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    Economic Survey 2023: स्वास्थ्य पर सरकार के बढ़ते खर्च से कम हुआ आम जनता के जेब पर पड़ने वाला बोझ

    By Jagran NewsEdited By: Sonali Singh
    Updated: Tue, 31 Jan 2023 07:59 PM (IST)

    Economic Survey 2023 आर्थिक सर्वे के मुताबिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार के खर्च बढ़ने से इलाज के दौरान होने वाले खर्चें अब कम होंगे। 2022-23 के वित्तीय वर्ष में यह खर्च 2.2 प्रतिशत पर पहुंच गया। (फाइल फोटो)

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    Economic Survey 2022-23: Increasing Expenditure Of Government On Health Sector

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार के खर्च बढ़ने से इलाज के दौरान आम आदमी की जेब पर पड़ने वाला बोझ कम हो गया है। आर्थिक सर्वे के अनुसार 2014 की तुलना में 2019 में जेब पर पड़ने वाले बोझ में 16 प्रतिशत की कमी आई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी अपने अभिभाषण में बताया कि किस तरह से आयुष्मान भारत और जन औषधि स्कीम से गरीबों को एक लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।

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    सर्वे के अनुसार 2014 में जहां स्वास्थ्य क्षेत्र पर जीडीपी का महज 1.2 प्रतिशत खर्च होता था, वहीं 2022-23 के वित्तीय वर्ष में यह 2.2 प्रतिशत पर पहुंच गया। 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत सरकार ने 2025 तक जीडीपी का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य के मद में खर्च करने का लक्ष्य रखा था, जिसे हासिल करना अब आसान दिख रहा है।

    स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे ज्यादा खर्च 

    सर्वे के अनुसार, 2014 में देश में स्वास्थ्य पर होने वाले कुल खर्च में सरकार का हिस्सा महज 28.6 प्रतिशत था, जो 2019 में 40.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इससे स्वास्थ्य पर कुल खर्च में आम आदमी की जेब से होने वाला खर्च 2014 के 64.2 प्रतिशत से घटकर 48.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

    गरीबों को मिल रही सुविधा

    बढ़े हुए बजटीय खर्च का प्रभाव स्वास्थ्य के सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत 50 करोड़ गरीबों को पांच लाख रुपये सालाना तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। इस योजना की वजह से गरीबों को अब तक 80,000 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है। इसी तरह से 9,000 जन औषधि केंद्रों से मिलने वाली सस्ती जेनरिक दवाइयों की वजह से गरीबों को 20,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

    हर महीने खुल रहा मेडिकल कालेज

    राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले नौ सालों के दौरान हर महीने एक मेडिकल कालेज खुले हैं। इस दौरान कुल 260 नए मेडिकल कालेज खोले गए हैं। उनके अनुसार इस दौरान मेडिकल में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या दोगुनी बढ़ी है। इससे देश में डाक्टरों की कमी को दूर करने की दिशा में इससे मदद मिलेगी।

    दूरदराज के लोग विशेषज्ञ डाक्टर से करा पा रहे इलाज आर्थिक सर्वे और राष्ट्रपति दोनों ने कोरोना संकट के दौरान भारत की अभूतपूर्व उपलब्धियों का उल्लेख किया। इनमें मेक इन इंडिया वैक्सीन से 220 करोड़ से अधिक डोज के साथ-साथ इलाज के लिए जरूरी दवाओं, आक्सीजन और उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ कोविन प्लेटफार्म और ई-संजीवनी पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफार्म का निर्माण शामिल है।

    ई-संजीवनी पोर्टल कर रही मदद

    ई-संजीवनी पोर्टल दूर-दराज के लोगों के लिए विशेषज्ञ डाक्टर से इलाज का माध्यम साबित हो रहा है। सर्वे के अनुसार सरकार लोगों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में काम करती रहेगी। इसके लिए डिजिटल हेल्थ मिशन के लिए बजट में विशेष प्रविधान किया जा सकता है। पिछले बजट में पहली बार डिजिटल हेल्थ संरचना के विकास के लिए आवंटन किया गया था।

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