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    क्या होता है लोन टू वैल्यू रेश्यो? होम लोन लेने से पहले जान लें ये जरूरी बात

    Updated: Thu, 20 Mar 2025 03:49 PM (IST)

    LTV Ratio महंगाई लगातार बढ़ती ही जा रही है। ऐसे समय में अपना मनपसंद सामान खरीदने के लिए लोन का सहारा लेना पड़ता ही है। अगर आप भी घर खरीदने के लिए लोन ले रहे हैं तो लोन से पहले लोन टू वैल्यू रेश्यो (Loan To Value Ratio) के बारे में जरूर जान लें। क्योंकि ये आपको आने वाले जोखिम को समझने में मदद करता है।

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    क्या होता है लोन टू वैल्यू रेश्यो?

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अपना मनपसंद घर खरीदना हर किसी का सपना होता है। इसके लिए कई बार हमें लोन का भी सहारा लेना पड़ सकता है। होम लोन लेने से आप पर होने वाला बोझ कम हो जाता है। अगर आप भी लोन लेने का प्लान बना रहे हैं, तो इससे पहले लोन टू वैल्यू रेश्यो के बारे में जरूर जान लें।

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    लोन-टू वैल्यू रेश्यो (Loan To Value Ratio) यानी एलटीवी(LTV) उधारकर्ता को जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो एलटीवी ये बताता है कि आपको संपत्ति की कीमत पर कितना लोन मिल रहा है।

    क्या होता है Loan To Value Ratio?

    बजाज हाउसिंग फाइनेंस के अनुसार लोन-टू-वैल्यू रेश्यो अनुपात लोन मिलने वाली राशि को दर्शाता है। वहीं ये रेश्यो किसी भी उधारकर्ता के लिए जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि इससे समझा जा सकता है कि संपत्ति की कुल मूल्य की तुलना में कितना लोन मिल सकता है।

    उदाहरण के लिए मान लीजिए संपत्ति की वैल्यू 50 लाख रुपये हैं। वहीं आपको मिलने वाला लोन 10 लाख रुपये है। तो एलटीवी रेश्यो 20 फीसदी होता है।

    अगर आप अपना एलटीवी रेश्यो कैलकुलेट करना चाहते हैं, तो नीचे बताए गए फार्मूला का इस्तेमाल कर सकते हैं।

    LTV क्यों है जरूरी?

    अगर आप होम लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं, तो एलटीवी रेश्यो को जरूर चेक कर लें। अगर एलटीवी रेश्यो काफी अधिक आता है, तो ये आपके के लिए आर्थिक अस्थिरता भी बन सकती है। क्योंकि जितना ज्यादा एलटीवी होगा, उतना ही आपके उधार की वैल्यू बढ़ जाएगी।

    इसके साथ ही ज्यादा एलटीवी का मतलब है कि ज्यादा ईएमआई (किस्त) भरनी होगी।

    इसलिए लोन लेने से पहले अपना एलटीवी जरूर चेक कर लें। एलटीवी चेक करने के साथ-साथ कई अन्य फैक्टर पर भी ध्यान दें। जैसे इनकम, क्रेडिट स्कोर, बाकी के उधार को भी देखें। डाउन पेमेंट ज्यादा होने से आपके एलटीवी और ईएमआई दोनों ही कम हो सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि डाउन पेमेंट इतनी भी ज्यादा नहीं होनी चाहिए कि आप उसे ना चुका पाएं।

    कोई भी लोन लेते वक्त आपको लोन का कुछ अमाउंट डाउन पेमेंट के रूप में देना होता है। डाउन पेमेंट जितना ज्यादा होगा, उतना ही कम आप भविष्य में लोन भरेंगे।

    इसके साथ ही अगर आप घर कम कीमत पर खरीदते हैं, तो आपका एलटीवी भी कम हो जाएगा। 

     

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