जीरोधा वाले नितिन कामथ की चेतावनी, वीकली ऑप्शंस बंद हुए तो इक्विटी डिलीवरी पर लगेगा चार्ज; किस पर पड़ेगा असर?
Regulatory impact on brokerage model जीरोधा के फाउंडर नितिन कामथ ने निवेशकों को चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर वीकली ऑप्शंस ट्रेडिंग पर बैन लग गया तो कंपनी को मजबूरी में अपने बिजनेस मॉडल में बड़ा बदलाव करना पड़ सकता है। इसमें इक्विटी डिलीवरी ट्रेड पर भी ब्रोकरेज चार्ज लगाना शामिल हो सकता है जो अभी तक पूरी तरह मुफ्त है।

नई दिल्ली| भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ब्रोकरेज कंपनी में शुमार जीरोधा के फाउंडर नितिन कामथ (Nithin Kamath) ने निवेशकों को चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर वीकली ऑप्शंस ट्रेडिंग (weekly options expiry) पर बैन लग गया तो कंपनी को मजबूरी में अपने बिजनेस मॉडल में बड़ा बदलाव करना पड़ सकता है। इसमें इक्विटी डिलीवरी ट्रेड पर भी ब्रोकरेज चार्ज लगाना शामिल हो सकता है, जो अभी तक पूरी तरह मुफ्त है।
आखिर क्यों बढ़ रही हैं मुश्किलें?
जीरोधा (Zerodha) को पहले ही फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) पर लगी कई पाबंदियों से नुकसान हो चुका है। कंपनी का कहना है कि अक्टूबर 2024 से अब तक आए बदलावों ने उसकी कमाई पर गहरा असर डाला है। लेन-देन शुल्क से मिलने वाली आय घट गई। सरकार ने F&O पर STT (सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स) बढ़ा दिया। एक्सचेंज ने फीस पर मिलने वाली छूट खत्म कर दी। इन्ट्रा-डे ट्रेडिंग के नियम कड़े कर दिए गए।
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नितिन कामथ ने ब्लॉग में क्या लिखा?
नितिन कामथ ने अपने ब्लॉग में लिखा कि,
"रेगुलेटरी कदम, चाहे ट्रांजैक्शन चार्ज की गिरावट हो, STT में बढ़ोतरी हो या ASBA जैसे नए नियम, सबका असर हमारे रेवेन्यू और प्रॉफिट पर पड़ रहा है। अब समय आ गया है कि बिजनेस मॉडल को Pivot किया जाए।"
क्या और किस पर होगा असर?
वीकली इंडेक्स ऑप्शंस अभी रिटेल इन्वेस्टर्स की सबसे ज्यादा एक्टिविटी वाला सेगमेंट है। इसी से जीरोधा जैसे ब्रोकर्स का जीरो ब्रोकरेज डिलीवरी मॉडल चलता है। अगर ये ऑप्शंस बैन हो जाते हैं तो कंपनी की आय का बड़ा हिस्सा खत्म हो जाएगा। कामथ ने कहा कि ऐसी स्थिति में इक्विटी डिलीवरी पर चार्ज लगाना मजबूरी बन जाएगा।
40% गिर सकती है जीरोधा की कमाई
कामथ के मुताबिक, जून 2025 तिमाही में जीरोधा की ब्रोकरेज आय पिछले साल की तुलना में करीब 40% कम हो सकती है। नए अकाउंट खुलने की रफ्तार भी धीमी हो गई है, जबकि कंपनी ने 2024 में अकाउंट ओपनिंग फीस पूरी तरह हटा दी थी। फिर भी कंपनी के पास भारत के रिटेल और HNI निवेशकों की लगभग 10% हिस्सेदारी है और पिछले 9 महीनों में उसका मार्जिन ट्रेडिंग बुक 5,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
निवेशकों के लिए क्या हैं मायने?
अगर वीकली ऑप्शंस पर रोक लगती है तो रिटेल ट्रेडर्स के लिए शॉर्ट-टर्म दांव लगाने के मौके घट जाएंगे। सिस्टमिक रिस्क जरूर कम होगा, लेकिन ब्रोकरेज कंपनियों का कारोबार भी छोटा हो जाएगा।
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