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    समझें अपने नए सीटीएस चेक को

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    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से बेहतर सुरक्षित चेक सिस्टम सीटीएस को बैंकिंग प्रणाली में पूरी तरह से लागू करने के लिए समय सीमा को 31 जुलाई तक के लिए टाल दिया है। पहले यह समय सीमा 31 मार्च तय की गई थी। एक निवेशक के तौर पर आपके लिए इस नए चेक सिस्टम के ब्

    नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से बेहतर सुरक्षित चेक सिस्टम सीटीएस को बैंकिंग प्रणाली में पूरी तरह से लागू करने के लिए समय सीमा को 31 जुलाई तक के लिए टाल दिया है। पहले यह समय सीमा 31 मार्च तय की गई थी। एक निवेशक के तौर पर आपके लिए इस नए चेक सिस्टम के बारे में जानना जरूरी है। अगर आप सीटीएस यानी चेक ट्रंकेशन सिस्टम वाले चेक का इस्तेमाल करते हैं तो आपका काम जल्दी भी होता है और यह आर्थिक लेनदेन की प्रक्रिया 100 फीसद सुरक्षित होती है। अब आपके चेक को क्लीयर होने के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक नहीं जाना होगा।

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    सभी जरूरी जानकारियों समेत उसकी एक इलेक्ट्रॉनिक इमेज संबंधित पार्टी को भेज दी जाएगी। ये चेक ज्यादा सुरक्षित इसलिए होते हैं, क्योंकि नए चेक सिस्टम में बाएं हिस्से पर, अकाउंट नंबर वाले खाने से ठीक नीचे वॉयड पैन्टोग्राफ होता है, जिसको कॉपी कर पाना अथवा स्कैन कर फर्जी चेक बनाना असंभव है। साथ ही, जहां आप अमाउंट भरते हैं, वहां अब रुपये का सिंबल (प्रतीक) अंकित होगा। पूरे चेक पर बैंक का अदृश्य लोगों होगा, जो कॉपी करने की दशा में आसानी से पकड़ में आ जाएगा।

    अब भी 75 से 80 फीसद लेनदेन चेक के जरिये ही होता है। चेक के फर्जी इस्तेमाल के कई मामले आने के बाद आरबीआइ इसे जरूरी बनाने जा रहा है।

    सीटीएस के फायदे:

    -सीटीएस चेक की क्लीयरिंग 24 घंटे में संभव।

    -ऐसे चेक का फर्जी इस्तेमाल असंभव।

    -चेक के गुम होने की संभावना नहीं।

    -देश में किसी भी जगह किसी भी बैंक में क्लीय़रिंग की सुविधा।

    -सभी बैंकों द्वारा मानक चेक सिस्टम को शुरू किया जाना।

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