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    विमानन क्षेत्र में नौकरियों की बहार

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    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    भारत के दूसरे औद्योगिक क्षेत्र अभी आर्थिक सुस्ती की गिरफ्त में हैं, मगर विमानन क्षेत्र इससे उबर रहा है। केंद्र सरकार की उदार नीतियों के चलते यहां विस्तार और विकास गतिविधियां तेज हो गई हैं। नतीजतन, इस क्षेत्र में रोजगार की नए अवसर पैदा हो गए हैं। एविएशन में नौकरियों की बहार आने वाली है।

    संजय सिंह, नई दिल्ली। भारत के दूसरे औद्योगिक क्षेत्र अभी आर्थिक सुस्ती की गिरफ्त में हैं, मगर विमानन क्षेत्र इससे उबर रहा है। केंद्र सरकार की उदार नीतियों के चलते यहां विस्तार और विकास गतिविधियां तेज हो गई हैं। नतीजतन, इस क्षेत्र में रोजगार की नए अवसर पैदा हो गए हैं। एविएशन में नौकरियों की बहार आने वाली है।

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    जबसे सरकार ने एयरलाइनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले हैं, एक के बाद एक विदेशी एयरलाइनों का भारत के उभरते एविएशन बाजार में प्रवेश हो रहा है। सबसे पहले अबूधाबी की एतिहाद एयरवेज ने जेट एयरवेज में विदेशी निवेश का एलान किया। इसके बाद मलेशिया की एयर एशिया का टाटा संस, टेलीस्ट्रा ट्रेडप्लेस के साथ लो कॉस्ट एयरलाइन प्रारंभ करने का प्रस्ताव सामने आया। नवीनतम प्रस्ताव टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस का है। दोनों संयुक्त रूप से भारत में फुल सर्विस एयरलाइन शुरू करने जा रहे हैं। इन सभी को बड़ी संख्या में योग्य एवं दक्ष एविएशन कर्मियों की जरूरत होगी। कुछ ने नियुक्तियां शुरू कर दी हैं। बाकी जल्द ही ऐसा करने वाली हैं। एविएशन क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार कुल मिलाकर लगभग 10 हजार लोगों को अगले दो सालों में इस क्षेत्र में रोजगार मिलने वाला है।

    दो सौ लोगों की नियुक्ति कर एतिहाद एयरवेज ने शुरुआत कर दी है। एयर एशिया में भी इतने ही लोगों की भर्ती का समाचार है। टाटा-सिया एयरलाइंस में भी जल्द ही भर्तियां शुरू होने वाली है। इसमें सबसे ज्यादा नियुक्तियां होने की संभावना है। एयर एशिया को विदेशी निवेश संव‌र्द्धन बोर्ड यानी एफआइपीबी और कैबिनेट से अनुमति मिल चुकी है। अब केवल एयर ऑपरेशंस परमिट (एओपी) तथा रूटों की मंजूरी का इंतजार है। टाटा-सिया को एफआइपीबी की इजाजत मिल चुकी है, जबकि कैबिनेट, एओपी तथा रूटों की मंजूरी का इंतजार है। एओपी हासिल करने के लिए एयरलाइनों को विमान बेड़े के अलावा कर्मचारियों की नियुक्ति का ब्योरा विमानन नियामक डीजीसीए को मुहैया कराना जरूरी है।

    यह तो आगाज है। आने वाले समय में जब ये एयरलाइनें अपनी उड़ानों तथा संचालनों का विस्तार करेंगी तो बड़े पैमाने पर भर्तियां होंगी। इनमें पायलट, केबिन क्रू, इंजीनियर, एयर होस्टेस, ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो हैंडलिंग स्टाफ शामिल है। नए नियमों के अनुसार डॉक्टर और पैरामेडिकल कर्मियों की भर्तियां भी बढ़ने की संभावना है। नई एयरलाइनों के अलावा पहले से कार्यरत इंडिगो, गो एयर व स्पाइसजेट वगैरह भी अपने ऑपरेशंस और बेड़े का विस्तार कर रही हैं। लिहाजा उन्हें भी नए स्टाफ की दरकार है।

    यह तो अकेले एयरलाइनों की बात हुई। देश में छह एयरपोर्टो- लखनऊ, कोलकाता, जयपुर, गुवाहाटी, चेन्नई और अहमदाबाद का निजीकरण भी होने जा रहा है। इस प्रक्रिया में भी बड़ी संख्या में एविएशन मैनेजरों, इंजीनियरों और तकनीशियनों की आवश्यकता पड़ेगी। यही वजह है कि इन दिनों देश के 45 एविएशन ट्रेनिंग स्कूलों और अकादमियों की बांछें खिली हुई हैं।