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    Budget 2025 Inside Report: मध्य वर्ग की जेब में आएंगे 1 लाख करोड़, पैदा होगी 3.3 लाख करोड़ की मांग

    Budget 2025 Report इनकम टैक्स में छूट से 8 प्रतिशत विकास दर हासिल करने में मदद मिलने वाली है। नई टैक्स प्रणाली में इंडीविजुल इनकम टैक्स श्रेणी के 78 प्रतिशत रिटर्न फाइल किए गए हैं। वहीं 90 लाख टैक्सपेयर्स ने स्वेच्छा से अतिरिक्त टैक्स का भुगतान किया है। रिपोर्ट के अनुसार बचत बढ़ेगी तो खर्च बढ़ेगा जिससे नौकरियां भी बढ़ेंगी।

    By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 03 Feb 2025 09:57 AM (IST)
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    Budget 2025 Report बजट से मिडल क्लास को फायदा। (फोटो- जागरण)

    एएनआई, नई दिल्ली।  बजट 2025-26 में टैक्स छूट की सीमा बढ़ा कर 12 लाख करने और टैक्स की दरों में बदलाव से लोगों की जेब में करीब 1 लाख करोड़ रुपये आएंगे। यह रकम वह अपनी जरूरतों या दूसरे कामों पर खर्च करेंगे, जिससे 3.3 लाख करोड़ रुपये की मांग पैदा होगी। इससे सुस्त हो रही अर्थव्यवस्था का चक्का तेजी से घूमेगा और देश को आठ प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल करने में मदद मिलेगी।

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    ऐसे होगी लाखों की बचत

    • 2047 तक विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए जरूरी है कि कम से कम एक दशक तक अर्थव्यवस्था आठ प्रतिशत की दर से बढ़े। एसबीआइ की रिपोर्ट के अनुसार नए टैक्स स्ट्रक्चर से चार लाख और इससे अधिक आय के स्लैब में आने वाले करीब 5.65 करोड़ टैक्सपेयर्स को फायदा होगा।
    • जिन लोगों की कमाई सालाना आठ लाख और 12 लाख के बीच है, उनको इस बदलाव से सबसे अधिक लाभ होगा।
    • एसबीआई का अनुमान है कि टैक्स के मद में बचत होने से खपत काफी ज्यादा बढ़ेगी। लोगों के पास खर्च करने के लिए अतिरिक्त पैसा होगा। लोग घर, कार, टीवी, फ्रिज जैसी चीजें खरीदेंगे। इससे मांग में तेजी आएगी।

    अर्थव्यवस्था मजबूत होगी

    अब कंपनियां नए उत्पाद बनाएंगी। मांग बढ़ने से कंपनियां अपने प्लांट की क्षमता का विस्तार करेंगी। इससे निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। लोगों को नौकरियां मिलेंगी। नए लोग कमाना शुरू करेंगे। इससे मांग ओर खपत का चक्र और तेज होगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। पिछले कुछ वर्षों के दौरान निजी निवेश के आंकड़े कमजोर रहे हैं। इस बात के लिए कारपोरेट सेक्टर की आलोचना भी की जा रही है कि प्राइवेट सेक्टर निवेश नहीं कर रहा है।

    बचत बढ़ेगी तो खर्च बढ़ेगा

    वहीं, कारपोरेट सेक्टर का तर्क है कि मांग कमजोर है। ऐसे में निवेश कैसे करें। चार्टर्ड अकाउंटेंट सुशाल सिंह का कहना है टैक्स कटौती का मकसद टैक्सपपेयर्स विशेष रूप से वेतनभोगी वर्ग और छोटे कारोबारियों की जेब में अधिक पैसा पहुंचाना है। जब टैक्सपेयर्स टैक्स के मद में बचत करते हैं तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि यह पैसा वह वस्तुओं, सेवाओं और आवास पर खर्च करें।

    इस कारण रिटर्न भरने का समय बढ़ा 

    रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर यू) फाइल करने की समय सीमा 24 माह से बढ़ा कर 48 माह कर दी है। इस बदलाव का मकसद टैक्सपेयर्स को स्वैच्छिक तरीके से आय का ब्यौरा अपडेट करने और अतिरिक्त बकाया टैक्स का भुगतान करने के लिए अधिक समय देना है।

    अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि करीब 90 लाख टैक्सपेयर्स ने स्वेच्छा से अतिरिक्त टैक्स भुगतान करके अपनी आय अपडेट की है। रिपोर्ट के अनुसार इंडीविजुअल इनकम टैक्स श्रेणी में फाइल किए गए 78 प्रतिशत रिटर्न नई टैक्स प्रणाली में हैं। बजट में नई प्रणाली में इनकम टैक्स के मोर्चे पर बड़ी राहत दी गई है।