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    तरबूज के जिन बीजों को आप देते हैं थूक, चीन से आ रही थी करोड़ों किलो की खेप! अब सरकार ने मारा ब्रेक

    भारत सरकार ने तरबूज के बीजों के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। ये बीज, खासकर चीन से, भारी मात्रा में आयात किए जा रहे थे, जिससे भारतीय किसानों और देसी बीज उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा था। सस्ते विदेशी बीजों के कारण मिट्टी की उर्वरता घट रही थी और किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही थी। इस प्रतिबंध से अब देसी बीजों की मांग बढ़ेगी, जिससे भारतीय किसानों को रोजगार मिलेगा और उन्हें आर्थिक लाभ होगा, साथ ही परंपरागत खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।  

    By Ashish Kushwaha Edited By: Ashish Kushwaha Updated: Wed, 25 Jun 2025 02:26 PM (IST)
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    आपने कभी सोचा है कि जिस तरबूज के बीज को खाते वक्त आप थूक देते हैं, उसी के नाम पर विदेशी कंपनियां करोड़ों कमा रही थीं? जी हां... वो बीज जो आपके लिए कचरा रही होगी, वही चीन जैसे देश भारत में लाखों टन भेजकर किसानों की कमर तोड़ रहे थे। अब सरकार ने इस पर सख्ती दिखाई है और वॉटरमेलन बीज के आयात पर पूरी तरह रोक लगा दी है।

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    83,000 टन से ज्यादा विदेशों से आया बीज

    वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ पिछले साल भारत ने 83,812 टन (83812000 किलो) तरबूज के बीज आयात किए। जबकि पिछले तीन सालों का औसत केवल 40,000 टन के करीब था। यह संख्या अचानक दोगुनी कैसे हो गई? इसका जवाब आसान है और वह है सस्ते विदेशी बीज और लापरवाही का नतीजा।

    देसी बीज का हाल बेहाल

    इस आयात की वजह से देसी बीज उत्पादक और किसान बुरी तरह प्रभावित हुए। भारत में हर साल करीब 60 से 65 हजार टन बीजों की जरूरत होती है, लेकिन देश में उत्पादन केवल 40,000 टन ही हो पाता है। बाकी 20–25 हजार टन की भरपाई के लिए विदेशी बीजों पर निर्भरता बढ़ गई थी।

    ये बीज ज्यादातर चीन जैसे देशों से आ रहे थे, जो कि भारत के लिए रणनीतिक और व्यापारिक चुनौती भी माने जाते हैं। किसानों को सस्ते दाम पर ये बीज तो मिल रहे थे, लेकिन इनसे मिट्टी की उर्वरता घट रही थी, रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता बढ़ रही थी और परंपरागत खेती बर्बादी के कगार पर आ गई थी। विश्व स्तर पर, तरबूज का सबसे बड़ा उत्पादक चीन (79 मिलियन टन) है, उसके बाद तुर्किये, ईरान, ब्राज़ील और उजबेकिस्तान हैं। अल्जीरिया, अमेरिका, रूस, मिस्र और मैक्सिको टॉप 10 में शामिल हैं।

    सरकार ने अब लगाया ब्रेक

    लघु उद्योग भारती और किसान संगठनों के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने अब इन बीजों के आयात पर पूरी तरह रोक लगा दी है। अब से कोई भी बिना लाइसेंस और निगरानी के बीज नहीं मंगा सकेगा।

    किसानों को मिलेगा 8 महीने का रोजगार

    भारतीय किसान संघ के राजस्थान राज्य महासचिव तुलचराम सीवर का कहना है कि अब देसी बीजों की मांग बढ़ेगी और इससे सीमांत किसानों को बीज की प्रोसेसिंग, सुखाने और सफाई में लगभग 8 महीने तक रोजगार मिलेगा। विदेशी बीज 15-20% तक सस्ते जरूर थे, लेकिन अब जब उनके आयात पर पाबंदी लग गई है, तो देसी बीजों की कीमत और मांग दोनों बढ़ेंगी।