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    Budget 2025: घर खरीदारों को टैक्स के बोझ से मिलेगी राहत? क्या डिमांड कर रहा रियल एस्टेट सेक्टर

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 03:54 PM (IST)

    Budget 2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बजट से रियल एस्टेट सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं। यह क्षेत्र खासतौर पर इंडस्ट्री का दर्जा और टैक्स से जुड़ी रियायतें चाहता है। रियल एस्टेट सेक्टर का कहना है कि टैक्स छूट मिलने से घर खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी और इससे डिमांड में उछाल आएगा।

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    होम लोन पर टैक्स छूट बढ़ाने से घर खरीदारों को काफी राहत मिल सकती है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। इसका असर सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है। खासकर, रियल एस्टेट सेक्टर पर, जो देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक है। इसीलिए इंडस्ट्री उम्मीद कर रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट में रियल एस्टेट सेक्टर में डिमांड बढ़ाने के लिए खास उपाय करेंगी और टैक्स से जुड़े मोर्चों पर भी कुछ राहत देंगी। इससे इकोनॉमिक ग्रोथ को भी बढ़ावा मिलेगा। आइए जानते हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर की वित्त मंत्री से क्या उम्मीदें हैं।

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    घर खरीदारों को मिले राहत

    बेसिक होम लोन के फाउंडर और सीईओ अतुल मोंगा का कहना है कि केंद्रीय बजट में होम लोन की EMI चुकाने वालों को टैक्स में छूट दी जानी चाहिए- जैसे सेक्शन 80 सी के तहत। प्रिंसिपल रीपेंमेट में रु 1.5 लाख के कैप को बढ़ाना और सेक्शन 24 बी के तहत ब्याज पर 2 लाख रुपये की छूट को बढ़ाना अच्छी पहल हो सकती है।

    उन्होंने कहा कि इससे घर खरीदने वालों को प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों और महंगाई से कुछ राहत मिलेगी। कन्स्ट्रशन मैटेरियल जैसे सीमेंट पर अभी 28 फीसदी टैक्स लगाया जाता है, इसमें कटौती कर लागत को काफी कम किया जा सकता है। इससे घर खरीदने वालों का सीधा फायदा होगा।

    ‘हमें उम्मीद है कि सरकार आगामी बजट में अफॉर्डेबल हाउसिंग को प्राथमिकता देगी, ताकि अधिक से अधिक भारतीयों का घर खरीदने का सपना साकार हो सके।'

    अतुल मोंगा- सीईओ एवं सह-संस्थापक, बेसिक होम लोन

    टैक्स का बोझ घटाने की मांग

    निम्बस ग्रुप के सीईओ साहिल अग्रवाल का भी मानना है कि घर खरीदने वालों को टैक्स में अधिक राहत मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'घर खरीदारों पर लगाए जाने वाले करों और शुल्कों को युक्तिसंगत बनाना चाहिए। यह कई राज्यों में संपत्ति के मूल्य का 12 फीसदी से अधिक है। पिछले बजट में वित्त मंत्री ने राज्य सरकारों से इस मुद्दे को सुलझाने की अपील की थी, लेकिन अभी तक महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है। साथ ही, हम सरकार से रियल एस्टेट पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स पर फिर से विचार करने और राहत देने की गुजारिश करते हैं।'

    सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का भी सुझाव है कि टैक्स छूट से रियल एस्टेट सेक्टर को काफी फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ समय में प्रॉपर्टी की कीमत और निर्माण लागत बढ़ी है। इसलिए होम लोन पर टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख करने से घर खरीदारों को काफी राहत मिल सकती है। रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा देने और जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़े सुधार भी मांग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।'

    इंडस्ट्री का दर्जा मिलने से बदलेगी सूरत

    हाउसिंगडॉटकॉम और प्रॉपटाइगरडॉटकॉम के ग्रुप सीईओ ध्रुव अग्रवाला भी रियल एस्टेट सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा देने की वकालत करते हैं। उनका कहना हैं, 'रियल एस्टेट सेक्टर लंबे समय से इंडस्ट्री के दर्जे का इंतजार कर रही है। अगर इसे इंडस्ट्री का दर्जा मिलता है, तो डेवलपर्स के लिए फंड जुटाना आसान हो जाएगा। इससे उन्हें बढ़ती इनपुट और लैंड कॉस्ट के बीच उधारी खर्च को कम करने में मदद मिलेगी।'

    अग्रवाला का कहना है कि जीएसटी दरों को सरल बनाना और इनपुट टैक्स क्रेडिट तंत्र को सुव्यवस्थित करना भी अच्छी पहल हो सकती है। इससे खरीदारों के लिए आवास को अधिक सुलभ और किफायती बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते, नई ग्रीनफील्ड सिटी विकसित करने और मौजूदा शहरी केंद्रों के बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने को प्राथमिकता देने वाली नीतियों को लागू करना भी जरूरी है, ताकि बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।

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