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    Budget 2025: आज पेश होगा केंद्रीय बजट, सरकार ने आर्थिक सर्वे 2025 में बताया 2047 के विकसित भारत का रोडमैप

    Updated: Sat, 01 Feb 2025 06:54 AM (IST)

    Union Budget 2025-26 केंद्रीय बजट 2025 शनिवार को संसद में पेश किया जाएगा। इससे पहले सदन में शुक्रवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में 2047 तक भारत को किस तरह से विकसित देश बनाया जाए इसका संपूर्ण रोडमैप दिया गया है। सर्वे के अनुसार विकसित भारत के लिए राज्यों को भी सुधार की गति बढ़ानी होगी। साथ ही GDP की तुलना में निवेश का अनुपात बढ़ा कर 35% करना होगा।

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    Budget 2025 आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में 2047 तक का रोडमैप।

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Budget 2025 सरकार की दिशा विकसित भारत है और बजट से पूर्व शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने भी अपने संक्षिप्त संदेश में इस पर जोर दिया। लेकिन इसकी एक बड़ी शर्त है यह है कि कम से कम एक दशक तक आठ फीसद की ग्रोथ रेट बनी रहे। वित्त वर्ष 2024-25 और वर्ष 2025-26 में आर्थिक विकास दर के घटने की आशंकाओं के बीच इसपर ज्यादा ध्यान दिया जाना जरूरी हो गया है।

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    भारत में कारोबार की प्रक्रिया को आसान बनाना प्राथमिकता

    सदन में शुक्रवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में 2047 तक भारत को किस तरह से विकसित देश बनाया जाए, इसका एक संपूर्ण रोडमैप दिया गया है। रोडमैप में मौजूदा नियमों व कानूनों में बहुत ही व्यापक स्तर के संशोधन व बदलावों की जरूरत बताते हुए भारत में कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने को प्राथमिकता के तौर पर गिनाया है। लेकिन सुधारों की आगामी प्रक्रिया में केंद्र से ज्यादा राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण बताई गई है।

    10 ऐसे सेक्टर, जहां राज्यों करना होंगे सुधार

    • वैसे सुधारों को लेकर आर्थिक सर्वेक्षण पहले ही सरकार को सुझाव देता रहा है और उनमें से कई सुझावों पर कभी अमल नहीं हो पाता। इस बार देखना होगा कि एक दिन बाद पेश होने वाले आम बजट 2025-26 में वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन के सुझावों की बानगी दिखती है या नहीं। आर्थिक सर्वेक्षण में दस ऐसे सेक्टर बताये गये हैं जहां राज्यों को नियमों व प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
    • ये क्षेत्र हैं प्रशासन, भूमि, बिल्डिंग व कंस्ट्रक्शन, श्रम, बिजली-पानी जैसी सुविधाएं, ट्रांसपोर्ट, वेयरहाउस जैसे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र, कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री, पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्र। इन क्षेत्रों में राज्यों के पास इतने अधिकार हैं कि कारोबार की शुरुआत करने, उसे बंद करने की प्रक्रिया को दुरूह बनाते हैं और इससे आर्थिक गतिविधियों की राह में अड़चनें आती हैं।

    सुधारवादी नीतियों को दोहराएं राज्य

    राज्यों को सुझाव दिया गया है वो जिन क्षेत्रों में दूसरे राज्य बेहतर कर रहे हैं या दूसरे देशों में सुधार हो रहे हैं, उनसे सीखें और उन सुधारवादी नीतियों को दोहरायें। उदाहरण के तौर पर कुछ राज्यों ने आईटी सेक्टर में महिला कर्मचारियों को लेकर पारंपरिक नीतियों को बदला है, अन्य सभी राज्य इसका अनुसरण कर सकते हैं। जापान, दक्षिण कोरिया ने शहरी विकास व औद्योगिकीकरण को लेकर जो नीतियां लागू की हैं, राज्य उनसे भी सीख सकते हैं।

    नियम आसान होंगे तभी होगा विकसित भारत के सपना साकर

    विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए नियमों को आसान बनाने का काम में अब क्षणिक भी विलंब नहीं करना होगा। बिना इसके आर्थिक विकास को तेज करने के दूसरे उपायों का खास असर नहीं होगा। सर्वेक्षण ने यहां तक कहा है कि भारत विकास की जिस स्तर पर अभी है वहां पारंपरिक आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ाना प्रासंगिक नहीं रहेगा।

    निवेश के स्तर को बढ़ाना होगा

    पूरी दुनिया में नीतियों को लेकर सोच बदला चुका है। खुले कारोबार, पूंजी व प्रौद्योगिकी के आसानी से एक देश से दूसरे देश में हस्तांतरण और वैश्विककरण वाली नीतियां अब पुराने दिनों की बात रह गई हैं। निवेश के स्तर को मौजूदा 31 फीसद (जीडीपी के अनुपात में) से बढ़ा कर 35 फीसद करने को ना सिर्फ विकसित राष्ट्र बनाने के लिए बल्कि देशवासियों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए भी जरूरी बताया गया है। सर्वेक्षण के मुताबिक दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान के संदर्भ में, चीन के संदर्भ में और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संदर्भ में यह साबित हो चुका है।