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    अमेरिका से ब्याज दरों में कटौती का संकेत मिला, भारतीय शेयर बाजार पर क्या होगा असर?

    Updated: Sat, 24 Aug 2024 07:30 PM (IST)

    पॉवेल के ब्याज दरों में कटौती के संकेत के बाद अमेरिकी बाजारों में जबरदस्त रैली दिखी। शुक्रवार को Dow Jones Industrial Average 1.14 प्रतिशत और Nasdaq में 1.47 फीसदी बढ़कर बंद हुआ। सोमवार को भारतीय शेयर मार्केट पर भी इसका असर दिख सकता है। भारत में भी मंहगाई धीरे-धीरे काबू में आ रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में कटौती के बारे में सोच सकता है।

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    एनालिस्ट का मानना है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) ने नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया है। उनका कहना है कि सेंट्रल बैंक की पॉलिसी को एडजस्ट करने का वक्त आ गया है। आर्थिक जानकारों का मानना है कि अमेरिका का केंद्रीय सितंबर में ब्याज दरों में बदलाव कर सकता है। इस संकेत के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भारी उछाल देखा गया। इसका असर भारतीय स्टॉक मार्केट पर भी दिख सकता है।

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    ब्याज दरों में कितनी कटौती होगी?

    पॉवेल ने कहा, 'मुद्रास्फीति के लिए जोखिम कम हो गया है।' अधिकांश एनालिस्ट का मानना है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती कर सकता है। हालांकि, कुछ ट्रेडर्स 0.5 फीसदी तक की कटौती की उम्मीद जता रहे हैं। अमेरिका में चिंताजनक वित्तीय आंकड़ों ने आर्थिक मंदी की आशंकाओं को जन्म दे दिया था। लेकिन, अब बेरोजगारी और महंगाई घटने से राहत मिली है।

    कोरोना महामारी के बाद से ही अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए ब्याज दरों को 23 साल के उच्चतम स्तर पर बनाए रखा है। यूरोप के विकसित बाजारों ने पहले ही ब्याज दरें घटाना शुरू कर दिया है। अमेरिका के बाद कई अन्य देश भी अपनी ब्याज दरों में बदलाव कर सकते हैं।

    भारतीय बाजार पर क्या असर होगा?

    पॉवेल के ब्याज दरों में कटौती के संकेत के बाद अमेरिकी बाजारों में जबरदस्त रैली दिखी। शुक्रवार को Dow Jones Industrial Average 1.14 प्रतिशत और Nasdaq में 1.47 फीसदी बढ़कर बंद हुआ। सोमवार को भारतीय शेयर मार्केट पर भी इसका असर दिख सकता है। भारत में भी मंहगाई धीरे-धीरे काबू में आ रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में कटौती के बारे में सोच सकता है।

    अगर ब्याज दरें कम होती हैं, तो मार्केट में कैश फ्लो बढ़ेगा। इससे व्यापार और खपत को बढ़ावा मिलेगा। इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी तेज हो सकती है, जिसके सुस्त पड़ने की आशंका जताई जा रही है।