सर्च करे
Home

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    US में एप्पल-गूगल तो चीन की सबसे बड़ी कंपनियां कौन? ड्रैगन के K-Visa से भारतीयों के लिए कैसे खुलेंगे रास्ते?

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 06:00 PM (IST)

    चीन ने अमेरिका को टक्कर देने के लिए के वीजा प्रोग्राम (China K Visa programme) लॉन्च किया है, जो H-1B वीजा जैसा है। इसका उद्देश्य दुनियाभर के प्रतिभाशाली लोगों को आकर्षित करना है। चीन की टेनसेंट, अलीबाबा, हुवावे जैसी कंपनियां भारतीय प्रोफेशनल्स को हायर कर रही हैं। K-Visa से भारतीय प्रोफेशनल्स को रिसर्च और इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में काम करने का मौका मिलेगा, जिससे चीन में काम करने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है।

    Hero Image

    US में एप्पल-गूगल तो चीन की सबसे बड़ी कंपनियां कौन? ड्रैगन के K-Visa से भारतीयों के लिए कैसे खुलेंगे रास्ते?

    नई दिल्ली| अमेरिका को सीधी टक्कर देने के लिए चीन ने अब अपना नया K-Visa प्रोग्राम लॉन्च किया है, जो बिल्कुल अमेरिका के H-1B वीजा जैसा है। इसका मकसद है दुनियाभर से टैलेंटेड लोगों और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स को चीन में काम करने के लिए आकर्षित करना। चीन ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब अमेरिका में सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी के चलते H-1B वीजा को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चीन का यह कदम ग्लोबल टैलेंट की रेस में एक बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा भारतीय टेक प्रोफेशनल्स को मिल सकता है, क्योंकि चीन की कई दिग्गज टेक कंपनियां पहले से ही भारतीय इंजीनियर्स और आईटी एक्सपर्ट्स में दिलचस्पी दिखा रही हैं।

    अब देखना ये है कि जब अमेरिका के पास गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और एप्पल जैसी कंपनियां हैं, तो चीन के पास कौन-सी बड़ी टेक कंपनियां (China largest companies) हैं जो भारतीय टैलेंट को अपनी ओर खींच सकती हैं?

    चीन के पास टिकटॉक और अलीबाबा जैसी टॉप-10 टेक कंपनियां

    चीन के पास टेनसेंट, बाइटडांस, अलीबाबा और हुवावे जैसी बड़ी टेक कंपनियां हैं। जिनमें लाखों की संख्या में कर्मचारी काम करते हैं। साथ ही इन कंपनियों का मार्केट कैप लाखों करोड़ में है। ये है टॉप-10 कंपनियों की लिस्टः

    क्रम कंपनी मार्केट कैप कर्मचारियों की संख्या
    1 टेनसेंट (Tencent) 758.90 बिलियन डॉलर 1,09,414
    2 बाइटडांस, टिकटॉक (ByteDance) 400.10 बिलियन डॉलर 1,50,000
    3 अलीबाबा (Alibaba) 393.81 बिलियन डॉलर 1,23,711
    4 चाइना मोबाइल (China Mobile) 250.52 बिलियन डॉलर 4,55,405
    5 कंटेम्परेरी एम्परेक्स टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड (CATL) 250.13 बिलियन डॉलर 131,988
    6 फॉक्सकॉन इंडस्ट्रियल इंटरनेट (Foxconn Industrial Internet) 191.38 बिलियन डॉलर 2,02,818
    7 शाओमी (Xiaomi) 143.96 बिलियन डॉलर 45,527
    8 हुवावे (Huawei) 128.19 बिलियन डॉलर 2,08,000
    9 बीवाईडी (BYD) 122.18 बिलियन डॉलर 9,68,900
    10 चाइना टेलिकॉम (China Telecom) 85.28 बिलियन डॉलर 2,78,539

    चीन की कौन-कौन सी कंपनियां भारतीयों को हायर करती हैं?

    टेक सेक्टर में चीन की कई बड़ी कंपनियां जैसे- टेनसेंट (Tencent), अलीबाबा (Alibaba), हुवावे (Huawei), बाइटडांस (ByteDance) और शाओमी (Xiaomi) पहले से ही भारतीयों को हायर कर रही हैं। हालांकि ज्यादातर भारतीयों को चीन में नहीं बल्कि भारत में चल रही इनकी ग्लोबल शाखाओं या क्लाउड, ई-कॉमर्स और गेमिंग प्रोजेक्ट्स में काम करने का मौका मिलता है।

    यह भी पढ़ें- ट्रंप ने किया दूर तो भारतीयों पर चीन ने डाले डोरे, ड्रैगन लाया H-1B Visa का चीनी वर्जन; इन कंपनियों की मौज!

    उदाहरण के तौर पर, हुवावे का बेंगलुरु आरएंडी (R&D) सेंटर 5,000 से ज्यादा कर्मचारियों के साथ भारत में सक्रिय है। वहीं अलीबाबा क्लाउड और टेनसेंट क्लाउड मुंबई और हैदराबाद में अपनी टीमें बढ़ा रही हैं। बाइटडांस (ByteDance- टिकटॉक की पेरेंट कंपनी) भी भारतीय डेवलपर्स और कंटेंट एक्सपर्ट्स को अपने इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स में शामिल करती रही है।

    कितने भारतीय चीन में काम कर रहे हैं?

    2022 के बाद से चीन में भारतीय प्रोफेशनल्स की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। करीब 7,000 से ज्यादा भारतीय चीन में IT, इंजीनियरिंग, और अकादमिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। K-Visa से यह संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि अब वीजा प्रोसेस पहले से आसान और तेज होगा।

    क्या है के-वीजा और यह क्यों है खास? (What is China K Visa)

    चाइनीज K वीज़ा एक नए तरह का वीजा है जिसे चीन ने साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (STEM) के फील्ड में स्किल्ड विदेशी प्रोफेशनल्स को अट्रैक्ट करने के लिए शुरू किया है। इसे U.S. H-1B वीजा के मुकाबले के तौर पर पेश किया गया है और यह क्वालिफाइड लोगों को पहले से जॉब ऑफर या इम्प्लॉयर स्पॉन्सरशिप के बिना चीन में काम करने और रिसर्च करने की इजाजत देता है।

    K-Visa के तहत अब भारत जैसे देशों से आने वाले प्रोफेशनल्स को रिसर्च, इनोवेशन, एआई (AI), और इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में सीधे चीन में काम करने का मौका मिलेगा। पहले जहां भाषा और वीजा प्रतिबंध बड़ी बाधा थे, अब यह स्किल-बेस्ड एंट्री को आसान बनाता है।

    जैसे अमेरिका में भारतीय इंजीनियर एप्पल (Apple) गूगल (Google) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) में काम करते हैं, वैसे ही अब चीन की ये दिग्गज कंपनियां भारतीय टैलेंट के लिए नए दरवाजे खोल रही हैं और K-Visa इस बदलाव की चाबी साबित हो सकता है।

    बिजनेस से जुड़ी हर जरूरी खबर, मार्केट अपडेट और पर्सनल फाइनेंस टिप्स के लिए फॉलो करें