कोरोना ने अर्थव्यवस्था को किया था तबाह, सप्लाई चेन हुई थी ध्वस्त; मंकीपॉक्स क्या करेगा?
चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं का दम निकाल दिया था। चीन अमेरिका ब्रिटेन से लेकर भारत जैसे सभी देशों में सख्त लॉकडाउन था। इससे कारोबारी गतिविधियां ठप हो गई थीं। सप्लाई चेन भी ध्वस्त हो गई थी। अब मंकीपॉक्स के हेल्थ इमरजेंसी घोषित होने के बाद इसी तरह की आशंका जताई जा रही है। आइए जानते हैं कि यह कितना खतरनाक हो सकता है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने मंकीपॉक्स या एमपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया। मंकीपॉक्स से अफ्रीका महाद्वीप सबसे अधिक प्रभावित है। वहां 10 देशों में अब तक इसके 20 हजार मरीज सामने आ चुके हैं। मंकीपॉक्स भी कोरोना महामारी की तरह संक्रमण से फैलता है। यही वजह है कि दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले मिले हैं। इनमें हमारा पड़ोसी पाकिस्तान भी शामिल है। आइए जानते हैं कि मंकीपॉक्स कितना खतरनाक है और इसका अर्थव्यवस्था, खासकर आयात और निर्यात, पर क्या असर पड़ सकता है।
क्या कोरोना जितना खतरनाक है मंकीपॉक्स?
चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं का दम निकाल दिया था। चीन, अमेरिका, ब्रिटेन से लेकर भारत जैसे सभी देशों में सख्त लॉकडाउन था। इससे कारोबारी गतिविधियां ठप हो गई थीं। सप्लाई चेन भी ध्वस्त हो गई थी। बेरोजगारी अपने चरम पर थी। अब मंकीपॉक्स के हेल्थ इमरजेंसी घोषित होने के बाद इसी तरह की आशंका जताई जा रही है।
हालांकि, राहत बात यह है कि मंकीपॉक्स फिलहाल कोरोना जितना संक्रामक नहीं है यानी यह उतनी तेजी से नहीं फैल रहा और इसमें मृत्युदर भी कम है। इससे खतरनाक वाले वेरिएंट से संक्रमित होने वाले 100 मरीजों में से सिर्फ 10 की मौत हो रही। वहीं, आम वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में 99.9 फीसदी बच जाते हैं यानी मृत्यु दर तकरीबन न के बराबर है।
किन कारोबारों पर हो सकता है असर?
अगर भारत की बात करें, तो अफ्रीका में निर्यात करने वाले कारोबारी ज्यादा चिंतित हैं। भारतीय निर्यातकों का कहना है कि अगर मंकीपॉक्स की समस्या अधिक विकराल होती है, तो उनके लिए समस्या बढ़ सकती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय का कहना है कि अभी मंकीपॉक्स ज्यादा तेजी से नहीं फैल रहा, लेकिन संक्रमण को देखते हुए निर्यातक परेशान जरूर हैं।
देश के बड़े फुटवियर एक्सपोर्टर में शुमार फरीदा ग्रुप के चेयरमैन रफीक अहमद ने कहा, 'अभी सिचुएशन अलार्मिंग तो नहीं तो है, लेकिन हम बीमारी फैलने से चिंतित है।' एक अन्य एक्सपोर्टर का कहना है कि अभी अफ्रीका में लॉकडाउन जैसी स्थिति नहीं है। ऐसे में डिमांड-सप्लाई जारी है और हमें भुगतान भी समय पर मिल रहा है। लेकिन, हम मंकीपॉक्स को लेकर चिंतित जरूर हैं और उम्मीद करते हैं कि चीजों जल्दी सही हो जाएं।
एमपॉक्स का असर अभी सीमित
थिंक टैंक- ग्लोब ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) का कहना है कि अभी ग्लोबल ट्रेड पर एमपॉक्स प्रकोप का प्रभाव अपेक्षाकृत सीमित रहा है, लेकिन हालात पर करीबी नजर बनाए रखने की जरूरत है। जीटीआरआई के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते दुनियाभर में सख्त ट्रैवल बैन लगे। हालांकि, एमपॉक्स से फिलहाल उस तरह के उपाय अपनाने की जरूरत महसूस नहीं हुई है।
हालांकि, श्रीवास्तव ने जोर दिया कि भारत को जरूरी एहतियात बरतने चाहिए और एमपॉक्स से जुड़ी समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इससे व्यापार में किसी भी संभावित व्यवधान को कम किया जा सकेगा। अर्थव्यवस्था पर मंकीपॉक्स के प्रभाव को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी तैयार करने की जरूरत है।
(पीटीआई से इनपुट के साथ)
यह भी पढ़ें : भारत में हो सकती है रोजगार की भरमार, IMF की गीता गोपीनाथ ने सुझाया रास्ता
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।