2030 तक 3.5 अरब डॉलर का हो सकता है लिथियम आयन बैटरी रीसाइक्लिंग कारोबार, 41 हजार लोगों को रोजगार भी
Lithium Ion Battery Recycling news इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) और एक्सेंचर ने लिथियम आयन बैटरी रीसाइक्लिंग पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें भारत में बैटरी की बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी रीसाइक्लिंग के महत्व के बारे में बताया गया है। यह बिजनेस के साथ पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है।

(Lithium Ion Battery Recycling news) भारत में लिथियम-आयन बैटरी की लाइफ खत्म होने के बाद सिर्फ एक प्रतिशत बैटरी की रीसाइक्लिंग करके उसमें से इस्तेमाल योग्य सामग्री निकाली जाती है। इतना कम रिकवरी रेट भविष्य के लिए बड़ा आर्थिक अवसर तो है ही, यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग (Lithium Ion Battery demand) पर इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) और एक्सेंचर ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2030 तक सर्कुलर बैटरी इकोनॉमी लगभग 30 हजार करोड़ रुपये (3.5 अरब डॉलर) की हो सकती है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और एनर्जी स्टोरेज सिस्टम की मांग तेजी से बढ़ रही है। ‘चार्जिंग अहेड - ट्रांसफॉर्मिंग इंडियाज लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम’ शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि रीसाइकल वाली सामग्री के उपयोग के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण से नियम तैयार किए जाने चाहिए। उच्च-गुणवत्ता वाली रीसाइकल सामग्री की उपलब्धता महत्वपूर्ण है, लेकिन रीसाइक्लिंग क्षमता पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।
रोजगार और पर्यावरण के बारे में क्या कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि लिथियम आयन रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम (Lithium Ion Battery Recycling news) में वर्ष 2030 तक 41,000 रोजगार का सृजन हो सकता है। इससे कार्बन उत्सर्जन में सालाना 75,000 टन की कमी भी आएगी। यह सड़कों से 60,000 वाहनों को हटाने के बराबर है। इसके अलावा 570 करोड़ गैलन पानी की भी बचत होगी। इतना पानी पांच लाख की आबादी वाले एक शहर की एक साल की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त है।
एक मजबूत रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम भारत की 14% बैटरी सामग्री की मांग की आपूर्ति कर सकता है, जिससे देश की रणनीतिक स्वायत्तता बेहतर होगी और लिथियम, कोबाल्ट तथा निकल जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भरता कम होगी।
रिपोर्ट में रणनीतिक और समन्वित कार्रवाई वाले चार प्रमुख क्षेत्र बताए गए हैं- घरेलू सेल मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार, हाइड्रोमेटलर्जिकल क्षमता का निर्माण, व्यापार नियमों में सुधार और रिवर्स लॉजिस्टिक्स का पुनरुद्धार।
सही नीतियों और उद्यमिता की जरूरत
आईसीईए के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा, “भारत की पर्यावरण प्राथमिकता और महत्वपूर्ण खनिजों (critical minerals) में रणनीतिक स्वायत्तता के लिए बैटरी रीसाइक्लिंग महत्वपूर्ण है। सही नीतिगत समर्थन और उद्यमशीलता से भारत 3.5 अरब डॉलर की सर्कुलर बैटरी इकोनॉमी को गति दे सकता है, आयात पर निर्भरता कम कर सकता है और स्वच्छ प्रौद्योगिकी में खुद को वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।”
नीति आयोग के निदेशक (आर्थिक एवं वित्त) अमित वर्मा ने कहा, “यह रिपोर्ट स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने में एक महत्वपूर्ण आवश्यकता - लिथियम आयन बैटरी रीसाइक्लिंग - पर केंद्रित है। जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन और एनर्जी स्टोरेज का विस्तार हो रहा है, महत्वपूर्ण खनिजों की एक सर्कुलर इकोनॉमी आवश्यक होती जा रही नीति आयोग में हम सस्टेनेबल सर्कुलर मॉडल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और यह रिपोर्ट उस भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण संदर्भ का काम करेगी।”
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