निमिषा प्रिया की जिंदगी की आखिरी आस Blood Money, कैसे तय होती है जिंदगी की कीमत, जानिए क्या है ये इस्लामिक रिवाज
What is Blood Money यमन में मौत की सजा पा चुकी केरल की नर्स निमिषा प्रिया के पास अपनी जिंदगी बचाने का आखिरी मौका ब्लड मनी है। दरअसल इस तरह का कॉन्सेप्ट कई इस्लामिक देशों में लागू है जिसे दियाह कहा जाता है। आइये आपको बताते हैं यह किस तरह सजा ए मौत पाने वाले किसी व्यक्ति की जिंदगी को बचा सकती है।

नई दिल्ली। यमन में एक नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा पाने वाली केरल की नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya Case) की फांसी, फिलहाल रुक गई है। लेकिन, निमिषा को फांसी से बचाने के लिए एकमात्र विकल्प 'ब्लड मनी' (Blood Money Meaning) को लेकर काफी चर्चा की जा रही है। खुद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि यमन में मौत की सजा काट रहीं निमिषा प्रिया को बचाने के लिए ब्लड मनी ही आखिरी रास्ता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं ब्लड मनी क्या है, और यह कैसे किसी व्यक्ति को मौत की सजा से बचा सकती है।आइये आपको बताते हैं...
क्या है ब्लड मनी
दरअसल, कई इस्लामिक देशों में प्रचलित शरिया कानून के तहत 'ब्लड मनी' का कॉन्सेप्ट लागू है। शरिया कानून में बदला लेने की भावना को 'किसास' के सिद्धांत पर आधारित माना गया है। इसमें पीड़ित परिवार, अपराधी के लिए सजा के तौर पर मौत की मांग कर सकते हैं।
वहीं, शरिया कानून में पीड़ित परिजन को 'दियाह' यानी मुआवजा देने की अनुमति भी है, इसी दियाह को 'ब्लड मनी' कहा गया है। हालांकि, 'दियाह' की इजाजत ऐसे मामलों में ही है, जहां पीड़ित परिजन 'किसास' के अपने अधिकार को छोड़ देते हैं, और ब्लड मनी के लिए समझौता करने पर सहमत हो जाते हैं।
तलाल के परिजनों से 'दियाह' मंजूर करने की अपील
निमिषा प्रिया के मामले में मृतक तलाल अब्दो मेहदी के परिजनों से अपील की जा रही है कि वे ब्लड मनी यानी 'दियाह' लेने के लिए सहमत हो जाएं। फिलहाल, निमिषा प्रिया की फाँसी अस्थायी रूप से टाल दी गई है। इसके बाद केरल की इस नर्स का परिवार अब 8.6 करोड़ रुपये (10 लाख डॉलर) की ब्लड मनी राशि जुटाने की कोशिश में लगा है। हर इस्लामिक देश में ब्लड मनी की कीमत का निर्धारण करने का नियम अलग-अलग हो सकता है।
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साल 2017 में केरल के एक शख्स ए.एस. शंकरनारायणन को एक बांग्लादेशी इलेक्ट्रीशियन की आकस्मिक मृत्यु के लिए यूएई की जेल में आठ साल की सजा काटने के बाद रिहाई मिली थी। उन्हें ब्लड मनी के तौर पर 2,00,000 दिरहम (अब लगभग 47 लाख रुपये) मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया था।
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