अनिल अंबानी फ्रॉड...', संसद में जवाब देकर सरकार ने भी लगा दी मुहर, अब CBI के पास जाएगा मामला
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस ( Reliance Communications fraud) और अनिल अंबानी (Anil Ambani) को धोखाधड़ी घोषित किया है और सीबीआई में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में है। एसबीआई ने आरबीआई को धोखाधड़ी की सूचना दी। आरकॉम दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है जिसकी समाधान योजना एनसीएलटी की मंजूरी का इंतजार कर रही है।

नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और इसके प्रमोटर डायरेक्टर अनिल अंबानी को 'फ्रॉड' (Anil Ambani fraud) के रूप में बताया है। वह इस मामले के लिए CBI में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया में भी है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में सोमवार को संसद को यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर आरबीआई के मास्टर निर्देशों और धोखाधड़ी के वर्गीकरण, रिपोर्टिंग और प्रबंधन पर बैंक के बोर्ड के अनुमोदित नीति के अनुसार, संस्थाओं को 13 जून को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
उन्होंने कहा, "24 जून को बैंक ने आरबीआई को धोखाधड़ी के वर्गीकरण की सूचना दी और वह सीबीआई में भी शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया में है।"
इसके अलावा, 1 जुलाई को प्रकटीकरण अनुपालन के भाग के रूप में, आरकॉम के समाधान पेशेवर ने बैंक के धोखाधड़ी वर्गीकरण के बारे में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया।
उन्होंने कहा कि आरकॉम में एसबीआई के लोन रिस्क में 26 अगस्त 2016 से मिली ब्याज और व्यय के साथ 2,227.64 करोड़ रुपये की निधि-आधारित मूल बकाया राशि और 786.52 करोड़ रुपये की गैर-निधि-आधारित बैंक गारंटी शामिल है।
आरकॉम दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। समाधान योजना को लेनदारों की समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था और 6 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण, या एनसीएलटी, मुंबई के साथ दायर किया गया था और एनसीएलटी की मंजूरी का इंतजार है।
उन्होंने कहा कि बैंक ने अनिल डी. अंबानी के खिलाफ आईबीसी के तहत व्यक्तिगत दिवाला समाधान प्रक्रिया भी शुरू की है और इसकी सुनवाई एनसीएलटी, मुंबई में हो रही है।
बैंक ने इससे पहले 10 नवंबर, 2020 को खाते और प्रमोटर अनिल अंबानी को 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत किया था और 5 जनवरी, 2021 को CBI में शिकायत दर्ज की थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 6 जनवरी, 2021 को दिए फैसले में जारी 'यथास्थिति' आदेश के मद्देनजर शिकायत वापस कर दी गई।
इस बीच, भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य मामले में 27 मार्च, 2023 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह अनिवार्य किया गया कि ऋणदाता उधारकर्ताओं को उनके खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले प्रतिनिधित्व का अवसर प्रदान करें।
उनके अनुसार, बैंक ने 2 सितंबर, 2023 को खाते में धोखाधड़ी का वर्गीकरण उलट दिया।
धोखाधड़ी वर्गीकरण प्रक्रिया को पुनः चलाया गया, तथा 15 जुलाई, 2024 के आरबीआई परिपत्र के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद खाते को पुनः 'धोखाधड़ी' के रूप में वर्गीकृत किया गया।
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