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    डॉलर की मजबूती के आगे फीके पड़े बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार, अमेरिका और जापान के मुकाबले कहां है भारत

    Foreign Reserve डॉलर की मजबूती के कारण पिछले कुछ महीनों में यूरो ब्रिटिश पाउंड और येन की कीमत में तेजी के गिरावट हुई है जिससे दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों का विदेशी मुद्रा भंडार बड़ी मात्रा में गिरा है।

    By Abhinav ShalyaEdited By: Updated: Thu, 06 Oct 2022 11:00 PM (IST)
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    World currency reserves shrink by 1 trillion dollar in record drawdown

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। डॉलर के लगातार मजबूत रहने के कारण वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। भारत ही नहीं, यूरोप के बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे गिरे हैं। इसके पीछे का कारण इन देशों की ओर से अपनी मुद्रा को सहारा देने के लिए डॉलर को बड़ी संख्या में खर्च करना है।

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    ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की शुरुआत से अब तक दुनिया के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की कमी आ चुकी है और यह घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर रह गया है। ब्लूमबर्ग की ओर से 2003 से आंकड़े एकत्रित किए जाने के बाद से अब तक की यह सबसे बड़ी गिरावट है।

    डॉलर दो साल की ऊंचाई पर

    अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेड की ओर से ब्याज दर लगातार तीसरी बार 0.75 प्रतिशत बढ़ाने के एलान के बाद से डॉलर पूरी दुनिया की मुद्राओं के मुकाबले लगातार मजबूत हो रहा है। डॉलर, यूरो और येन जैसी मजबूती मुद्राओं के सामने 20 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

    विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण

    डॉलर की मजबूती के कारण दुनिया के विभिन्न देशों के पास विदेशी मुद्रा भंडारों में मौजूद अन्य विदेशी मुद्राओं जैसे यूरो और पाउंड की कीमत में तेजी से गिरावट हुई हैं। इसके कारण दुनिया के विदेशी मुद्रा भंडारों का मूल्यांकन गिरा है। वहीं, दुनिया के सभी देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का एक अन्य बड़ा कारण डॉलर के सामने अपने देश की मुद्रा के अवमूल्यन में कमी लाने के लिए बड़ी मात्रा में डॉलर को बेचना है।

    उदाहरण के लिए, भारत का विदेश मुद्रा भंडार इस साल की शुरुआत से अब तक 96 बिलियन डॉलर गिरकर 538 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इसमें 67 प्रतिशत गिरावट दुनिया की अन्य मुद्राओं में कमी के कारण है, जबकि बाकी की गिरावट भारतीय रुपये में गिरावट रोकने के लिए डॉलर खर्च करने के कारण हुई है। इस साल की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 10 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।

    जापान अपनी मुद्रा येन को संभालने के लिए करीब 20 बिलियन डॉलर की राशि को खर्च कर चुका है। 1998 के बाद यह पहला मौका था, जब जापान ने डॉलर के मुकाबले येन की स्थिति को संभालने के लिए करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप किया था। इस साल से अब तक डॉलर के मुकाबले येन की कीमत में 19 प्रतिशत की गिरावट हुई है। यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक के विदेशी मुद्रा भंडार में भी 19 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

    भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार

    रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है। यह अभी भी 2017 के स्तर से 49 प्रतिशत अधिक है, जो कि नौ महीने के आयात के लिए काफी है।

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