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    4.5 लाख करोड़ रुपये से चार गुना बढ़ सकता है कृषि निर्यात, मंत्री पीयूष गोयल ने बताई शर्तें

    Updated: Thu, 10 Jul 2025 01:33 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार भारत का कृषि निर्यात (Agricultural export growth) अभी 4.5 लाख करोड़ रुपये का है जिसे 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए प्रोसेसिंग और पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में कुछ कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने जैविक उत्पादों को सर्टिफिकेशन और ड्रिप सिंचाई को लेकर भी अहम जानकारियां दीं।

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    4.5 लाख करोड़ रुपये से चार गुना बढ़ सकता है कृषि निर्यात, मंत्री पीयूष गोयल ने बताई शर्तें

    नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत का कृषि और फिशरीज निर्यात (Agricultural export growth) 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अगर खाद्य प्रसंस्करण को मजबूत किया जाए और ब्रांडिंग तथा पैकेजिंग की क्वालिटी सुधारी जाए तो कृषि निर्यात (agriculture exports) 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

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    एक कार्यक्रम में गोयल (Piyush Goyal statement) ने कहा कि भारत के कृषि निर्यात में लीची, अनानास, लौकी और जामुन जैसे नए उत्पाद शामिल हुए हैं, जो पारंपरिक रूप से निर्यात नहीं किए जाते थे। उन्होंने बताया कि जामुन हाल ही इंग्लैंड को और लीची पंजाब से दोहा और दुबई को निर्यात की गई है।

    गोयल ने हाल ही में हल्दी बोर्ड के गठन को मसाला निर्यात प्रोत्साहन की दिशा में अहम कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में कॉफी का निर्यात दोगुना हो गया है। जहां मसाला निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं इसे बढ़ाने के लिए और अधिक केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है।

    जैविक उत्पादों के सर्टिफिकेशन मानदंड सख्त होंगे

    उन्होंने कहा कि प्राकृतिक और जैविक खेती में अपार संभावनाएं हैं। सरकार ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से जैविक उत्पादों के प्रमाणन मानदंडों को कड़ा कर रही है ताकि विश्वसनीयता और पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने आगे कहा कि सरकार बेहतर पैकेजिंग और उत्पाद डिजाइन को भी प्रोत्साहन देगी, जिससे भारत के कृषि उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक विजिबिलिटी और प्रतिस्पर्धात्मकता मिल सके।

    उन्होंने बताया कि पारदर्शी तरीके से मूल्य तय करने की सुविधा के लिए 1,400 मंडियों को सुदृढ़ करके ई-नाम प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है। किसानों को मशीनीकरण तक पहुंच के लिए किसान उत्पादक संगठनों के माध्यम से सहायता दी जा रही है, और एक लाख करोड़ रुपये का कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर कोष कृषि इसके विकास में मदद कर रहा है।

    कृषि के सभी पहलुओं में आत्मनिर्भरता की जरूरत

    गोयल ने कहा कि कृषि में बीज से लेकर उर्वरक, कीटनाशक और पानी के पंप जैसे उपकरणों तक, हर क्षेत्र में एक मजबूत सप्लाई चेन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को कृषि से जुड़े आयात में किसी भी वैश्विक रुकावट के लिए तैयार रहना होगा और कृषि के सभी पहलुओं पर आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करनी होगी।

    ड्रिप सिंचाई बदल सकती है भारतीय कृषि का परिदृश्य

    वाणिज्य मंत्री ने कहा कि ड्रिप सिंचाई भारतीय कृषि के लिए खेल बदलने वाली स्थिति हो सकती है, विशेषकर बारिश आधारित इलाकों में। उन्होंने कहा कि ड्रिप सिंचाई को जन आंदोलन के तौर पर बढ़ाना होगा। इन कदमों से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि फसल की विश्वसनीयता और नियमितता सुधारकर निर्यात में आसानी होगी। इसके लिए पुराने हो चुके पंपों को छोटे और कम ऊर्जा वाले मॉडलों से बदलने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कम ऊर्जा वाले पंपों और बूंद-बूंद सिंचाई को मिलाने से किसान की लागत में भी कमी आ सकती है।