क्या होता है बायबैक, क्यों जारी करती हैं कंपनियां, निवेशकों को इससे कैसे होता है फायदा?
जब कंपनी अपना खुद का शेयर ओपन मार्केट के द्वारा शेयरहोल्डर से खरीदती है यानी रिपरचेज करती है तो उसे शेयर बायबैक कहा जाता है। बायबैक से निवेशकों को भी उस कंपनी की ग्रोथ आने वाले समय में पता चल जाती है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: शेयर बाजार और बिजनेस समाचारों में आपने अकसर बायबैक शब्द सुना होगा। अगर आप गौर से देखेंगे तो बायबैक शब्द में ही आपको उसका मतलब समझ आ जाएगा। बायबैक का मतलब होता है पुनर्खरीद। जब कंपनी अपना खुद का शेयर ओपन मार्केट के द्वारा शेयरहोल्डर से खरीदती है यानी रिपरचेज करती है तो उसे शेयर बायबैक कहा जाता है।
कंपनियां क्यों करती है बायबैक?
कंपनियां बायबैक, बाजार में उपलब्ध शेयरों की संख्या को घटाने और बचे हुए शेयरों के वैल्यू को बढ़ाने के लिए करती है। कंपनी ऐसी स्थिति में भी बायबैक करती है, जब कंपनी को यह महसूस हो की उसके शेयर अंडरवैल्यू हैं।
दो तरीकों से कंपनियां करती हैं बायबैक
आपको बता दें कि कंपनियां दो तरीकों से अपने शेयर को बायबैक करती हैं। पहला टेंडर ऑफर और दूसरा ओपन मार्केट ऑफर।
टेंडर ऑफर में कंपनी एक निश्चित प्राइस में शेयरों को बायबैक करने का ऑफर देती है। कंपनियां शेयर होल्डर्स को शेयर टेंडर करने के लिए मुआवजा भी देती है, ताकि शेयरधारक शयेर को होल्ड करके न रोकें। वहीं ओपन मार्केट ऑफर में कंपनी अपने शेयर स्टॉक एक्सचेंज के सेलर्स से खरीदती है।
कंपनियों को क्या होता है फायदा?
शेयर बायबैक करने से सबसे पहला फायदा कंपनियों को यह होता है कि कंपनी को एक बार फिर से खुद में निवेश करने का मौका मिल जाता है। बायबैक से आवंटित हुए शेयर की कमाई बढ़ जाती है। बायबैक से कंपनियों अपने कंपनी को और अधिक नियंत्रण करती है, ताकि मौजूदा शेयरहोल्डर के अलावा अब और अन्य शेयर होल्डर कंपनी को कंट्रोल ना कर सके।
निवेशकों को क्या होता है फायदा ?
कंपनी के बाद अब बात करते हैं को वैसे निवेशक जिन्होंने उस कंपनी के शेयर खरीदे होते हैं, उनको क्या फायदा होता है। कंपनी जब बायबैक करती है तो कंपनी अपने शेयरों को खरीदने के लिए शेयर होल्डर्स को ज्यादा पैसे देती है, जिसकी वजह से शेयरधारकों की वैल्यू के साथ-साथ कंपनी के शेयर की भी वैल्यू बढ़ जाती है।
शेयर की वैल्यू बढ़ने की वजह से शेयरधारक अपने शेयरों को कंपनी को ज्यादा कीमत पर बेचते हैं। बायबैक से निवेशकों को उस कंपनी की ग्रोथ आने वाले समय में पता चल जाता है, जिसके बाद शेयर धारक उस शेयर को रखने या छोड़ने का विचार कर सकते हैं।