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    जनवरी 2025 का ये खास डेटा तय करेगा, ब्याज दरों में कटौती होगी या फिर नहीं

    आरबीआई ने लगभग दो साल तक प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया। उन्होंने आर्थिक विकास पर महंगाई घटाने को तरजीह दी। मौजूदा वित्त वर्ष की सितंबर में जीडीपी ग्रोथ 7 तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई थी। ICICI बैंक की एक रिपोर्ट का कहना है कि अगर खाने-पीनों की चीजों का दाम घटता है तो रेपो रेट में ढील देने का पक्ष मजबूत होगा।

    By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 24 Dec 2024 05:40 PM (IST)
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    पिछली एमपीसी मीटिंग दिसंबर 2024 की शुरुआत में हुई थी।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अगर जनवरी में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट आती है तो आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) फरवरी में रेपो रेट में कटौती पर विचार कर सकती है। ICICI बैंक की एक रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि खाद्य कीमतों में गिरावट रेपो रेट में ढील देने का पक्ष मजबूत होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई केंद्रीय मंत्री पहले ही आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की वकालत कर चुके हैं।

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    पिछली एमपीसी मीटिंग दिसंबर 2024 की शुरुआत में हुई। यह पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली कमेटी की आखिरी मीटिंग थी। इस एमपीसी की बैठक के मिनट्स से रेपो रेट को लेकर सदस्यों के नरम रुख का पता चला है। दो सदस्यों ने दरों में कटौती की वकालत की थी।

    हालांकि ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर ही बनाए रखने के पक्ष में रहने वाले सदस्यों ने कहा था कि अभी दरों में कटौती का समय उचित नहीं है। उन्होंने संकेत दिया था कि आने वाले महीनों में कम खाद्य मुद्रास्फीति इस तरह के कदम के लिए सही अवसर दे सकती है।

    आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 5.48 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर में यह 6.21 प्रतिशत थी। आरबीआई ने दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा है।

    ब्याज दर ऊंची होने से भारी नुकसान

    ICICI बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फेडरल ओपेन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) के आक्रामक रुख से प्रेरित होकर अमेरिकी डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ और भारतीय करेंसी दबाव में रही। रुपये में गिरावट के चलते विदेशी निवेशकों ने 0.2 अरब डॉलर का अपना निवेश भारतीय बाजार निकाल लिया।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बिगड़ते आर्थिक दृष्टिकोण से निकट भविष्य में भारतीय मुद्रा के दबाव में रहने की आशंका है। रिपोर्ट में घरेलू मुद्रास्फीति के रुझान और बाहरी कारकों के बीच परस्पर क्रिया पर प्रकाश डाला गया है, जो आने वाले महीनों में आरबीआई के मौद्रिक नीति के फैसलों को आकार देगा।

    क्या नए आरबीआई गवर्नर घटाएंगे ब्याज दर

    पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई में आरबीआई ने लगभग दो साल तक प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया। उन्होंने आर्थिक विकास पर महंगाई घटाने को तरजीह दी। मौजूदा वित्त वर्ष की सितंबर में जीडीपी ग्रोथ 7 तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई थी।

    अब नजरें नए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा पर है, जो फरवरी 2025 में पहली पहली बार एमपीसी मीटिंग का हिस्सा बनेंगे। अगर नवंबर की तरह दिसंबर और जनवरी में भी महंगाई काबू में रही, तो आरबीआई फरवरी में रेट कट कर सकता है।

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