Move to Jagran APP

क्‍यों चर्चा में हैं Surrogate Advertisements और 'बिग बी'? क्‍या हैं विज्ञापन के नियम, यहां जानें सबकुछ

अमिताभ बच्‍चन पान मसाला से पहले पेप्‍सी का विज्ञापन नैतिक आधार पर छोड़ चुके हैं। कई और सेलिब्रिटीज ने भारी भरकम ऑफर्स के बावजूद फेयरनेस क्रीम के साथ अपना नाम जोड़ना उचित नहीं समझा। इनमें प्रियंका चोपड़ा कंगना रनोट और अभय देओल का नाम शामिल है।

By Manish MishraEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 01:20 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 07:22 AM (IST)
What is Surrogate Advertisement And Why Amitabh Bachchan Withdrawn From Paan Masala Ad

नई दिल्‍ली, मनीश कुमार मिश्र। हाल ही में एक पान मसाले के विज्ञापन से मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्‍चन (बिग बी) अलग हो गए और अनुबंध के लिए मिले पैसे भी वापस कर दिए। इस विज्ञापन की वजह से उनके प्रशंसकों में भी नाराजगी थी, जो सोशल मीडिया पर छाया रहा। हालांकि, विज्ञापन अनुबंध से अलग होने के बाद उनकी तारीफों के पुल भी बांधे गए। कहा गया कि यह Surrogate Advertisement (सरोगेट विज्ञापन) था। आपके मन में भी सवाल उठ रहा होगा कि सरोगेट विज्ञापन आखिर होता क्‍या है। आइए, इस बारे में विस्‍तार से जानते हैं।

loksabha election banner

क्‍या है Surrogate Advertisement?

भारत सरकार ने कई वस्‍तुओं के विज्ञापनों पर पाबंदी लगाई हुई है। इनमें, तंबाकू उत्‍पाद जैसे गुटखा, सिगरेट आदि और मदिरा (Liquor) के विभिन्‍न रूप शामिल हैं। पूर्व राज्‍य सभा सांसद और मीडिया के जाने-माने नाम प्रीतिश नंदी कहते हैं कि शराब बनाने वाली कंपनियां हों या गुटखा बनाने वाली या फिर सिगरेट बनाने वाली, ये सब कानूनी रूप से सीधे तौर पर अपने प्रोडक्‍ट्स का विज्ञापन नहीं कर सकतीं। उदाहरण देते हुए उन्‍होंने बताया कि मान लीजिए कोई शराब बनाने वाली कंपनी है, वह उसी शराब के नाम से पानी मार्केट में बेचने लगती है और उसका विज्ञापन करती है। अब, इस मामले में कंपनी शराब का नहीं बल्कि पानी का विज्ञापन कर रही है लेकिन इससे उसके शराब का विज्ञापन भी हो रहा है क्‍योंकि नाम समान है। ऐसे ही विज्ञापन को सरोगेट विज्ञापन कहते हैं।

यह भी पढ़ें: पान मसाले का विज्ञापन करने पर जब राज कपूर ने शम्मी कपूर को लगायी थी फटकार, कहा- ख़ुद पर शर्म नहीं आती? पढ़ें पूरा किस्सा 

क्‍या कहते हैं नियम?

नंदी ने बताया कि सरोगेट विज्ञापन के नियम वैसे तो सख्‍त हैं लेकिन अगर कोई कंपनी ऐसा विज्ञापन देती है तो इसे रोकने का कोई नियम भी नहीं है। उन्‍होंने कहा कि शराब, सिगरेट और गुटखा बनाने वाली कंपनियां ब्रांड से मिलते-जुलते नाम से बॉटल्‍ड वाटर, अगरबत्‍ती, इलायची या फिर कपड़े बनाती है। विज्ञापन भी ये इन्‍हीं प्रोडक्‍ट्स का करती हैं। बातचीत के दौरान उन्‍होंने बताया कि एक सिगरेट बनाने वाली कंपनी टी-शर्ट्स और अपने गारमेंट्स का विज्ञापन करती है। इससे अप्रत्‍यक्ष रूप से उनके मूल प्रोडक्‍ट सिगरेट का ही पमोशन होता है। कितनी जगहों पर आपने उस ब्रांड के कपड़े बिकते देखें हैं, जबकि उसी कंपनी का सिगरेट आपको हर जगह मिल जाएगा।

विज्ञापन उद्योग से जुड़े एक बड़े अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 'सरोगेट एडवरटाइजमेंट्स जिन प्रोडक्‍ट्स को अप्रत्‍यक्ष तौर पर प्रोत्‍साहित करते हैं, वे समाज के लिए हानिकारक हैं। सीधे शब्‍दों में कहें तो यह अनैतिक भी है।'

यह भी पढ़ें: पान मसाला ब्रांड का विज्ञापन नहीं करेंगे अमिताभ बच्चन, जानिए क्यों टर्मिनेट की करोड़ों की डील और लौटाई फीस?

विज्ञापनों को लेकर क्‍या हैं ASCI के दिशानिर्देश?

Advertising Standards Council of India (ASCI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी सेलिब्रिटी को ऐसे प्रोडक्‍ट्स के विज्ञापनों में नहीं आना चाहिए जिनके प्रोडक्‍ट पैकेट या विज्ञापनों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी चेतावनी कानूनी तौर पर जरूरी है। आपको बता दें कि हाल ही में ASCI ने Surrogate Advertisement के दिशानिर्देश और सख्‍त बना दिए हैं।

इन सेलिब्रिटीज ने भी ठुकराए ऑफर

आपका बता दें कि अमिताभ बच्‍चन इससे पहले पेप्‍सी का विज्ञापन नैतिक आधार पर छोड़ चुके हैं। कई और सेलिब्रिटीज ने भारी भरकम ऑफर्स के बावजूद, फेयरनेस क्रीम के साथ अपना नाम जोड़ना उचित नहीं समझा। इनमें प्रियंका चोपड़ा, कंगना रनोट और अभय देओल का नाम शामिल है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.