Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्टैंड अप इंडिया स्कीम में 81 फीसद से अधिक खाताधारक महिलाएं, बढ़ रहा वित्तीय समावेशन

    वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक स्टैंड अप इंडिया स्कीम में 81 फीसद से अधिक खाताधारक महिलाएं हैं। मंत्रालय के मुताबिक इस साल 26 फरवरी तक स्टैंड अप इंडिया स्कीम के तहत महिलाओं के 91109 खातों में 20749 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

    By Pawan JayaswalEdited By: Updated: Tue, 09 Mar 2021 07:51 AM (IST)
    Hero Image
    Stand up India Scheme P C : Pixabay

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उद्यमशीलता के लिए मिलने वाले कर्ज में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, स्टैंड अप इंडिया और मुद्रा योजना के तहत कारोबार शुरू करने के लिए पुरुषों से अधिक महिलाओं ने कर्ज लिया। वित्तीय समावेशन के लिए प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत भी आधे से अधिक खाते महिलाओं ने खुलवाए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, स्टैंड अप इंडिया स्कीम में 81 फीसद से अधिक खाताधारक महिलाएं हैं। मंत्रालय के मुताबिक इस साल 26 फरवरी तक स्टैंड अप इंडिया स्कीम के तहत महिलाओं के 91,109 खातों में 20,749 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। स्टैंडअप इंडिया स्कीम के तहत अनुसूचित जाति-जनजाति एवं महिलाओं को ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के लिए 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक के कर्ज दिए जाते हैं। पांच अप्रैल, 2016 को स्टैंड अप इंडिया स्कीम लांच की गई थी।

    इससे सालभर पहले आठ अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत कारोबार शुरू करने के लिए कर्ज दिया जाता है। मंत्रालय के मुताबिक, इस साल 26 फरवरी तक मुद्रा योजना के तहत दिए गए कर्ज में 68 फीसद हिस्सेदारी महिलाओं की रही। 19.04 करोड़ महिला उद्यमियों को 6.36 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए। मुद्रा योजना के तहत सरकारी बैंकों के साथ-साथ गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान भी कर्ज दे रहे हैं। मुद्रा स्कीम में शिशु, किशोर व तरुण नाम से तीन प्रकार के कर्ज की सुविधा हैं।

    वित्तीय समावेश के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत भी महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा रही है। इस साल 24 फरवरी तक जन-धन योजना के तहत कुल खातों की संख्या 41.93 करोड़ रही। इनमें से 23.21 करोड़ खाते महिलाओं के हैं।

    डिजिटल भुगतान में जागरूकता की जरूरत

    महिलाओं में अभी डिजिटल भुगतान को लेकर जागरूकता की कमी है। वे नकदी में भुगतान को प्राथमिकता देती हैं। पेनियरबाई की तरफ से जारी 'वीमेंस डिजिटल इंडिपेंडेंस इंडेक्स' के मुताबिक 65 प्रतिशत से अधिक महिलाएं आज भी नकदी में लेनदेन करती हैं। इसके बाद आधार पे, यूपीआइ क्यूआर और कार्ड का नंबर आता है। डिजिटल लेनदेन करने वाली अधिकतर महिलाएं 31 से 40 साल की बताई गई।