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    Budget 2024 : चीन ने दोगुना किया डिफेंस बजट, फिर भारत क्यों हिचकता है रक्षा खर्च बढ़ाने से?

    Updated: Mon, 22 Jul 2024 11:02 AM (IST)

    चीन में आर्थिक सुस्ती है। इसके बावजूद उसने अपने रक्षा बजट को 2015 के मुकाबले दोगुना कर दिया है। भारत ने अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए करीब 75 अरब डॉलर आवंटित किए थे लेकिन चीन का डिफेंस बजट करीब 231 खरब डॉलर होने वाला है। यही वजह है कि एक्सपर्ट जोर दे रहे हैं कि भारत को अभी रक्षा बजट पर खास फोकस करने की जरूरत है।

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    साल 2023 में भारत का रक्षा बजट दुनियाभर चौथा सबसे बड़ा था।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करेंगी, तो रक्षा बजट पर सभी की नजरें रहेंगी। खासकर, यह देखते हुए कि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों ने अपने डिफेंस बजट में बड़ा इजाफा किया है, जिनके साथ भारत का तनाव जगजाहिर है। हालांकि, इस बात की संभावना कम है कि वित्त मंत्री डिफेंस सेक्टर को कोई बहुत बड़ी सौगात देंगी, फिर भी रक्षा बजट में ठीक-ठाक बढ़ोतरी की गुंजाइश से इनकार नहीं किया जा सकता।

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    क्या पर्याप्त है मौजूदा रक्षा खर्च?

    स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में भारत का रक्षा बजट दुनियाभर चौथा सबसे बड़ा था। इसे बेशक आप अच्छा कह सकते हैं। लेकिन, अगर आप संदर्भ को थोड़ा बदलेंगे, तो पता चलेगा कि यह चीन के रक्षा बजट से एक-तिहाई कम है। इसका मतलब कि भारत का मौजूदा डिफेंस बजट अपर्याप्त है।

    चीन ने दोगुना किया रक्षा बजट

    चीन में आर्थिक सुस्ती है। इसके बावजूद उसने 2015 से अपने रक्षा बजट को दोगुना कर दिया है। मोदी ने सरकार इस साल अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए करीब 75 अरब डॉलर आवंटित किए थे। वहीं, 2024 में चीन का डिफेंस बजट करीब 231 खरब डॉलर हो जाएगा। पाकिस्तान ने भी इस साल अपने रक्षा बजट को 15 फीसदी बढ़ाया है, वो भी आर्थिक बदहाली के बावजूद। यही वजह है कि एक्सपर्ट जोर दे रहे हैं कि भारत को अभी रक्षा बजट पर खास फोकस करने की जरूरत है।

    रक्षा बजट में कहां बढ़े खर्च?

    अभी डिफेंस सेक्टर को मिलने वाले बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन देने में चला जाता है। इसका मतलब है कि हथियार खरीदने और दूसरी अहम जरूरतों के लिए काफी कम पैसे बचते हैं। सरकार को डिफेंस इनोवेशन के लिए खर्च बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि तभी देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है।

    भारत में रक्षा अनुसंधान का काम डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) देखती है। लेकिन, अंतरिम बजट में डीआरडीओ का बजट सिर्फ 540 करोड़ रुपये बढ़ाया गया। इस आवंटन को और बेहतर करने की जरूरत है।

    रक्षा बजट बढ़ाने की जरूरत क्यों?

    दक्षिण चीन सागर के तटीय इलाकों में चीन की हरकतें उकसाने वाली हैं। यह वैश्विक संघर्ष को भी जन्म दे सकती हैं। पाकिस्तान के साथ भी भारत का विवाद लगातार जारी है। ऐसे में LAC और LOC पर भारत के लिए अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए चुनौतियां खड़ी रहती हैं। इसलिए रक्षा बजट को बढ़ाने की जरूरत है।

    कहां रहेगा वित्त मंत्री का फोकस?

    केंद्र सरकार की नीतियां मेड इन इंडिया यानी स्वदेशीकरण के इर्द-गिर्द घूम रही हैं। ऐसे में उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में घरेलू उत्पादन में तेजी, स्वदेशीकरण और निर्यात से लेकर सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास जैसी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करेंगी। वह इसे और बढ़ाने की दिशा में भी प्रयास कर सकती हैं।

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