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    Economic Survey 2021: वी-शेप में हुई है अर्थव्यवस्था में रिकवरी, जानिए इकोनॉमिक सर्वे की बड़ी बातें

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jan 2021 11:07 AM (IST)

    Economic Survey 2021 आगामी वित्त में भारत तेजी से सकारात्मक ग्रोथ करेगा। वित्त वर्ष 2022 में नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP) का अनुमान 15.4 फीसद पर रखा गया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2022 में रियल जीडीपी (Real GDP) ग्रोथ का अनुमान 11 फीसद पर रखा गया है।

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    इकोनॉमिक सर्वे के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: File photo

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को वित्त मंत्री ने लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया है। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए इस बार इकोनॉमिक सर्वे इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में सांसदों को उपलब्ध कराया गया। इस सर्वे में देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति से अवगत कराया गया है। सर्वे में बताया गया कि मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 में 7.7 फीसद के संकुचन का अनुमान है और अप्रैल 2021 से शुरू होने वाले आगामी वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी होने की उम्मीद है। आइए इकोनॉमिक सर्वे 2021 की कुछ प्रमुख बातें जानते हैं।

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    1. आगामी वित्त में भारत तेजी से सकारात्मक ग्रोथ करेगा। वित्त वर्ष 2022 में नॉमिनल जीडीपी (Nominal GDP) का अनुमान 15.4 फीसद पर रखा गया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2022 में रियल जीडीपी (Real GDP) ग्रोथ का अनुमान 11 फीसद पर रखा गया है।

    2. कोरोना महामारी के प्रकोप से अर्थव्यवस्था तेजी से बाहर निकल रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में वी-शेप की रिकवरी देखने को मिली है। सर्वे में बताया गया कि कोविड-19 को देखते हुए समय पर लॉकडाउन लागू होने के चलते ही अर्थव्यवस्था में वी-शेप रिकवरी दिखी है।

    3. इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि निवेश बढ़ाने वाले कदमों पर जोर रहेगा। ब्याज दर कम होने से कारोबारी गतिविधियां बढ़ेंगी। इसमें बताया गया कि कोरोना वैक्सीन से महामारी पर काबू पाना संभव है और आगे इकोनॉमिक रिकवरी के लिए ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

    4. इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया, ‘भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग्स इकोनॉमी के फंडामेंटल्स के बारे में जानकारी नहीं देती हैं। इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को BBB-/Baa3 की रेटिंग मिली हो। भारत की वित्तीय नीति का फंडामेंटल मजबूत है। सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।’

    5. इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया है कि कॉरपोरेट और व्यक्तिगत आयकर 2019-20 के अस्थायी आंकड़ों में कम हो गया है। इसका कारण मुख्य रूप से कॉरपोरेट कर दर में कटौती जैसे संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के कारण विकास में आई गिरावट रही, लेकिन राजस्व में रिकवरी प्रत्यक्ष है, क्योंकि मासिक सकल जीएसटी राजस्व संग्रह पिछले तीन महीनों से लगातार एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर रहा है। दिसंबर, 2020 माह के लिए मासिक जीएसटी राजस्व दिसंबर, 2019 के मुकाबले जीएसटी राजस्व में 12 फीसद बढ़ोतरी दर्ज करने के बाद 1.15 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंचा है। यह जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी कर संग्रह का सबसे अधिक मासिक संग्रह है।

    6. इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि भारत सरकार ने 23 दिसंबर 2020 तक 41,061 स्टार्टअप्स को मान्यता प्रदान की है। देश में 39,000 से अधिक स्टार्टअप्स के माध्यम से 4,70,000 लोगों को रोजगार मिला है। एक दिसंबर 2020 तक SIDBI ने सेबी के पास रजिस्टर्ड 60 अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AFIs) को 4,326.95 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता जताई है। यह स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स के जरिए जारी किया जाए, जिसमें कुल 10,000 करोड़ रुपये का फंड है।

    7. अक्टूबर, 2020 में प्रकाशित वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर)-2020 चरण-1 (ग्रामीण) का उल्‍लेख करते हुए इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में नामांकित विद्यार्थियो के पास स्मार्ट फोन की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। 2018 में 36.5 फीसद विद्यार्थियों के पास ही स्मार्ट फोन थे, वहीं 2020 में 61.8 फीसद विद्यार्थियों के पास स्मार्ट फोन मौजूद थे। सर्वे में सलाह दी गई है कि उचित उपयोग किया गया तो शहरी और ग्रामीण, लैंगिक, उम्र और आय समूहो के बीच डिजिटल भेदभाव और शैक्षिक परिणाम में अंतर समाप्त होगा। 

    8. इकोनॉमिक सर्वे 2020-21 के अनुसार, भारत में अगले दशक तक विश्व में सर्वाधिक युवाओं की जनसंख्या होगी। इसलिए देश का भविष्य तैयार करने के लिये इन युवाओं के लिये उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की क्षमता विकसित करना है। सर्वे के अनुसार, भारत ने प्राथमिक स्कूल स्तर पर 96 फीसद साक्षरता दर हासिल कर ली है। 

    0. इकोनॉमिक सर्वे 2020-21 के अनुसार, 15 से 59 वर्ष की उम्र के कामगारों में से केवल 2.4 फीसद लोगों ने ही व्यावसायिक/तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया है और 8.9 फीसद अन्य लोगो ने अनौपचारिक रूप से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इन 8.9 प्रतिशत कामगारों में से 3.3 फीसद ने कार्य के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त किया, 2.5 प्रतिशत लोगों ने स्व-प्रशिक्षण और 2.1 प्रतिशत लोगों ने वंशानुगत तथा एक प्रतिशत लोगों ने अन्य स्रोतों से प्रशिक्षण प्राप्त किया।

    10. इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया कि पीएमजेएवाई का उपयोग कम मूल्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सामान्य उपयोग के लिये किया जा रहा है। यह भी बताया गया है कि योजना के तहत महामारी और लॉकडाउन के समय भी डायलिसिस जैसी सुविधाएं बिना किसी बाधा के सुचारु रुप से जारी रहीं। सामान्य दवाएं, मुख्य रुप से विशेषज्ञ क्लीनिकल सेवाएं जिनमें लॉकडाउन के दौरान कमी आई थी उसमें वी आकार का सुधार देखा गया है और दिसंबर, 2020 यह पुनः कोविड महामारी से पहले के दौर में पहुंच गई हैं। तथ्यों के अनुसार अब दैनिक दावे भी बढ़ रहे हैं, आर्थिक समीक्षा में विशेष रूप से बताया गया है कि राष्ट्रीय डायलिसिस मिशन को पीएमजेएवाई के साथ मिलाया जा सकता है।

    11. इकोनॉमिक सर्वे में यह दर्शाया गया है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए प्रत्यक्ष बड़े प्रेरक पैकेज का चयन किया गया। सरकार ने कदम दर कदम दृष्टिकोण को अपनाया।

    12. इकोनॉमिक सर्वे में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सरकार ने दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य कार्यक्रम चलाया है, जन-धन खातों में धन का सीधे हस्तांतरण किया है और ऋण के लिए सरकारी गारंटी आदि प्रदान की गई हैं। राजकोषीय प्रेरक पैकेज का दायरा पूंजीगत व्यय को बढ़ाने, उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन और अन्य योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए व्यापक बनाया गया, ताकि खपत मांग को दोबारा जुटाया जा सके।