सुधारों का नया दौर: सरकार संसद में लाएगी जन विश्वास विधेयक 2.0, गैर आपराधिक होंगे 100 से अधिक कानूनी प्राविधान
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में विभिन्न कानूनों से जुड़े 100 से अधिक प्रविधानों को गैर आपराधिक बनाने का एलान किया है। इसके लिए जल्द ही सरकार जन विश्वास विधेयक 2.0 संसद में पेश करेगी। इसके साथ ही सरकार ने इज आफ डुइंग बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए कई कानूनी प्रविधानों के अनुपालन में छूट देने का ऐलान किया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और इज आफ डुइंग बिजनेस की दिशा में अहम कदम का एलान करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में विभिन्न कानूनों से जुड़े 100 से अधिक प्रविधानों को गैर आपराधिक बनाने का एलान किया है। इसके लिए जल्द ही सरकार जन विश्वास विधेयक 2.0 संसद में पेश करेगी।
कई कानूनी प्रविधानों के अनुपालन में छूट देने का ऐलान
इसके पहले 2023 में सरकार ने जन विश्वास अधिनियम बनाकर 180 से अधिक कानूनी प्रविधानों को गैर आपराधिक बना दिया था। इसके साथ ही सरकार ने इज आफ डुइंग बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए कई कानूनी प्रविधानों के अनुपालन में छूट देने का ऐलान किया है।
दरअसल भारत में कई तरह के कानूनी प्रविधानों का अनुपालन निवेश की राह में बड़ी बाधा के रूप में देखा जाता रहा है। उदाहरण के तौर पर कंपनी कानून 2013 में 176 ऐसे प्रविधान हैं, जिनमें तीन महीने से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है।
मामूली उल्लंघन के मामले में खत्म होगी सजा
इसी तरह से ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक एक्ट और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के कई प्रविधान आपराधिक हैं, जिनके उल्लंघन की स्थिति में सजा हो सकती है। माना जा रहा है कि जन विश्वास विधेयक 2.0 में इन कानूनों में मामूली उल्लंघन के मामले में सजा के प्रविधान को खत्म किया जा सकता है।
2023 के जन विश्वास अधिनियम में कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और पेंटेट जैसे कानूनों में मामूली उल्लंघन को गैर-आपराधिक बनाया गया था। दरअसल सरकार निवेशकों व उद्योगपतियों को सिर्फ मुनाफा कमाने वाले के बजाय वेल्थ क्रियेटर (संपत्ति निर्माता) के रूप में देखती रही है, जो बड़े पैमाने पर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करता है।
जाहिर है सरकार इन वेल्थ क्रियेटर्स के लिए काम करने की राह आसान बनाने की कोशिश कर रही है। इसी के तहत आयातकों को राहत देते हुए आयात शुल्क के मामले की जांच का दायरा चार साल से घटाकर दो साल कर दिया गया है। यानी अब सिर्फ आयात शुल्क जुड़े दो साल तक के मामलों की ही जांच की जा सकेगी।
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