Budget 2022 : आज पेश हुए बजट में हाईटेक खेती को प्रोत्साहन, निजी निवेश से किसान होंगे मजबूत
बजट प्रावधानों के सहारे कृषि उत्पादों की आयात निर्भरता घटाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने पर बल दिया गया है। आम बजट में घरेलू व वैश्विक बाजार की जरूरतों वाली खेती को प्रोत्साहन देने के प्रावधान किए गए हैं।

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि सुधार की जरूरतों के मद्देनजर सरकार ने खेती को हाईटेक बनाने का फैसला किया है। इसमें सरकारी निवेश के साथ निजी निवेश का सहयोग भी लिया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने संसद में आम बजट पेश करते हुए कृषि क्षेत्र को उन्नत व आधुनिक बनाने के साथ किसानों को ताकतवर बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कृषि क्षेत्र की योजनाओं को तर्कसंगत बनाने के साथ समग्रता से लागू करने की बात कही। बजट प्रावधानों के सहारे कृषि उत्पादों की आयात निर्भरता घटाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने पर बल दिया गया है। आम बजट में घरेलू व वैश्विक बाजार की जरूरतों वाली खेती को प्रोत्साहन देने के प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत कम लागत वाली हाई वैल्यू फसलों की खेती को आगे बढ़ाया जाएगा।
वित्तमंत्री सीतारमन ने बजट प्रावधानों में कृषि क्षेत्र को लीक वाली परंपरागत खेती से आगे बढ़ाने को तरजीह देते हुए उसे हाईटेक बनाने के प्रावधान किए हैं। निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के (पीपीपी मोड) साझा प्रयास से गठित फंड का उपयोग कृषि क्षेत्र के उन स्टार्टअप्स को मदद दी जाएगी जो कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन, पट्टे पर खेती करने वाले व एफपीओ व सहकारी खेती करने वालों के लिए कृषि मशीनरी आदि तैयार करेंगे।
आधुनिक खेती के साथ नेचुरल व जीरो बजट खेती पर भी जोर
सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे तैयार होने वाला 'किसान ड्रोन्स' भी इसमें शामिल है। फसलों का आकलन, लैंड रिकार्ड्स व पेस्टीसाइड छिड़काव के साथ अन्य पोषक तत्वों का छिड़काव भी इसके मार्फत किया जा सकेगा। आधुनिक खेती के साथ नेचुरल व जीरो बजट खेती के लिए मानव संसाधन और वैज्ञानिक तैयार करने के लिए देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में इसे शामिल करने का प्रावधान किया गया है।
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घरेलू बाजार में आर्गेनिक व नेचुरल फार्मिंग वाले कृषि उत्पादों की जबर्दस्त मांग
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने पाठ्यक्रम तैयार करने को लेकर एक हाईलेवल कमेटी का गठन कर दिया है। नए पाठ्यक्रम में कृषि उपज के मूल्यवर्धन व प्रबंधन की जरूरतों पर विशेष बल रहेगा। वैश्विक व घरेलू बाजार में आर्गेनिक व नेचुरल फार्मिंग वाले कृषि उत्पादों की जबर्दस्त मांग है। मांग व आपूर्ति में अंतर होने की वजह से इनका मूल्य सामान्य उत्पादों के मुकाबले कई गुना अधिक है। इस तरह की फसलों की खेती को सरकार प्रोत्साहन दे रही है ताकि वे उन परंपरागत फसलों की खेती से बाहर निकल कर इनकी खेती पर जोर दें।
तिलहन फसलों की खेती पर बजट में है विशेष प्रावधान
बागवानी वाली फसलों में पर्याप्त संभावनाएं हैं। तिलहनी फसलों की खेती पर फोकस करने के लिए भी बजट में विशेष प्रावधान किया गया है। खाद्य तेलों व दालों के आयात पर भारी विदेशी मुद्रा खर्च होती है। देश में खाद्य तेलों के घरेलू खपत का लगभग 65 फीसद आयात से पूरा होता है। इस आयात निर्भरता को घटाने के लिए इन फसलों की घरेलू खेती को बढ़ाने के उद्देश्य से एक तर्कसंगत और व्यापक योजना शुरु की जाएगी। इससे जहां किसानों को सीधा लाभ होगा, वहीं विदेशी मुद्रा की बचत होगी। वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज (मिलैट्स) वर्ष घोषित किया गया है। मोटे अनाज से तैयार उत्पादों को घरेलू व वैश्विक बाजार में समर्थन करने के लिए इसकी खेती पर विशेष बल दिया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अपने बजट भाषण में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया। किसानों की माली हालत में मजबूत बनाने के लिए एग्रो फारेस्ट्री और प्राइवेट फारेस्ट्री को प्रोत्साहन देने का फैसला किया है। सरकार इसके लिए नीतियों में जरूरी बदलाव लाएगी। इसका सबसे अधिक लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति व आदिवासी किसानों को होगी, जो एग्रो फारेस्ट्री (कृषि वानिकी) से सीधे जुड़े हुए हैं।
हाईलाइट्स:
आम बजट के इन प्रावधानों से देश के 14 करोड़ किसानों को सीधा लाभ होगा। देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, जहां 65 फीसद से अधिक आबादी रहती है। हाईटेक खेती से युवाओं को रोजगार के साधन सृजित करने में मदद मिलेगी। खेती से मुंह मोड़ने वाले ग्रामीण युवाओं का रुझान बढ़ेगा। कम लागत वाली हाईवैल्यू फसल लाभ कई गुना बढ़ जाएगा। बजट में लघु व सीमांत किसानों के साथ बड़े किसानों के लिए भी विशेष प्रावधान हैं।

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