मेट्रो और मोनोरेल में क्या है अंतर, जानें मुंबई की Monorail बनाने में कितने करोड़ हुए खर्च
मुंबई में भारी बारिश के बीच मोनोरेल के खराब होने और लगभग 200 यात्रियों के फंसने की घटना सामने आई है। मोनोरेल को मेट्रो की सहायक सेवा के रूप में शुरू किया गया था। पहला मोनोरेल प्रोजेक्ट वडाला से संत गाडगे महाराज चौक तक 20 किमी लंबा था। 2460 करोड़ की लागत (Mumbai Monorail cost) से बने इस प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किया गया।

मुंबई। मोनोरेल इस समय चर्चा में है। भारी बारिश के बीच मुंबई मोनोरेल खराब हो गई है जिसमें करीब 200 यात्री ट्रेन में फंसे हैं। ऐसे में हम आपको इसे बनाने में कितना खर्च आया और यह मेट्रो से कितनी अलग इसके बारे में बता रहे हैं।
अक्सर लोग मेट्रो और मोनोरेल को एक जैसा मान लेते हैं, लेकिन हकीकत में दोनों अलग ट्रांसपोर्ट सिस्टम हैं। मेट्रो रेल सामान्यतः जमीन के भीतर (अंडरग्राउंड) या जमीन पर दो पटरियों पर चलती है और लंबी दूरी के लिए बेहतर होती है। इसके निर्माण पर काफी अधिक खर्च आता है। वहीं, मोनोरेल आमतौर पर ऊँचाई पर बने ट्रैक पर चलती है और इसे छोटे रूट्स, भीड़भाड़ वाले या तंग इलाकों में एक फीडर सर्विस के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
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कैसे हुई मुंबई मोनोरेल की शुरुआत
मोनोरेल को मेट्रो की सहायक सेवा बनाने और भीड़भाड़ वाले इलाकों को राहत देने के उद्देश्य से सितंबर 2008 में मुंबई में मोनोरेल लाने का निर्णय लिया गया। चेन्नई से वडाला और संत गाडगे महाराज चौक तक कुल 20 किमी लंबा कॉरिडोर भारत का पहला मोनोरेल प्रोजेक्ट बना।
इसके लिए एमएमआरडीए ने एम/एस राइट्स (RITES) को तकनीकी और वित्तीय रिपोर्ट तैयार करने तथा बिड प्रक्रिया में मदद के लिए नियुक्त किया। 4 नवंबर 2008 को महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को Tramway Act के तहत लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया।
मुंबई मोनोरेल किसने बनाया और कितना आया खर्च
वैश्विक बिडिंग के बाद लार्सन एंड टुब्रो और मलेशिया की स्कॉमी इंजीनियरिंग (LTSE) को प्रोजेक्ट का ठेका मिला। लगभग ₹2,460 करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोजेक्ट को दो चरणों में बांटा गया। पहला चरण वडाला से चेंबूर तक 8.8 किमी और दूसरा चरण वडाला से संत गाडगे महाराज चौक तक 11.20 किमी लंबा था।
देरी और संचालन में बदलाव
वडाला से चेंबूर तक का पहला चरण 2 फरवरी 2014 को जनता के लिए शुरू हुआ। लेकिन ठेकेदार कंपनी LTSE प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने और सुचारू संचालन में नाकाम रही। नतीजतन, 29 दिसंबर 2018 को एमएमआरडीए ने ठेका रद्द कर दिया और खुद संचालन अपने हाथ में ले लिया।
इसके बाद 4 मार्च 2019 को दूसरे चरण का उद्घाटन हुआ और पूरी 17 स्टेशनों की लाइन जनता के लिए खोल दी गई।
अब MMMOCL के हाथों में जिम्मेदारी
29 दिसंबर 2023 से मुंबई मोनोरेल का संचालन और रखरखाव महा मुंबई मेट्रो ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (MMMOCL) को सौंप दिया गया। अब इसके सभी परिचालन और तकनीकी जिम्मेदारियाँ MMMOCL के अधिकारियों के पास हैं।
सोर्स- MMRDA
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