अमेरिकी टैरिफ से भारत की इकोनॉमी ग्रोथ को खतरा, आखिर क्या इशारा कर रही है क्रिसिल रेटिंग्स?
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए खतरा हैं। इन टैरिफ से निर्यात और निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हालांकि कम महंगाई और ब्याज दरों में कटौती से घरेलू खपत बढ़ने की संभावना है जिससे आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही।

नई दिल्ली। क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया उच्च टैरिफ देश की आर्थिक वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा उत्पन्न कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टैरिफ भारतीय वस्तुओं के निर्यात और निवेश दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालेंगे। हालांकि, कम महंगाई और ब्याज दरों में कटौती से घरेलू खपत बढ़ी है जिससे आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलने की संभावना है।
चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7.4 प्रतिशत थी। हालांकि, पहली तिमाही में नामिनल जीडीपी वृद्धि घटकर 8.8 प्रतिशत हो गई है जो पिछले वर्ष समान अवधि में 8.8 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) पर आधारित महंगाई 4.6 प्रतिशत से घटकर 3.5 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। कृषि क्षेत्र में स्वस्थ वृद्धि से खाद्य महंगाई नियंत्रित रहने की उम्मीद है। हालांकि, हालांकि अत्यधिक वर्षा के प्रभाव का अभी तक पूरा आकलन नहीं किया गया है।
कच्चे तेल की कम कीमतें और अनुकूल वैश्विक वस्तु मूल्य गैर-खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।मौद्रिक नीति को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआइ चालू वित्त वर्ष में ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है। इसके बाद ठहराव की स्थिति उत्पन्न होगी। आरबीआइ इस वर्ष फरवरी से जून के दौरान रेपो रेट में 100 आधार अंक की कटौती कर चुका है और अब पिछली कटौतियों के प्रभाव का इंतजार है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।