी की तरफ ज्यादा रुझान दिखा रहे हैं।
निवेशकों के लिए गोल्ड ETF बना विकल्प
कीमतों में तेजी के चलते निवेशक अब फिजिकल गोल्ड के साथ-साथ गोल्ड ETF की तरफ भी ज्यादा झुक रहे हैं। जून में भारत में गोल्ड ETF में 20.81 अरब रुपये का निवेश हुआ, जो पिछले पांच महीनों में सबसे ज्यादा है।
चीन में भी मांग गिरी
भारत ही नहीं, चीन में भी सोने की ज्वेलरी की मांग अप्रैल-जून तिमाही में 20% घटकर 69 टन रह गई। यह लगातार पांचवीं तिमाही है जब वहां मांग में दो अंकों की गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि, कीमत बढ़ने से ज्वेलरी की कुल वैल्यू 13% बढ़कर 7 अरब डॉलर हो गई।
त्योहारी सीजन और शादियों के चलते क्या मांग बढ़ेगी?
त्योहारी सीजन और शादियों के चलते भारत में तीसरी तिमाही में मांग थोड़ी बढ़ सकती है। लेकिन अगर कीमतें ऊंची बनी रहीं, तो ज्वेलरी की खपत पर दबाव बना रहेगा। वहीं, गोल्ड ETF और छोटे वजन के गहनों की खरीदारी में और इजाफा हो सकता है।
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