'लाइसेंस राज' की दीवार पर होगा एक और वार, पुराने नियम, लाइसेंस और अनुमतियों की जरूरत खत्म करने की घोषणा
Union Budget 2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया। इससे एक दिन पहले उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था। निर्मला सीतारमण ने पुराने नियम लाइसेंस और अनुमतियों की जरूरत खत्म करने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों से व्यवसाय करने की सुगमता का माहौल बनाया जाएगा। आर्थिक सर्वेक्षण में राज्यों को लालफीताशाही खत्म करने का सुझाव भी दिया गया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी बाबुओं के सामने कभी फैक्ट्री विस्तार को लाइसेंस के लिए, कभी घर के नक्शे को पास कराने के लिए संबंधित विभाग से आवश्यक अनुमति देने के लिए तो कभी किसी सर्टिफिकेट को कोर्ट से प्रमाणीकरण दिलाने का मौजूदा तंत्र की मजबूत दीवार पर संभवत: अब हथौड़ा चलेगा।
पहली बार ब्रिटिश राज के समय से ही चल रही इन व्यवस्थाओं को दूर करने की मंशा केंद्र सरकार ने आम बजट 2025-26 के जरिए दिखाई है। उल्लेखनीय बात यह है कि एक दिन पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2025-26 में इस व्यवस्था से आम जनता व कारोबारी जगत को होने वाली दिक्कतों का वर्णन विस्तार से किया गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बताया है कि इसे किस तरह से हकीकत में बदला जाएगा। उन्होंने विनियामक सुधार के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा की है जिसकी सिफारिशों को राज्यों के साथ मिल कर लागू किया जाएगा।
रोजगार और उत्पादकता में होगी बढ़ोतरी
वित्त मंत्री ने इसे देश में व्यवसाय करने के माहौल को सुगम बनाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता के तौर पर पेश किया है। उन्होंने कहा है
'सिद्धांतों और नीतियों पर आधारित एक सरल विनियामक फ्रेमवर्क से उत्पादकता और रोजगार में वृद्धि होगी। पुराने कानूनों के तहत जो नियम हैं उनका आधुनिकीकरण किया जाएगा। यह आधुनिक, लचीली, जन-उपयोगी और विश्वास पर आधारित फ्रेमवर्क होगा जो 21वीं सदी के लिए उपयुक्त होगा। इसके तहत सभी गैर-वित्तीय क्षेत्र में संबंधी नियमों, प्रमाणीकरणों, लाइसेंसों और अनुमतियों की समीक्षा करेगा। समिति की सिफारिशें एक वर्ष के भीतर आएंगी। यह देश में विश्वास आधारित आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करेगा और इससे व्यवसाय करने के माहौल (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) में सुधार होगा।'
30 साल बाद भी देश में कारोबार संबंधी कई जटिलताएं
उन्होंने यह नहीं बताया कि राज्यों के साथ किस तरह से सहयोग किया जाएगा लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण में इसका विस्तार से विवरण है कि किस तरह से आर्थिक सुधारों के लागू होने के 30 वर्ष बाद भी दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कारोबार करना आसान नहीं है। सर्वेक्षण ने यहां तक कहा था कि कारोबार की राह से सरकार को निकल जाना चाहिए।
आर्थिक सर्वेक्षण में राज्यों से लालफीताशाही खत्म करने का सुझाव
आर्थिक सर्वेक्षण की तरफ से राज्यों में लालफीताशाही खत्म करने का भी सुझाव दिया गया है। इस बारे में केंद्र ने सीधे तौर पर कदम नहीं उठा कर राज्यों को ही प्रोत्साहित किया है कि वह कदम उठाएं। राज्यों के बीच निवेश के माहौल में सुधार के लिए एक सूचकांक बनाने की भी घोषणा, इस उद्देश्य से ही की गई है।
...तो पिछड़ जाएंगे राज्य
यह राज्यों के बीच ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर प्रतिस्पर्धा करेगा। सूचकांक के आधार पर देशी-विदेशी कंपनियां निवेश का फैसला करेंगी। जो राज्य ऐसे कदम नहीं उठाएंगे, वह आर्थिक तौर पर पिछड़ जाएंगे। यह भी लाइसेंस राज की नींव को खोदने का काम करेगा। कई एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत की सालाना आर्थिक विकास की दर 7-8 फीसद से ज्यादा करने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर काम करना सबसे जरूरी है।
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