मार्केट अनसर्टेनिटी में एसेट एलोकेशन अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?
इक्विटी मार्केट में कहा जाता है कि अनसर्टेनिटी ही केवल सर्टिनिटी है। COVID के बाद इक्विटी मार्केट ने जबरदस्त उछाल देखा और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर के बाजार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें स्मॉल-कैप स्टॉक ने लगभग चार वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मार्केट के इस उत्साह ने ऐसे कई निवेशकों को आकर्षित किया जिनके पास अनुभव नहीं था।

ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। इक्विटी मार्केट में कहा जाता है कि अनसर्टेनिटी ही केवल सर्टिनिटी है। COVID के बाद इक्विटी मार्केट ने जबरदस्त उछाल देखा और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर के बाजार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें स्मॉल-कैप स्टॉक ने लगभग चार वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मार्केट के इस उत्साह ने ऐसे कई निवेशकों को आकर्षित किया, जिनके पास अनुभव नहीं था। उन्होंने इस चढ़ते मार्केट में लाभ कमाया, खासकर उन स्टॉक्स से जिसपर पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया, पर बाद में वे लोकप्रिय हो गए। हालांकि, सितंबर 2024 के अंत तक, बाजार से लगभग 1.3 ट्रिलियन डॉलर साफ हो गया, इसमें स्मॉल-कैप स्टॉक लगभग 50% तक करेक्ट हुए। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) ने 2025 के पहले 65 दिनों में भारत से $15.85 बिलियन निकाले थे, जिससे 2022 के रिकॉर्ड $17 बिलियन को पार करने की संभावना है।
इससे यह पता चलता है कि इक्विटी के लॉन्ग-टर्म बेहतर प्रदर्शन का सिद्ध इतिहास होने के बावजूद दूसरे एसेट के अनुपात में उसपर एकमात्र भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि COVID, ट्रेड वॉर और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा अवमूल्यन जैसे मैक्रो इकोनॉमिक्स ट्रिगर्स की वजह से वोलेटाइल रिटर्न का जोखिम बना रहता है।
इसलिए, अगर आप इन मैक्रो इकोनॉमिक्स प्रभावों के कारण अपनी नींद गंवाना नहीं चाहते हैं, तो आपको एसेट एलोकेशन पर सावधानीपूर्वक ध्यान देते हुए पोर्टफोलियो बनाना चाहिए, जिसमें इक्विटी, डेट और गोल्ड का मिश्रण शामिल हो। यह रणनीति पोर्टफोलियो वोलैटिलिटी को कम कर सकती है और उचित लॉन्ग-टर्म रिटर्न दे सकती है।
अध्ययनों से पता चलता है कि सस्टेनेबल लॉन्ग-टर्म रिटर्न सिक्योरिटी सलेक्शन की तुलना में एसेट एलोकेशन पर अधिक निर्भर है। इसने एसेट एलोकेशन फंडों को विश्वसनीयता प्रदान की है, जहां मॉडल-ड्रिवन अप्रोच के आधार पर अलग-अलग एसेट एलोकेशन क्लास में आवंटन किया जाता है। इस दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप मॉडल की रीडिंग के अनुसार एसेट क्लास का वेटेज अपने आप एडजस्ट होता है। उदाहरण के लिए, जब बाजार का वैल्यूएशन बढ़ जाए और स्टॉक मार्केट का बुलबुला बड़ा हो जाए , तो यह मॉडल ऑटोमेटिक तरीके से इक्विटी आवंटन को कम कर देगा और अन्य एसेट क्लास में एक्सपोजर बढ़ा देगा।
वीरेंद्र चौहान, म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूट-जयपुर के अनुसार “इस स्ट्रेटजी के अनुरूप, अगर निवेशक एक प्रभावी एसेट एलोकेशन पर समाधान चाहते हैं, तो वो ICICI Prudential Asset Allocator Fund (FOF) पर विचार कर सकते हैं। यह फंड इन-हाउस वैल्यूएशन मॉडल का उपयोग करके इक्विटी, डेट और गोल्ड म्यूचुअल फंड स्कीम/ईटीएफ में एलोकेशन को ऑटोमेटिक तरीके से बदलाव करके एडजस्ट करता है। 28 फरवरी, 2025 तक, इसने 6.85% का एक साल का रिटर्न दिया है, जिसमें तीन साल में 11.80% और पांच साल में 13.69% का शानदार CAGR रिटर्न है।"
लेखक - वीरेंद्र चौहान
म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूट-जयपुर
Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।
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